पीवीटीजी की जीवनशैली प्रकृति के अनुरूप, इनसे सीखने की जरूरत - बिरला
- प्रधानमंत्री पीवीटीजी मिशन
- तहत तीन वर्ष में आवंटित होंगे 15,000 करोड़ रूपए
- पीवीटीजी की जीवनशैली प्रकृति के अनुरूप
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रकृति, परंपरा और संस्कृति के ज्ञान की जनजातीय विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राचीन काल से ही वनवासियों ने प्रकृति के साथ तालमेल से रहने का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों और विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) की जीवन शैली हमेशा प्रकृति के अनुरूप रही है और आधुनिक दुनिया को उनसे बहुत कुछ सीखना है।
बिरला ने यह बात सोमवार को संसद भवन के केन्द्रीय कक्ष में प्राइड द्वारा आयोजित विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों के सदस्यों को संबाेधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि देश के सबसे वंचित समूह के सदस्यों को संसद भवन में आमंत्रित करने की अनूठी पहल सराहनीय है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री पीवीटीजी मिशन के अंतर्गत इस समूह के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए अगले तीन वर्षों में 15,000 करोड़ रूपये आवंटित किए जाएंगे। लोक सभा अध्यक्ष ने वन उपज के साथ साथ आदिवासी लोगों की कला और शिल्प की भी बात की, जिसके अनूठेपन के कारण इनकी मांग पूरी दुनिया में बढ़ी है।
Created On :   12 Jun 2023 7:14 PM IST