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रिश्वत लेने वाले डाक्टर को 4 वर्ष का कठोर कारावास
डिजिटल डेस्क सीधी। रिश्वत लेने के आरोपी डॉ आरपी सिंह को न्यायालय द्वारा 4 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई है। डाक्टर ने एमएलसी बनाने के एवज में रिश्वत की मांग की थी। फरियादी की शिकायत पर लोकायुक्त रीवा की टीम ने 3500 रूपये लेते रंगे हाथों पकड़ा था।
ये है मामला
उक्त संबंध में कु सीनू वर्मा मीडिया सेल प्रभारी लोक अभियोजन द्वारा बताया गया कि आरोपी डॉ आरपी सिंह उर्फ रामायण प्रताप सिंह ने 1 अक्टूबर 14 को जिला चिकित्सालय सीधी में पैथालॉजिस्ट के पद पर कार्य करते हुए फरियादी महेन्द्र जायसवाल से मनमुताबिक अच्छी एमएलसी बनाने के एवज में 5,000 रूपए रिश्वत मांगा था। फरियादी के निवेदन पर 1,000 रूपए कम कर 500 रूपए बातचीत के समय प्राप्त कर लिया। जिसकी लिखित शिकायत फरियादी द्वारा पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त संगठन रीवा को की गई। पुष्टि उपरांत अपराध क्र 450/14 पंजीबद्ध किया गया। अभियुक्त ने जिला चिकित्सालय सीधी में पैथोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत रहते हुए अपनी पदीय स्थिति का दुरूपयोग करते हुए स्वयं को लाभांवित करते हुए फरियादी से 4 अक्टूबर 14 को मनमुताबिक अच्छी एमएलसी रिपोर्ट बनाने के एवज में वैध पारिश्रमिक से भिन्न अवैध परितोषण के रूप में 3,500 रूपए प्राप्त किया था। पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त संगठन रीवा के निर्देशन में 4 अक्टूबर 14 को लोकायुक्त रीवा टीम के द्वारा लोकायुक्त निरीक्षक विद्यावारिधि तिवारी, लोकयुक्त निरीक्षक अरविंद तिवारी, आरक्षक शैलेन्द्र मिश्रा एवं अन्य के द्वारा 3,500 रूपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। प्रकरण में 23 जनवरी 15 को विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सीधी के समक्ष विवेचना पश्चात् अभियुक्त के विरूद्ध अभियोग पत्र पेश किया गया। जहां विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से 18 साक्षी पेश किए गए। साक्षीगण को न्यायालय के समक्ष आहूत कराये जाने मे आरक्षक शैलेन्द्र मिश्रा, लोकायुक्त थाना रीवा का विशेष योगदान रहा। विशेष सत्र प्रकरण में श्रीमती भारती शर्मा जिला अभियोजन अधिकारी के निर्देशन में प्रशांत कुमार पाण्डेय, वरिष्ठ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी द्वारा पैरवी किया जाकर अभियुक्त के विरूद्ध संदेह से परे धारा 7 एवं 13,2 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अपराध प्रमाणित कराये गये। परिणामस्वरूप आरोपी डॉ आरपी सिंह उर्फ रामायण प्रताप सिंह को विशेष न्यायालय द्वारा दोषसिद्ध किया गया। उक्त प्रकरण में 20 दिसंबर 19 को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सीधी द्वारा दोषसिद्धि का निर्णय पारित करते हुए आरोपी डा आरपी सिंह को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 7 में 3 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 2000 रूपये अर्थदंड एवं धारा 13(2) में 4 वर्ष का सश्रम कारावास तथा 2000 रूपये के अर्थदंड से दंडित किया।
Created On :   23 Dec 2019 7:50 PM IST