अनदेखी: नागपुर के सरकारी अस्पतालों में 22 सामाजिक अधीक्षक, शाम के बाद एक भी नहीं

नागपुर के सरकारी अस्पतालों में 22 सामाजिक अधीक्षक, शाम के बाद एक भी नहीं
  • मेडिकल, सुपर, ट्रामा व मेयो में कुल मिलाकर हैं 22 एसएस
  • शाम के समय अस्पताल आने वालों को होती है परेशानी
  • शिकायतों के बावजूद कोई ध्यान नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर। सरकारी अस्पतालों में शाम के बाद एसएस (सामाजिक अधीक्षक) नहीं होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। जानकारी के अभाव में भागदौड़ करनी पड़ती है। मेडिकल, सुपर, ट्रामा व मेयो में कुल मिलाकर 22 एसएस हैं लेकिन शाम को एक की भी ड्यूटी नहीं होती। इस संबंध में मेयो प्रशासन से शिकायत भी की गई है।

5.45 बजे ड्यूटी खत्म: सरकारी अस्पतालों में उपचार के लिए आने वालों में गरीब व मध्यमवर्गीय लोग होते हैं। परिवार के किसी सदस्य की तबीयत खराब होने पर वे मेडिकल व मेयाे का रुख करते हैं। उपचार के लिए आने वाले मरीज का कोई समय नहीं होता। दिन हो या रात, कभी भी तबीयत बिगड़ सकती है। जब अस्पताल में शाम 5.45 बजे तक मरीज व उसके परिजन पहुंचते हैं, तो उन्हें एसएस मिल जाते हैं। उपचार के लिए या अन्य कामों के लिए जानकारी मिल जाती है, लेकिन 5.45 बजे के बाद सरकारी अस्पतालों में एक भी एसएस नहीं होता। जानकारी देने वाला कोई नहीं होने से लोगों को यहां-वहां भाग दौड़, इससे-उससे पूछताछ करते रहना पड़ता है। इस कारण समय खराब होता है। उपचार प्रक्रिया शुरू होने में विलंब होता है।

मेडिकल में 16 आैर मेयो में 6 एसएस : शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में 11, मेडिकल से संलग्न सुपर स्पेशलिटी में 4, ट्रामा केयर सेंटर में 1, इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) में 6 एसएस है। पहले ट्रामा केयर सेंटर में 2 एसएस थे। कुछ समय पहले एक का तबादला होने से अब वहां एक पद रिक्त है। इस तरह कुल 22 एसएस सेवा देते हैं। उनकी सेवा का समय सुबह 9.45 से शाम 5.45 है। शाम को 5.45 के बाद किसी भी अस्पताल में एसएस नहीं होते।

रात में भी ड्यूटी होना जरूरी : पेशंटस् राइट फोरम के राज खंडारे ने बताया कि मेयो में एसएस तो दिखते ही नहीं। कब आते, कब जाते, कहां बैठते किसी का कुछ पता नहीं हाेता। इस बारे में मेयो प्रशासन से शिकायत भी की गई है। उन्होंने दिन में सेवा देने वालों की संख्या कम कर शाम के बाद भी कुछ एसएस की ड्यूटी लगाने की मांग की है। दिन के मुकाबले रात में अस्पतालों में कर्मचारियों की संख्या, डॉक्टरों की संख्या कम होती है। ऐसे में आने वाले मरीजों को सही मार्गदर्शन करने वाले एसएस का होना जरूरी है। एसएस द्वारा केस पेपर तैयार करने से लेकर डॉक्टर के साथ समन्वय कर उपचार के लिए सभी जानकारी दी जाती है। जरुरत पड़ने पर संबंधित मरीज का उपचार किया जा रहा है या नहीं, इसकी निगरानी भी की जाती है।

उचित जानकारी नहीं मिल पाती है : सबकी ड्यूटी दिन में ही होती है। शाम को आनेवाले मरीज या उनके परिजनों को एसएस नहीं मिलने से उपचार संबंधित जानकारी पाने के लिए इससे-उससे पूछताछ करनी पड़ती है। कुछ कर्मचारी जानकारी होने के बावजूद नहीं देते। वहीं कुछ ऐसे कर्मचारी मरीज को अलग-अलग कारण बताकर अगले दिन आने को कहकर वापस जाने की सलाह देते हैं। इस चक्कर में मरीज व उनके परिजन परेशान हो जाते हैं।


Created On :   28 Jun 2024 6:45 AM GMT

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