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योजना: सरकारी स्वास्थ्य योजना, बीमारी का पता लगने पर ही करना पड़ता है योजना में पंजीयन,
- सूचीबद्ध बीमारी में शामिल मरीज को मिलता है याेजना का लाभ
- छोटी-बड़ी कुल 996 बीमारियां सूचीबद्ध
- नागपुर जिले में 43 अस्पताल हैं शामिल
डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी अस्पतालों पर हमेशा यह आरोप लगाया जाता है कि मरीजों का तत्काल महात्मा ज्योतिबा फुले जनस्वास्थ्य योजना (एमजेपीजेवाई) पंजीयन नहीं किया जाता। जबकि ऐसा जानबूझकर नहीं किया जाता। इस योजना के कुछ नियम है, जिसके बाद ही योजना का लाभार्थी बन सकते हैं। महात्मा ज्योतिबा फुले जनस्वास्थ्य योजना, आयुष्मान भारत और प्रधानमंत्री जनस्वास्थ्य योजना को एकत्रित स्वरूप में चलाया जाता है। तीनों योजना के लाभार्थियों को राज्य में महात्मा ज्योतिबा फुले जनस्वास्थ्य योजना (एमजेपीजेवाई) के नाम से ही प्राथमिकता दी जाती है। इस योजना में छोटी-बड़ी कुल 996 बीमारियां सूचीबद्ध हैं। इसके अलावा सरकारी व निजी अस्पतालों में इन बीमारियों का मुफ्त इलाज का प्रावधान है। लेकिन आम समझ यह है कि सरकारी अस्पतालों में आनेवाले हर मरीज की बीमारी को याेजना का लाभ मिलता है। हालांकि ऐसा नहीं है। जो मरीज सूचीबद्ध बीमारी में शामिल होता है, उसी को याेजना का लाभ मिलता है।
सूचीबद्ध 996 बीमारी में शामिल होना जरूरी : कुछ मरीज यह आरोप लगाते है कि उन्हें योजना में शामिल नहीं किया जा रहा है। इसका भी एक नियम है। किसी भी मरीज को योजना का लाभार्थी बनाने से पहले उसकी बीमारी की जांच की जाती है। जब डॉक्टर द्वारा जांच के बाद बीमारी का पता चलता है तो ही आगे की प्रक्रिया पूरी की जाती है। यदि उस मरीज की बीमारी सूचीबद्ध 996 बीमारियों में शामिल होगी, तो उसका पंजीयन अस्पताल में स्थापित एमजेपीजेवाई केंद्र में किया जाता है।
दस्तावेजों में होती हैं खामियां : नागपुर जिले में 43 अस्पताल सूचीबद्ध हैं, जो एमजेपीजेवाई इस योजना अंतर्गत जांच व उपचार करते हैं। कई बार लाभार्थी को योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। इसका कारण दो प्रमुख दस्तावेजों की कमी होती हैं। अक्सर आधार कार्ड व राशन कार्ड पर लाभार्थी की जानकारियों में खामियां होती हैं। ऐसे में पंजीयन के बावजूद लाभ मिलने में कठिनाई आती है।
आपात स्थिति में उपचार को प्राथमिकता : शहर के दूसरे सबसे बड़े सरकारी मेयो अस्पताल में बीते समय में इस तरह के दो-तीन मामले सामने आए थे। उस समय मेयो प्रशासन व एमजेपीजेवाई केंद्र को जिम्मेदार बताया गया था। लेकिन इसके पिछे का सच समझने को लोग तैयार नहीं होते। जबकि आपात स्थिति में पहले उपचार को ही प्राथमिकता दी जाती है।
यदि पहले से पंजीयन किया गया और बाद में सूचीबद्ध बीमारी नहीं होने पर पंजीयन रद्द होकर लाभ नहीं मिला तो उसका ठीकरा भी अस्पताल पर फोड़ दिया जाता है। इसलिए नियमानुसार पहले जांच व बाद में पंजीयन किया जाता है।
Created On :   21 Feb 2024 2:31 PM IST