नीट एग्जाम: पाठ्येत्तर सवाल के बदले अंकों का दावा करने वाले छात्र की याचिका खारिज

पाठ्येत्तर सवाल के बदले अंकों का दावा करने वाले छात्र की याचिका खारिज
  • कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दिया फैसला
  • प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर व सवाल गलत पूछने की शिकायत
  • कोर्ट ने कहा - नीट परीक्षा के लिए एनसीईआरटी एकमात्र स्रोत नहीं

डिजिटल डेस्क, नागपुर । शहर के एक छात्र की ओर से नीट 2024 की परीक्षा में फिजिक्स और बॉटनी के प्रश्न पत्रों में पाठ्येत्तर एवं गलत सवाल पर दायर याचिका बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने खारिज कर दी। कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह याचिका खारिज कर दी। न्या. अविनाश घरोटे और न्या. एम. डब्ल्यू. चांदवानी ने यह फैसला दिया।

याचिका में यह दावा : नागपुर खंडपीठ में शौरीन शमिक आंबटकर नामक छात्र ने यह याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अनुसार, नीट 2024 की परीक्षा में फिजिक्स के पेपर में प्रश्न संख्या 11, जो रेडियो एक्टिविटी से संबंधित था, यह प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर का था। साथ ही बॉटनी विषय के लिए प्रश्न संख्या 148 के संबंध में गलत सवाल पूछा गया। चूंकि प्रश्न पाठ्यक्रम से बाहर है और दूसरा सवाल गलत पूछा गया, इसलिए याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह दोनों सवालों के अंक का हकदार है।

कोर्ट ने समिति गठित की थी : कोर्ट ने प्रश्न पत्र में इन विवादास्पद प्रश्नों की प्रमाणिकता की जांच करने के लिए उन विषयों पर दो अलग-अलग समितियों का गठन किया था। फिजिक्स के विशेषज्ञ समिति ने रिपोर्ट दी है कि नीट परीक्षा में फिजिक्स में रेडियो एक्टिव के बारे में पूछा गया सवाल सिलेबस में ही है। याचिकाकर्ता ने इस रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया, इसलिए कोर्ट ने फिजिक्स विषय से संबंधित याचिका का निपटारा कर दिया था। बॉटनी के विशेषज्ञों की समिति ने रिपोर्ट दी कि यह सवाल सही है। इस पर याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि संबंधित प्रश्न बारहवीं कक्षा की एनसीईआरटी पुस्तक में नहीं है। इसलिए हाई कोर्ट ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) से स्पष्टीकरण मांगा था। पिछली सुनवाई में एनटीए ने अपने जवाब में कहा था कि, नीट परीक्षा के लिए एनसीईआरटी एकमात्र स्रोत नहीं है। दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।

अदालत का निरीक्षण : बुधवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि एनटीए द्वारा गठित इन-हाउस समिति की राय हमारे द्वारा नियुक्त समिति की राय और दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुरूप है। इसलिए कोर्ट ने इस मामले में आगे विचार करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ विधिज्ञ अक्षय नाईक एवं एड. राेहन देव और एनटीए की ओर से वरिष्ठ विधिज्ञ रुपेश कुमार ने पैरवी की।

Created On :   16 Aug 2024 8:05 AM GMT

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