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सारस संवर्धन : कीटनाशक घातक, जैविक खेती ही विकल्प
- जैविक खेती ही विकल्प
- कीटनाशक घातक
डिजिटल डेस्क, नागपुर. विदर्भ में तेजी से कम हो रहे सारस पक्षियों के संवर्धन के मुद्दे पर केंद्रित सू-मोटो जनहित याचिका पर हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सुनवाई हुई, जिसमें गोंदिया जिला कृषि अधीक्षक ने हाई कोर्ट में अपना शपथपत्र प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश पर गोंदिया जिलाधिकारी ने सारस संवर्धन समिति की बैठक लेकर जरूरी निर्देश, तो जारी किए ही हैं, साथ ही कृषि विभाग ने भी क्षेत्र के किसानों की मदद से सारस पक्षियों के संवर्धन का बीड़ा उठाया है।
लाइसेंस रद्द किया अधीक्षक के अनुसार सारस पक्षियाें के प्राकृतिक आवास के पास होने वाली खेती में प्रतिबंधित कीटनाशकों का इस्तेमाल हो रहा था, जो सारस पक्षियों के लिए हानिकारक है, इसलिए कृषि विभाग ने जिले में कुल 9 उड़नदस्ते बनाए, जिन्होंने बीते कुछ महीनों में कुल 699 कीटनाशक बिक्री दुकानों का निरीक्षण किया। इस कार्रवाई में एक दुकान पर 829 किलो प्रतिबंधित फोरेट कीटनाशक पाया गया। इस दुकान विक्रेता का लाइसेंस रद्द करके उस पर एफआईआर दर्ज की गई है।
किसानों को जागरूक किया
कृषि विभाग द्वारा सुधारात्मक उपाय करते हुए 74 गांवों में 25 जून से 1 जुलाई के बीच किसानों के लिए कृषि संजीवनी सप्ताह का आयोजन करके उनके बीच सारस पक्षियों के संवर्धन के प्रति जनजागृति की गई, वहीं क्षेत्र में जैविक खेती को बढ़ावा देते हुए 2525 किसानों को कीट पकड़ने के लिए जाल वितरित किए गए, साथ ही जैविक खाद खरीदने के लिए 500 किसानों में डीबीटी योजना के तहत 1.50 करोड़ रुपए की निधि भी बांटी गई।
प्रस्ताव सरकार के पास लंबित
चंद्रपुर के जिलाधिकारी विनय गौड़ा ने हाई कोर्ट में प्रस्तुत अपने शपथपत्र में कोर्ट को बताया कि उन्होंने जिले में सारस पक्षियों के संवर्धन के लिए प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे लागू करने के लिए 2 करोड़ 32 लाख रुपए की जरूरत है। जिलाधिकारी ने निधि मंजूर कराने के लिए प्रदेश के राजस्व विभाग को प्रस्ताव भेजा है, जो अभी सरकार के पास विचाराधीन है। हाई कोर्ट ने इस जानकारी को रिकॉर्ड पर लेकर सुनवाई स्थगित कर दी। एड. राधिका बजाज ने बतौर न्यायालय मित्र पैरवी की।
Created On :   1 Sept 2023 5:02 PM IST