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चिंता: मौसम परिवर्तन का असर, नागपुर शहर में इस बार काफी कम पहुंचे विदेशी पक्षी
- तालाबों के किनारे रहती है हलचल
- बढ़ता प्रदूषण भी बड़ा कारण बना
- नागपुर के दायरे में 50 के करीब छोटे-बड़े तालाब
डिजिटल डेस्क, नागपुर। इस साल विदेशी पक्षियों ने बहुत कम संख्या में नागपुर के तालाबों पर दस्तक दी। पक्षी विशेषज्ञों की मानें तो मौसम में बदलाव के साथ तालाबों पर मानवी हस्तक्षेप और प्रदूषण के कारण विदेशी पक्षियों का शहर से मोहभंग हुआ है। केवल रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, नॉर्दन पींटेल, नॉर्दन शॉवेलर और गार्गनेय नामक पक्षी ही इस बार पहुंचे। हालांकि इनकी संख्या भी बहुत कम रही। पक्षी प्रेमियों में भारी निराशा है।
यहां नजर आते हैं : नागपुर के दायरे में 50 के करीब छोटे-बड़े तालाब हैं। जंगली क्षेत्र के आस-पास बने इन तालाबों पर हर साल ठंड में विदेशी पक्षी देखने को मिलते हैं। अक्तूबर के शुरूआत में आकर फरवरी के आखिर में यह वापस लौट जाते हैं। उक्त सभी प्रजाति के यह पक्षी साइबेरिया, मंगोलिया, रशिया आदि जगह से लगभग साढ़े चार हजार किलोमीटर का सफर तय कर नागपुर के दायरे में पहुंचते हैं। मुख्यत: शहर के अंबाझरी, गोरेवाडा, सायकी, पारडगांव, उंदरी तालाब आदि जगहों पर इन्हें देखा जाता है।
हर साल यह पक्षी आते हैं : पक्षी विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, लेसर विस्टलिंग डग शहर के गोरेवाड़ा तालाब में पहुंचने लगे हैं, लेकिन बारहेडेड गीस, रुडी शेलडक, ग्रेलेग गीस, नॉरदन पीन्टल, टफडेड डक, कॉमन पोचार्ड, गार्गनेय, यूराशियन विजन, गाडवाल, नॉरदन शॉवेलर जैसे विदेशी पक्षी इस बार नजर नहीं आए। ये अक्टूबर, नवंबर में ही पहुंच जाते हैं।
इस साल संख्या कम : शहर के तालाबों में बाकी वर्षों की तुलना में इस साल बहुत कम विदेशी पक्षी पहुंचे हैं। इनकी संख्या भी बहुत कम है। विदेशी पक्षियों के कम आने के अनेक कारण है, इसमें तालाबों के किनारे मानवी हस्तक्षेप से लेकर प्रदूषण बढ़ना तक शामिल है। -डॉ. बहार बाविस्कर, अध्यक्ष, वाइल्ड सीईआर
Created On :   29 Feb 2024 6:28 AM GMT