तीन महीने में 33 खुदकुशी- अन्नदाता की जान की कीमत सिर्फ एक लाख रुपए!

33 suicides in three months - the cost of the food givers life is only one lakh rupees!
तीन महीने में 33 खुदकुशी- अन्नदाता की जान की कीमत सिर्फ एक लाख रुपए!
हर तीन दिन में एक किसान की आत्महत्या  तीन महीने में 33 खुदकुशी- अन्नदाता की जान की कीमत सिर्फ एक लाख रुपए!

डिजिटल डेस्क, वर्धा।  जंगली जानवर के हमले में मामूली रूप से घायल होने वाले व्यक्ति को पांच लाख रुपए तक की नुकसान भरपाई दी जाती है और मृत्यु होने पर उसके परिजनों को 20 लाख रुपए मुआवजा देने का प्रावधान है लेकिन देश का अन्नदाता कहे जानेवाला किसान यदि आत्महत्या करता है तो उसके परिजनों को केवल एक लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है। इसके लिए भी आत्महत्याग्रस्त किसान के परिजनों को तमाम तरह के दस्तावेज पेश कर नाना प्रकार की जांच का सामना करना पड़ता है। इन सबके बाद भी सरकारी नियमों के अनुसार साबित होनेवाली किसान आत्महत्या के मामले में पीड़ित परिजनों को मात्र एक लाख रुपए का मुआवजा मिलता है। इसकेे लिए भी आत्महत्याग्रस्त परिवार को महीनों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है। 

गत कुछ वर्ष से जिले में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। शासन की ओर से विविध उपाय करने के बावजूद किसान आत्महत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा हैं। वर्ष 2023 के शुरुआती तीन महीने में प्राकृतिक आपदाओं और कर्ज से पीड़ित होकर 33 किसान मौत को गले लगा चुके हैं। किसान आत्महत्या का यह आंकड़ा चिंताजनक हैं। वहीं बीते 15 महीनों में 191 किसान मौत को गले लगा चुके हैं। 

बीते वर्ष किसानों को बैकों ने कर्ज देने से इनकार कर दिया था। इस कारण किसानों को साहूकारों से अधिक ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़ा था। खाद भी जीएसटी लगकर आया था और सरकार ने सब्सिडी में भी कटौती की थी। इस बीच जिले में अतिवृष्टि हुई। इसमें जिले की 4 लाख हेक्टर की फसल का नुकसान हो गया। समय निकल जाने के बाद शासन की ओर से मुआवजा दिया गया। 

इस कारण  खरीफ में हुए नुकसान को नजरअंदाज कर किसानों ने रबी के मौसम की तैयारी की लेकिन बेमौसम बारिश के कारण किसानों को पुन: नुकसान उठाना पड़ा। कपास को वाजिब दाम नहीं मिलने के कारण किसानों को व्यापारियों के मनमाने दाम पर कपास बेचना पड़ा। इस कारण आर्थिक रूप से हलाकान किसान साहूकारों के कर्ज के नीचे दब गए। जनवरी से मार्च दरम्यान इस तीन महीने के 90 दिनों में 33 किसानों ने आत्महत्या की है। इसमें जनवरी महीने में 14, फरवरी में 7 व मार्च महीने में 12 किसानों ने मौत को गले लगाया है। 
वहीं सन 2022 के 12 व वर्ष 2023 के तीन महीने में इस प्रकार 15 महीने में 191 किसानों ने आत्महत्या की हैं। उसमें से 69 किसान शासकीय सहायता के लिए पात्र घाषित हुए जबकि 66 किसानों को अपात्र किया गया। 

सहायता से जुड़े 56 मामले अधर में 

मई 2022 से मार्च 2023 में हुई आत्महत्याओं में से 56 की रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है। इस कारण उनके परिजनों को योजना का लाभ अब तक नहीं मिल पाया है। पात्र किसानों में से 46 किसानों के परिजनों को शासकीय योजना का लाभ मिला है। वहीं 23 किसानों को निधि के अभाव में लाभ नहीं मिला है।

विजय जावंधिया, किसान नेता के मुताबिक गत वर्ष कपास को 12 हजार रुपए प्रति क्विंटल दाम दिया गया। इस वर्ष कपास को 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल दाम मिलने से किसानों ने कपास को न बेचकर असंतोष जताया। यह उनका सामूहिक आंदोलन था। वहीं सरकार 6 हजार 300 रुपए समर्थन मूल्य 50 प्रतिशत मुनाफे के साथ होने की बात कर रही है। यही हाल अन्य फसल का हैं। इस प्रकार की शासन की गलत नीति के कारण किसान आत्महत्या कर रहे हैं। आत्महत्या रोकने ठोस उपाय करने की आवश्यकता है।
        

Created On :   25 April 2023 7:37 PM IST

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