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कोरोना की दूसरी लहर के पीक में 517 वेंटिलेटर का उपयोग हुआ, 853 की जरूरत नहीं पड़ी
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डिजिटल डेस्क जबलपुर। सरकार ने जिस तरह 10 मई को पेश जवाब में कहा था कि प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है, उसी तरह सोमवार को भी सरकार ने अपने जवाब में कहा है कि कोरोना की दूसरी लहर के पीक में 11 मई 2021 को कुल कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 1 लाख 11 हजार 66 थी। उस समय प्रदेश में 170 वेंटिलेटर कार्यरत और चालू थे। उनमें से केवल 517 वेंटिलेटर का उपयोग किया गया, शेष कार्यरत और चालू 85 वेंटिलेटर के उपयोग करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की डिवीजन बैंच ने मामले की अगली सुनवाई 5 जुलाई को नियत की है।
वरिष्ठ अधिवक्ता एवं कोर्ट मित्र नमन नागरथ ने पिछली सुनवाई के दौरान यह मुद्दा उठाया था कि कोरोना की दूसरी लहर के पीक के दौरान सरकारी अस्पतालों में मौजूद वेंटिलेटर का उपयोग नहीं किया गया। प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों में 204 वेंटिलेटर डिब्बों में बंद थे। यदि उनका उपयोग किया जाता तो कई मरीजों की जान बच सकती थी। राÓय सरकार की ओर से महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने पक्ष रखा।
निजी अस्पतालों के रेट का ब्यौरा माँगा
हाईकोर्ट ने प्रदेश के निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज का ब्यौरा पेश करने का निर्देश दिया है। इस मामले में कोर्ट मित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि राÓय सरकार द्वारा तय किए कोरोना के इलाज के रेट निजी अस्पतालों के रेट से Óयादा है। सुनवाई के बाद डिवीजन बैंच ने कोर्ट मित्र को निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के रेट की विस्तृत जानकारी पेश करने के लिए कहा है।
जिला अस्पतालों में हों न्यूनतम सुविधाएँ
कोर्ट मित्र ने कहा कि कोरोना काल में यह खुलासा हुआ है कि प्रदेश के कई ऐसे जिला अस्पताल हैं, जहाँ पर मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। इसको देखते हुए प्रदेश के जिला अस्पतालों में न्यूनतम सुविधाएँ सुनिश्चित की जानी चाहिए। जिला अस्पतालों में कम से कम आईसीयू, ऑक्सीजन और एम्बुलेन्स की सुविधा होना चाहिए।
Created On :   21 Jun 2021 11:36 PM IST