Mumbai News: वर्षों से एक ही परिवार के सदस्यों को विधायक चुनते रहे हैं यहां के मतदाता

वर्षों से एक ही परिवार के सदस्यों को विधायक चुनते रहे हैं यहां के मतदाता
  • नेताओं ने पार्टी से निष्ठा बदली पर मतदाताओं ने नहीं बदली निष्ठा
  • 57 साल से पवार परिवार के साथ हैं यहां के मतदाता

Mumbai News : विजय सिंह कौशिक। भारतीय राजनीति में उत्तर से लेकर दक्षिण तक जो एक चीज समान है, वह है परिवारवाद। देश का कोई भी कोना हो राजनीति में परिवारवाद से अछुता नहीं है। हालांकि इसके लिए राजनीतिक दलों के साथ-साथ मतदाता भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। महाराष्ट्र में ऐसे कई चुनाव क्षेत्र हैं जहां वर्षों से एक ही परिवार का कब्जा है। चुनाव में चाहे जिसकी लहर हो पर इन सीटों से उस परिवार विशेष के लोग ही विधायक चुने जाते हैं। वे दल भी बदलते रहे पर उनके चुनाव क्षेत्र की जनता ने वर्षों से अपना मन नहीं बदला।

1. पुसदः 72 वर्षों से एक ही परिवार का कब्जा

विदर्भ के यवतमाल जिले की पुसद विधानसभा सीट पर बीते 72 वर्षों से एक ही परिवार का कब्जा है। 1952 में यहां से वसंतराव नाईक पहली बार कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए। तब से लेकर 2024 के चुनाव तक इस सीट पर नाईक परिवार के सदस्य ही चुने जाते रहे हैं। वसंतराव नाईक पांच बार इस सीट से विधायक चुने गए। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री वसंतराव नाईक के भतीजे सुधाकर राव नाईक पांच बार और पूर्व मुख्यमंत्री सुधाकर राव नाईक के भाई मनोहर नाईक तीन बार पुसद से विधायक बने। 2019 व 2024 के विधानसभा चुनाव में पूर्वमंत्री मनोहर नाईक के बेटे इंद्रनील नाईक इस सीट से विधायक चुने गए हैं।

2. बारामतीः 57 साल से पवार परिवार के साथ हैं यहां के मतदाता

पुणे जिले की बारामती सीट पर पिछले 57 वर्षों से पवार परिवार के सदस्य ही काबिज हैं। 1967 में शरद पवार पहली बार इस सीट से विधायक चुने गए थे। शरद 6 बार यहां से विधायक बने। 1991 के उपचुनाव में उनके भतीजे अजित पवार इस सीट से चुनाव मैदान में उतरे। इस बार के चुनाव में अजित आठवीं बार बारामती से विधायक चुने गए हैं।

3. शिर्डीः 29 वर्षों से दल बदला पर नहीं बदला विधायक

साईबाबा मंदिर के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध अहमदनगर जिले की शिर्डी विधानसभा सीट पर पिछले 29 वर्षों से एक ही व्यक्ति विधायक चुना जा रहा है। इस सीट से इस बार भी विधायक चुने गए राधाकृष्ण विखे पाटील का चुनाव चिन्ह अब तक तीन बार बदल चुका है पर शिर्डी की जनता ने उन्हें नहीं बदला। 1995 में वे पहली बार इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। इसके बाद वे शिवसेना उम्मीदवार के रुप से यहां से चुनाव जीते। शिवसेना छोड़ फिर कांग्रेस में आए। 2019 व 2024 का विधानसभा चुनाव इसी सीट से भाजपा के टिकट पर जीता।

4. लातूरः नौ बार से देशमुख परिवार

मराठवाडा के लातूर जिले की लातूर शहर सीट से नौ बार देशमुख परिवार के सदस्य विधायक चुने गए हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख 1980 में पहली बार यहां से कांग्रेस के टिकट पर विधायक चुने गए थे। इसके बाद वे 1985, 1991, 1999 व 2004 में इस सीट से विधायक चुने गए। उनके विलासराव के निधन के बाद उनके बेटे अमित देशमुख 2009 से अब तक इस सीट से विधायक हैं। विलासराव पांच बार तो उनके बेटे अमित चार बार इस सीट से विधायक चुने जा चुके हैं।

5. भोकरः पिता, बेटा, पत्नी के बाद बेटी बनी विधायक

मराठवाडा के नांदेड जिले की भोकर सीट चव्हाण परिवार की पारंपरिक सीट रही है। इस सीट से शंकरराव चव्हाण 1967 में पहली बार विधायक चुने गए थे। पूर्व मुख्यमंत्री चव्हाण 1972 व 1978 में भी यहां से विधायक बने। बाद में उनके सुपुत्र अशोक चव्हाण 2009 में भोकर से विधायक चुने गए। 2014 के चुनाव में अशोक चव्हाण की पत्नी अमिता चव्हाण इस सीट से विधायक चुनी गई। 2019 के चुनाव में अशोक चव्हाण फिर से इस सीट से विधायक बने। फिलहाल वे सांसद हैं। इस लिए 2024 के चुनाव में उनकी बेटी श्रीजया चव्हाण इस सीट से विधायक चुनी गई हैं।

Created On :   27 Nov 2024 7:02 PM IST

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