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अनुसंधान: एशिया में एकमात्र नागपुर के नीरी लैब में कोविड-2 वैरिएंट पर होगा शोध
- डब्ल्यूएचओ ने सिर्फ 3 प्रयोगशाला को दी मंजूरी
- नागपुर और भारत के लिए बहुत गर्व की बात
- बोस्टन और यूरोप में दो प्रयोगशालाएं स्थापित करने की तैयारी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोविड-19 महामारी ने दुनिया भर में हाहाकार मचाया था। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) इस महामारी से लड़ने के लिए लगातार तैयारी कर रहा है। इसी के तहत सार्स कोविड-2 और अन्य संक्रामक रोगों के नए वैरिएंट और संभावित खतरे पर शोध के लिए डब्ल्यूएचओ ने विश्व में तीन प्रयोगशालाओं का चयन किया गया है। विशेष बात यह है कि एशिया और अफ्रीका खंड में नागपुर के राष्ट्रीय पर्यावरण अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (नीरी) में भी यह लैब बनने वाली है। इसके अलावा बोस्टन और यूरोप में दो प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं।
नीरी के शोध को देखते हुए चयन : नीरी के पर्यावरण महामारी विज्ञान और महामारी प्रबंधन विभाग (ईईपीएम) द्वारा कोविड-19 महामारी के शुरूआती चरणों के दौरान "कोविनेट' प्रयोगशाला की स्थापना की गई थी। विभाग के प्रमुख वैज्ञानिक एवं वायरोलॉजिस्ट डाॅ. कृष्णा खैरनार के नेतृत्व में इस प्रयोगशाला में काफी अच्छा काम हुआ। इसी शोध को ध्यान में रखते हुए डब्ल्यूएचओ ने नीरी के प्रयोगशाला का चयन किया है।
डाॅ. कृष्णा खैरनार को जिनेवा से आमंत्रण : डब्ल्यूएचओ ने सार्स कोविड-2 के हॉट स्पॉट की पहचान करने और पर्यावरण और अपशिष्ट जल सर्वेक्षण में विशेषज्ञता साझा करने के लिए डाॅ. कृष्णा खैरनार को आमंत्रित किया था। इस शोध को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें जिनेवा स्थित डब्ल्यूएचओ मुख्यालय बुलाया गया। हाल ही में 25 और 26 मार्च को आयोजित एक विशेष बैठक में डॉ. खैरनार ने डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम घेब्रेयेसस के समक्ष इस पर प्रेजेंटेशन दिया।
Created On :   29 March 2024 3:23 PM IST