तैयारी: ग्रीष्मकाल के दौरान जलसंकट से निपटने की तैयारी, 68 टैंकरों से होगी जलापूर्ति

ग्रीष्मकाल के दौरान जलसंकट से निपटने की तैयारी,  68 टैंकरों से होगी जलापूर्ति
  • जिप से जिलाधिकारी को भेजा प्रस्ताव
  • जलसंकट निवारण कृति प्रारूप 25 करोड़ का मंजूर
  • राहत पहुंचाने उपाययोजना कृति प्रारूप

डिजिटल डेस्क, नागपुर।To deal with the water crisis during the summer season, the District Council has approved a water crisis prevention project draft of Rs 25 crore.ग्रामीण क्षेत्र में नल योजना पूरी करना, नए बोरवेल, कुओं का मलबा निकालना व गहराई बढ़ाना, निजी कुओं का अधिग्रहण तथा जहां कोई विकल्प नहीं है, ऐसे गांवों में 68 टैंकर से जलापूर्ति का प्रारूप प्रस्ताव तैयार कर जिलाधिकारी के पास भेजा गया है।

जलजीवन मिशन से जलसंकट में राहत : केंद्र सरकार की जलजीवन मिशन योजना अंतर्गत 100 के आसपास गांवों में नल योजना कार्यान्वित हो चुकी है। नल योजनाओं से जलसंकट में काफी हद तक राहत मिल सकती है। गर्मी के मौसम में संभावित जलसंकट निवारण के लिए 6 से 7 महीने का नियोजन कृति प्रारूप तैयार किया जाता है। जिलाधिकारी की मंजूरी से अमल किया जाता है। प्रारूप में सरकारी टैंकर की संख्या तहसीलवार निर्धारित की जाती है। टैंकर पर आनेवाले अपेक्षित खर्च का नियोजन किया जाता है।

30 जून तक का नियोजन : जलसंकट निवारण उपाययोजना अंतर्गत 30 जून तक का नियोजन किया गया है। अस्थायी नल योजना क्रियान्वयन, निजी कुओं का अधिग्रहण, नए बोरवेल, सरकारी कुओं का मलबा सफाई आदि का समावेश है। ग्रामसभा की मांग पर गर्मी के मौसम में संबंधित गांवों में जलापूर्ति की जाती है।

जलसंकट के मुख्य कारण : अत्यधिक पानी की खपत: अत्यधिक पानी का उपयोग कई व्यक्तियों के लिए एक बड़ा मुद्दा है। इसका उपयोग मनुष्यों, जानवरों, भूमि या किसी अन्य चीज़ पर अत्यधिक किया जाता है। इसका उपयोग पर्यावरणीय प्रभावों पर विचार किए बिना मनोरंजक कारणों से भी किया जाता है। इस पर अंकुश लगाना जरूरी है।

ग्लोबल वार्मिंग: ग्लोबल वार्मिंग पानी की कमी का एक और महत्वपूर्ण कारण है। जैसे ही हमारा औसत वायु तापमान बढ़ता है, नदियों और झीलों का पानी तेजी से वाष्पित हो जाता है, जो संभावित रूप से जल निकायों के सूखने में योगदान देता है। परिणामस्वरूप, जो समुदाय पीने के पानी के लिए ऐसे जल निकायों पर निर्भर हैं, उन्हें ग्लोबल वार्मिंग के परिणामों का खामियाजा भुगतना पड़ता है, जिसका स्थानीय जल आपूर्ति पर प्रभाव पड़ता है। इस पर सभी को ध्यान देना चाहिए और वृक्षारोपण के लिए योगदान देना चाहिए।

Created On :   23 Feb 2024 1:22 PM IST

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