लोकसभा: 13 एम्स सहित 29 संस्थानों में ड्रोन के उपयोग के लिए पायलट परियोजना, बूस्टर डोज में कम सफलता
- दोनों वैक्सीन्स भारत में निर्मित पूरी तरह से विश्वस्तर की थीं
- सरकार ने 13 एम्स सहित 29 संस्थानों में ड्रोन के उपयोग के लिए शुरू की पायलट परियोजना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली. वर्धा से सांसद रामदास तडस ने शुक्रवार को लोकसभा में सरकार से जानना चाहा कि क्या कोविड़-19 महामारी के दौरान पहला और दूसरा डोज की तुलना में बूस्टर डोज देने में सरकार को कम सफलता मिली है। उन्होंने पूछा कि क्या इस संदर्भ में सरकार के पास कोई जानकारी है और है तो सरकार इस पर क्या कार्रवाई कर रही है? सांसद तड़स द्वारा सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूछे इस सवाल के जवाब मं केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रो एसपी सिंह बघेल ने कहा कि हमारी दोनों वैक्सीन्स भारत में निर्मित पूरी तरह से विश्वस्तर की थीं। कोविड़ महामारी के दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया विश्व के सभी वैक्सीन निर्माताओं से निरंतर संप र्क कर रहे थे। इसलिए वैक्सीन का निर्माण हुआ था। किसी भी प्रकार से वैक्सीन की कमी नहीं थी। जिसने जो चाहा और जो प्रोटोकॉल था उसके अनुसार वैक्सीन दी गई है।
सरकार ने 13 एम्स सहित 29 संस्थानों में ड्रोन के उपयोग के लिए शुरू की पायलट परियोजना
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली संसाधन केंद्र (एनएचएसआरसी) के सहयोग से प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत स्थापित 13 एम्स सहित 29 संस्थानों में ड्रोन के इस्तेमाल के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है। सांसद राजेन्द्र धेड्या गावित और उमेश जाधव ने शुक्रवार को लोकसभा में सरकार से स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के लिए ड्रोन के उपयोग के संबंध में स्वास्थ्य परिचर्या क्षेत्र में सुधार लाने के लिए किसी योजना को कार्यान्वित करने के बारे में जाना चाहा था। केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती पवार ने इस सवाल के लिखित जवाब में उक्त जानकारी दी।
राज्य मंत्री डॉ पवार ने बताया कि देश के विभिन्न क्षेत्रों और इलाकों में विभिन्न स्वास्थ्य परिच र्या चिकित्सा अनिवार्यताओं जैसे टीके, दवाओं, नैदानिक नमूनों, रक्त और इसके घटकों आदि के परिवहन के लिए ड्रोन के उपयोग के साक्ष्य प्राप्त करने के लिए मंत्रालय ने विभिन्न शोध परियोजनाएं पूरी की हैं। फिलहाल पीएमएसएसवाई के तहत स्थापित 13 एम्स सहित 29 संस्थानों में ड्रोन के उपयोग के लिए एक पायलट परियोजना शुरू की है, ताकि दुर्गम भौगोलिक भूभाग वाले क्षेत्रों में स्वास्थ्य परिचर्या सेवाओं की पहुंच और सुगमता बढाने के उद्देश से चिन्हित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रो को स्वास्थ्य संबंधी सेवाएं प्रदान की जा सकें।
Created On :   9 Feb 2024 9:27 PM IST