फटकार: जाम पर पुलिस उपायुक्त को चेतावनी, हालात नहीं बदले, तो आपकी बदली कर देंगे

जाम पर पुलिस उपायुक्त को चेतावनी, हालात नहीं बदले, तो आपकी बदली कर देंगे
  • कोर्ट ने जताई नाराजगी
  • यातायात की समस्या को लेकर सातव पर लापरवाही का आरोप
  • दायर की गई है पहले भी जनहित याचिका

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में ट्रैफिक जाम की समस्या बढ़ रही है, लेकिन यातायात सुचारू और नियंत्रित करने को लेकर यातायात विभाग असफल साबित हो रहा है। हाई कोर्ट क्षेत्र के चौक में ही ट्रैफिक जाम का ऐसा हाल है, तो शहर के बाकी चौक के यातायात का क्या हाल होगा? यह सवाल करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने गुरुवार को ट्रैफिक पुलिस उपायुक्त शशिकांत सातव को जमकर फटकार लगाई। कई जनहित याचिकाओं के मामलों में यातायात की समस्या को लेकर सातव गंभीर नहीं दिखे, ऐसी मौखिक टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि यही हाल रहा तो सीधे सरकार को आदेश देकर आपकी ट्रांसफर करने को कहा जाएगा।

आंखों देखी स्थिति परेशान करने वाली : अंबाझरी बांध की सुरक्षा को लेकर दायर जनहित याचिका पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान अंबाझरी परिसर में विकास कार्यों के कारण हो रहे ट्रैफिक जाम का मुद्दा उठाया गया। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में शहर के हर चौक में यातायात की समस्या उत्पन्न हो रही है। हाई कोर्ट क्षेत्र के चौक में ही सामान्य लोगों को ट्रैफिक जाम का सामना करते हुए हमने देखा है। इससे साफ है कि पुलिस उपायुक्त यातायात व्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं हैं।

अगली सुनवाई 22 को : न केवल इस मामले में, बल्कि दो-तीन अन्य मामलों में भी शशिकांत सातव की भूमिका कोर्ट के सामने नकारात्मक दिखी। इसलिए हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए ट्रैफिक उपायुक्त को जमकर फटकारा। साथ ही सातव को अगली सुनवाई के दौरान पुलिस आयुक्त के साथ उपस्थित होकर जवाब दाखिल करने का मौखिक आदेश दिया। अगली सुनवाई 22 जुलाई को तय की गई है।

इसके पहले भी फटकार : ठेकेदार ने फ्रीडम पार्क मेट्रो स्टेशन टनल का काम शुरू करने से पहले ट्रैफिक डायवर्ट करने की अनुमति मांगी थी। यातायात पुलिस उपायुक्त ने बिना कोई यातायात अध्ययन कराए ठेकेदार को तत्काल अनुमति दे दी। इसी बात पर कोर्ट ने कड़े शब्दों में फटकार लगाई थी। कोर्ट ने अंबाझरी ट्रैफिक जाम के मुद्दे पर वैकल्पिक मार्ग उपाय तैयार करने का आदेश दिया था। हालांकि, ट्रैफिक पुलिस उपायुक्त इस मुद्दे पर सकारात्मक निदान नहीं दे सके, इसलिए हाई कोर्ट ने सातव की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाते हुए फटकारा।

Created On :   12 July 2024 8:00 AM GMT

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