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प्रक्रिया रोकी: अब पंप से नहीं प्राकृतिक तौर पर अंबाझरी तालाब का पानी कम होने का किया जाएगा इंतजार
- महानगरपालिका के जलप्रदाय विभाग और जलसंपदा विभाग ने लिया निर्णय
- रोजाना बांध से करीब 2 लाख लीटर पानी का विसर्जन हो रहा
- अप्रैल में जलस्तर का सर्वेक्षण किया जाएगा
नीरज दुबे, नागपुर। महानगरपालिका के जलप्रदाय विभाग और जलसंपदा विभाग ने अंबाझरी बांध काे फिलहाल कृत्रिम रूप से खाली करने की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया है। रोजाना बांध से करीब 2 लाख लीटर पानी का विसर्जन हो रहा है। अप्रैल माह तक विसर्जन और वाष्पीकरण प्रक्रिया के बाद बांध के जलस्तर का सर्वेक्षण होगा। इस दौरान जलस्तर के कम होने से जलसंपदा विभाग को काम में सुविधा होने पर बांध को पंप की सहायता से खाली नहीं किया जाएगा। अंबाझरी के जलस्तर का निरीक्षण करने के बाद जलसंपदा विभाग के मुख्य अभियंता प्रकाश पवार और मनपा की जलप्रदाय विभाग की अधीक्षक अभियंता श्वेता बनर्जी की संयुक्त बैठक हुई। इस बैठक में 1 अप्रैल के बाद बांध के जलस्तर के आधार पर अतिप्रवाह बिंदु (ओवरफ्लो प्वाइंट) पर स्पिलवे गेट का निर्माणकार्य आरंभ करने को लेकर निर्णय लिया जाएगा।
प्राकृतिक खतरे के चलते बदला निर्णय : कुछ दिनों पहले जलसंपदा विभाग ने बांध के टो ड्रेन और स्पील वे दुरूस्ती के लिए मनपा को निर्देश दिया था। इस निर्देश में बांध के समीप के 83 पेड़ों को समूल काटकर हटाने की मांग उद्यान विभाग से की। वहीं दूसरी ओर जलप्रदाय विभाग से बांध की कुल जलसंचय क्षमता 8.35 दशलघमी के 50 फीसदी जलस्तर को कम करने की भी मांग थी। जलप्रदाय विभाग की ओर से बांध के जलस्तर को कम करने को लेकर अलग-अलग रूप में शोध एवं सर्वेक्षण किया गया। इस दौरान बांध के जलस्तर को प्राकृतिक रूप से कम करने के लिए इंतजार करने का निर्णय लिया गया।
खतरे को देखते हुए लिया निर्णय : जलविशेषज्ञों के मुताबिक अंबाझरी के जलस्तर को कृत्रिम रूप से खाली करने से बांध के जलचरों को गंभीर खतरे होने लगेगा। इतना ही नहीं बांध के जलस्तर के कम होने पर परिसर के प्राकृतिक जलस्रोत और कुएं का जलस्तर भी कम होगा। ऐसे में अब दोनों विभाग ने बांध के जलस्तर को वाष्पीकरण और ग्रेविटी फोर्स से नियमित रूप से रोजाना 2 लाख लीटर पानी के विसर्ग का निर्णय लिया है। 14 फरवरी से ग्रेविटी फोर्स से जलविसर्ग की प्रक्रिया को आरंभ कर दिया गया है।
अप्रैल माह में होगा अंतिम निर्णय : अंबाझरी बांध से प्रतिदिन करीब 2 लाख लीटर जलविसर्ग हो रहा है। ऐसे में एक माह के भीतर जलस्तर के कम होने का अनुमान है। इसके साथ वाष्पीकरण प्रक्रिया में भी जलस्तर कम होगा। दोनों स्थिति को लेकर अप्रैल माह में समीक्षा की जाएगी। निर्माणकार्य और दुरूस्ती कामों की आवश्यकता अनुरूप जलस्तर कम होने पर कृत्रिम रूप से खाली नहीं किया जाएगा। कृत्रिम रूप से खाली कराने में करीब 5 करोड़ की राशि खर्च होने के साथ ही जलचरों को खतरा होने की भी संभावना है। -डॉ. श्वेता बनर्जी, अधीक्षक अभियंता, जलप्रदाय विभाग
परिसर में जलस्तर कम होने की आशंका : अंबाझरी बांध की दुरूस्ती में अब कृत्रिम रूप से जलस्तर को खाली कराने की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है। जलसंपदा विभाग को बांध के टो-ड्रेन और स्पील वे की दुरूस्ती के लिए बांध के भीतरी स्तर तक पहुंचने में दिक्कत हो रही थी। ऐसे में मनपा से जलस्तर को कम कराने का निर्देश दिया था, लेकिन कृत्रिम रूप से जलस्तर कम करने में तालाब के भीतर के जलचरों को खतरे और परिसर के जलस्तर कम होने की संभावना को देखते हुए प्रक्रिया को रोक दिया गया है। जलसंपदा विभाग और मनपा के जलप्रदाय विभाग ने अब प्राकृतिक रूप से ग्रेविटी फोर्स और वाष्पीकरण से जलस्तर कम होने के लिए अप्रैल माह तक इंतजार करने का फैसला किया है। हालांकि इस प्रक्रिया में इस साल गर्मी में बांध की दुरूस्ती और गोडबोले गेट के लगने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाएंगी।
3 चरण में होगी दुरूस्ती
1.अप्रैल में जलस्तर कम होने पर बांध की मजबूतीकरण की जाएंगी
2.इसके बाद टो ड्रेन और स्पील वे को तैयार करेगें
3.इसके बाद ओवरफ्लो प्वाइंट पर गोडबोले गेट को तैयार किया जाएगा। गोडबोले गेट के माध्यम से निर्धारित सामान्य स्तर से ऊंचाई पर पानी पहुंचने पर स्वचालित गेट खुलने से जलविसर्ग आरंभ हो जाता है।
Created On :   3 March 2024 2:26 PM IST