समस्या: मशीनों की कमी को देखते हुए मेडिकल हास्पिटल कैंसर विभाग के पीजी की 5 सीटों पर रोक

मशीनों की कमी को देखते हुए मेडिकल हास्पिटल कैंसर विभाग के पीजी की 5 सीटों पर रोक
  • एनएमसी ने लिया निर्णय
  • दोनों मशीनें खरीदने की गतिविधियां तेज
  • मेडिकल ने इस संदर्भ में एनएमसी को भेजा पत्र

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) के रेडिएशन थेरेपी व कैंसर विभाग को लीनियर एक्सेलेरेटर मशीन मिल नहीं पाई है। यहां की ब्रेकीथेरेपी मशीन भी बंद है। इस कारण राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने यहां के स्नातकोत्तर की 5 सीटों पर प्रवेश प्रक्रिया रोक दी है। इसके बाद मेडिकल प्रशासन ने दोनों मशीनें खरीदने की गतिविधियां तेज कर दी हैं। इस विषय को लेकर मेडिकल द्वारा एक पत्र एनएमसी को देने की जानकारी सूत्रों ने दी है।

प्रवेश पर रोक उचित नहीं : कैंसर विभाग की मशीनें खरीदने के विषय से सबंधित एक याचिका न्यायालय में विचाराधीन है। मशीन नहीं होने के कारण एनएमसी द्वारा पीजी का प्रवेश रोकना उचित नहीं है। मशीनें खरीदने की प्रक्रिया शुरू है। इस संबंध में एनएमसी को पत्र दिया गया है। इसकी जानकारी न्यायालय को दी गई है -डॉ. राज गजभिये, अधिष्ठाता, मेडिकल नागपुर

राज्य में 29, नागपुर में 5 सीटें : राज्य में नागपुर व औरंगाबाद के दो शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल में रेडिएशन थेरेपी विषय पर स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चलाया जाता है। निजी अस्पतालों में मुंबई के टाटा, लोणी का कॉलेज, सेवाग्राम व अन्य एक अभिमत विद्यापीठ में 22 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया जाता है। राज्य में इस पाठ्यक्रम की 29 सीटें हैं। सरकारी में 5 नागपुर व 2 औरंगाबाद में सीटें हैं। पहले से सीटें कम हैं। नागपुर से 5 सीटें कम होने से 24 सीटें ही रह जाएंगी। इससे विद्यार्थियों का नुकसान होगा।

कालबाह्य कोबाल्ट मशीन से रेडिएशन : नागपुर समेत राज्यभर में कैंसर रोगियाें की संख्या बढ़ रही है। बावजूद सरकारी अस्पतालों में सुविधाएं व संसाधनों की कमी है। नागपुर के मेडिकल में कालबाह्य हो चुकी कोबाल्ट मशीन का उपयोग रेडिएशन के लिए हो रहा है। इस मशीन को 19 साल हो चुके हैं। 2018 में इस मशीन के स्थान पर लीनियर एक्सेलेरेटर खरीदने के लिए 23.20 करोड़ रुपए की मंजूरी मिली, लेकिन अब तक यह मशीन खरीदी नहीं गई है। सूत्रों के अनुसार चिकित्सा शिक्षा विभाग की तरफ से यंत्र खरीदने की प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी एनएमसी को पत्र में दी गई है।

पांच साल से ब्रेकीथेरेपी बंद : स्तन कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, गले का कैंसर आदि मरीजों को रेडिएशन देने के लिए ब्रेकीथेरेपी मशीन महत्वपूर्ण है। यह मशीन 2019 से बंद पड़ी है। नई मशीन खरीदने के लिए निधि मंजूर होने के बावजूद पांच साल से खरीदी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। बताया गया कि यह मशीन खरीदी पुर्नप्रक्रिया में अटकी है।

Created On :   9 July 2024 3:48 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story