दर्द मांगे दवा...: 10 में से 3 नशे के आदी, जेल में हो जाते हैं खूंखार

10 में से 3 नशे के आदी, जेल में हो जाते हैं खूंखार
नागपुर सेंट्रल जेल में नहीं है मानसोपचार विशेषज्ञ डॉक्टर व स्थायी मनोचिकित्सक

डिजिटल डेस्क, नागपुर । नागपुर के सेंट्रल जेल में पिछले सात साल से मानसोपचार विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है। स्थायी मनोचिकित्सक भी नहीं है। उनके भी दो पद बरसों से ठेका पद्धति से भरे जा रहे हैं। अंतिम बार 12 दिन पहले तक यहां एक महिला मनोचिकित्सक थीं। कान्ट्रैक्ट खत्म हुआ, तो वह चली गईं। इस तरह तीनों पद खाली है। मनोचिकित्सक व मानसोपचार विशेषज्ञ नहीं होने से जेल प्रशासन के कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोई कैदी बेवजह चिखना-चिल्लाना करता है, तो कभी कोई किसी पर भी गुस्सा उतार देता है। सूत्रों के अनुसार जेल पहुंचने वाले 10 में से 3 कैदी पहले व्यसनाधीन रह चुके होते हैं। जेल में व्यसन बंद होने से उनके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य पर असर होता है।

अचानक नशाखोरी बंद होने से असर, कई तरह के व्यसन होते हैं कैदियों में : प्राप्त जानकारी के अनुसार, रविवार को नागपुर के सेंट्रल जेल में 3036 कैदी थे। यहां हर रोज औसत 3000 कैदी होते हैं। जेल जाने से पहले अधिकतर गुनहगारों को कई तरह के व्यसन होते हैं। इसमें नशाखोरी प्रमुख होता है। शराब, गांजा, भांग समेत अन्य तरह के नशेड़ी होते हैं। जब जेल पहुंचते हैं, तो उन्हें नशाखोरी छोड़नी पड़ती है। अचानक नशाखोरी बंद होने से कैदियों की मानसिकता पर असर होता है। जो अधिक नशे के आदि होते हैं, उनके बर्ताव अजीब किस्म के होते हैं। किसी भी वक्त चिखना-चिल्लाना, किसी पर भी अपना गुस्सा उतार देना आदि जैसी दिनचर्या हो जाती है। जेल प्रशासन द्वारा ऐसे कैदियों पर पूरी नजर रखी जाती है। जेल प्रशासन को हर कैदी के सुधार के लिए मानवीय संवेदना रखते हुए बर्ताव करना पड़ता है। बावजूद कई बार कैदियों के अजीब बर्ताव से परेशान होना पड़ता है।
पद भर्ती के पत्र पर सकारात्मक पहल नहीं, जरूरत पड़ने पर बाहर से बुलाते हैं :कैदियों को तनाव मुक्त रखने, व्यसन छूटने से होने वाले शारीरिक व मानसिक परिणाम को देखते हुए उसेे सुधारने के लिए यहां 1 मानसोपचार विशेषज्ञ व 2 मनोचिकित्सक के पदों की मंजूरी दी गई है। 2015 तक यहां स्थायी भर्तियां की गई थी। 2015 में मानसोपचार विशेषज्ञ डॉ. सलीम मुजावर सेवानिवृत्त हुए। तब से यह पद रिक्त है। जेल प्रशासन ने स्वास्थ्य संचालक को तीनों पदों पर स्थायी भर्ती करने के लिए पत्र दिया है, लेकिन इस पर सकारात्मक पहल नहीं की गई है। सूत्रों ने बताया कि करीब 12 दिन पहले यहां एक महिला मनोचिकित्सक थी। यह मनोचिकित्सक 11 महीने के कॉन्ट्रैक्ट पर थी। उसका नया कॉन्ट्रैक्ट बनाया नहीं गया है। यहां स्थायी पद नहीं भरे जाते, बल्कि 11-11 महीने के कॉन्ट्रैक्ट पर ही सेवा ली जाती है। अब तीनों पद रिक्त होने से जेल प्रशासन को जरुरत पड़ने पर प्रादेशिक मनोचिकित्सालय से कैदियों की मानसिक जांच व उपचार के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर बुलाने पड़ते हैं।

Created On :   13 Oct 2023 10:53 AM IST

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