अड़ंगा: वैधानिक विकास मंडल के गठन का प्रस्ताव 2 साल से लंबित, केंद्र के रवैये पर नाराजगी

वैधानिक विकास मंडल के गठन का प्रस्ताव 2 साल से लंबित, केंद्र के रवैये पर नाराजगी

    डिजिटल डेस्क, नागपुर । बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने केंद्र सरकार को आखिरी मौका देते हुए वैधानिक विकास मंडल का गठन करने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर फैसला लेने के आदेश दिए थे। इसके बाद भी केंद्र सरकार द्वारा अब तक कोई भी फैसला नहीं लिया गया। राज्य सरकार का यह प्रस्ताव केंद्र के पास 2 साल से लंबित है और पिछले 4 साल से यह बोर्ड काम नहीं कर रहा है। केंद्र सरकार के इस रवैये पर बुधवार को कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए आदेश दिया कि यदि ऐसा ही चलता रहा, तो हम योग्यता के आधार पर याचिका पर सुनवाई करेंगे।

    कोर्ट ने अल्टीमेटम दिया था : नागपुर खंडपीठ में स्वतंत्र विदर्भ समर्थक नितीन रोंघे और विदर्भ विकास मंडल के पूर्व सदस्य डॉ. कपिल चंद्रायण द्वारा जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका के अनुसार, राज्यपाल के पास संविधान के अनुच्छेद 371 (2) के तहत वैधानिक विकास मंडल गठित करने का विशेष अधिकार है। इस बीच, याचिका में कहा गया है कि राज्य कैबिनेट से निर्देश नहीं मिलने के कारण विकास मंडल का मामला रुका हुआ है। इसलिए कोर्ट ने राज्य सरकार को वैधानिक विकास मंडल की स्थापना के लिए एक कार्यक्रम प्रस्तुत करने का अल्टीमेटम दिया था।

    चार सप्ताह में निर्णय लेने को कहा था : कोर्ट के आदेश बाद राज्य सरकार ने सितंबर 2022 में कैबिनेट में वैधानिक विकास मंडल की स्थापना का प्रस्ताव तैयार किया और मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने केंद्र सरकार को आखिरी मौका देते हुए वैधानिक विकास मंडल का गठन करने के संबंध में राज्य सरकार द्वारा भेजे गये प्रस्ताव पर चार सप्ताह में निर्णय लेने के आदेश दिया था। विशेष बात यह है कि, इस बारे में राज्यपाल ने खुद दो बार केंद्र सरकार को स्मरण-पत्र भेजा है।

    गृह विभाग के पास विचाराधीन : मामले पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। केंद्र सरकार की ओर से डिप्टी सॉलिसिटर जनरल एड. नंदेश देशपांडे ने कोर्ट को बताया कि, यह प्रस्ताव केंद्र सरकार की ओर से गृह विभाग के पास विचाराधीन है। साथ ही इस प्रस्ताव को स्वीकार करने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रपति के पास है। यह प्रस्ताव कैबिनेट द्वारा राष्ट्रपति को भेजा जाएगा। आख़िरकार केंद्र की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आने पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ताओं की ओर से एड. फिरदौस मिर्झा, एड. अक्षय सुदामे ने पैरवी की। मामले पर 3 जुलाई को अगली सुनवाई रखी है।



    Created On :   27 Jun 2024 12:47 PM IST

    Tags

    और पढ़ेंकम पढ़ें
    Next Story