आंदोलन की चेतावनी: नांदेड़ के सरकारी अस्पताल के अधीक्षक से शौचालय साफ कराने के मामले ने पकड़ा तूल

नांदेड़ के सरकारी अस्पताल के अधीक्षक से शौचालय साफ कराने के मामले ने पकड़ा तूल
  • सांसद हेमंत पाटिल पर मेडिकल स्टूडेंट से लेकर डॉक्टर बिफरे
  • माफी मांगों, अन्यथा करेंगे आंदोलन
  • अधीक्षक से शौचालय साफ कराने के मामला

डिजिटल डेस्क, मुंबई. नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में हुई मौतों को लेकर शिवसेना सांसद हेमंत पाटिल द्वारा अस्पताल के अधीक्षक से शौचालय साफ कराए जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इसके विरोध में मेडिकल स्टूडेंट्स से लेकर डॉक्टर आक्रामक हो गए है। मेडिकल स्टूडेंट्स व डॉक्टरों ने सांसद हेमंत पाटील से सामूहिक रूप से माफी मांगने की मांग की है। माफी न मांगने पर आंदोलन छेड़ने तक की भी चेतावनी दी है।

नांदेड़ के डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज में हुए मरीजों की मौत को लेकर अस्पताल के अधीक्षक से शिवसेना (शिंदे) के सांसद हेमंत पाटील ने शौचालय की सफाई कराई। इसे लेकर स्वास्थ्य क्षेत्र में डॉक्टरों से लेकर मेडिकल स्टूडेंट ने नाराजगी जाहिर की है। सरकारी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टरों की संगठन सेंट्रल मार्ड और बीएमसी अस्पतालों के निवासी डॉक्टरों की संगठन बीएमसी मार्ड, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जूनियर डॉक्टरों की संगठन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। इस निंदा के साथ डॉक्टरों ने सांसद हेमंत पाटील के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया है।

डॉक्टर नहीं, दवाई और संसाधन की है कमी

सेंट्रल मार्ड के अध्यक्ष डॉ. अभिजीत हेलगे ने बताया कि नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में हुए दुर्भाग्यपूर्ण घटना के लिए कई कारक जिम्मेदार है। इनमें चिकित्सा शिक्षकों की कमी, नर्सेस, सफाई कर्मचारियों की कमी , जीवन रक्षक दवाओं का अभाव और संसाधनों की कमी शामिल है। सिर्फ नांदेड़ अस्पताल में ही नहीं बल्कि राज्य के बाकी अस्पतालों में भी इन चीजों का अभाव बना हुआ है। इसे दूर करने की बजाए सांसद हेमंत पाटिल ने नांदेड़ अस्पताल के अधीक्षक का अपमान और दुर्व्यवहार किया। उन्हें जानबूझकर मीडिया के सामने कॉलेज परिसर में शौचालय साफ करने के लिए भी मजबूर किया गया। इस कृत्य के लिए सांसद पाटिल सामूहिक रूप से माफी मांगें नहीं तो रेजिडेंट डॉक्टर इसके लिए आंदोलन करेंगे।

डॉक्टरों को बलि का बकरा न बनाए

बीएमसी मार्ड के अध्यक्ष डॉ. वर्धमान रोथे ने बताया कि सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीमित संसाधनों के बीच डॉक्टर व कर्मचारी मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के सर्वोत्तम प्रयास करते है। इसके बावजूद प्रशासन की विफलता के लिए डॉक्टरों और चिकित्सा शिक्षकों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। प्रशासन की विफलता के लिए डॉक्टरों को बलि का बकरा बनाने के बजाय मार्ड ने अनुरोध किया है कि राज्य सरकार को राज्य भर के सभी मेडिकल कॉलेजों में जीवन रक्षक दवाओं, संसाधनों और मानवबल की कमी को दूर करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

सांसद पर करें कार्रवाई

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के राष्ट्रीय परिषद सदस्य डॉ. इंद्रनील देशमुख ने बताया इस कृत्य के लिए सांसद हेमंत पाटिल पर कार्रवाई की जानी चाहिए। इस आशय का पत्र भी संगठन की ओर से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को दिया गया है। सरकारी मेडिकल कॉलेज मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ. रेवत कानिंदे ने बताया कि संगठन की ओर से भी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को एक पत्र दिया गया है, जिसमें अनुरोध किया गया है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार सरकारी नियमों के अनुसार संबंधित जन प्रतिनिधियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करें।

Created On :   4 Oct 2023 8:28 PM IST

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