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बैंक घोटाला मामला: विधायिकी रद्द होने के बाद केदार के विकल्प की तलाश
- 2014 में मोदी लहर में भी जीते थे चुनाव
- भाजपा हुई सक्रिय, अनेक नेता इच्छुक
- ग्रामीण में भाजपा के लिए बड़ी चुनौती माने जाते रहे हैं
डिजिटल डेस्क, नागपुर. बैंक घोटाला मामले में पांच साल की सजा पाने के बाद विधायक सुनील केदार की विधायिकी रविवार को रद्द कर दी गई। सजा मिलने के बाद उनके छह साल तक चुनाव लड़ने पर बंदी रहेगी। अगर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिलती है, तो कांग्रेस सहित उनके समर्थकों के लिए यह बड़ा झटका साबित हो सकता है। केदार की सदस्यता रद्द होने के बाद भाजपा उत्साहित है, लेकिन कांग्रेस के सामने सावनेर में विकल्प का अभाव है। वर्ष 2014 में मोदी लहर के बावजूद संपूर्ण नागपुर जिले से कांग्रेस को एकमात्र जीत दिलाने वाले सुनील केदार ही थे। केदार अपने निर्वाचन क्षेत्र के अलावा ग्रामीण में भी दबदबा रखते हैं। ग्रामीण में भाजपा के लिए वे बड़ी चुनौती माने जाते रहे हैं। केदार सहकार आंदोलन का प्रतिनिधित्व करते हैं। बाजार समिति, सहकारी सोसायटी, पंचायत समिति, जिला परिषद, रामटेक लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में उन्हें रोकना भाजपा को कभी जमा नहीं। नागपुर जिला परिषद पर उनका एकछत्र राज है।
विदर्भ की राजनीति में भी उनका असर देखा जाता है। महाविकास आघाड़ी सरकार में वे वर्धा जिले के पाललकमंत्री रहे। महाविकास आघाड़ी की वज्रमूठ सभा के निमित्त उनके नेतृत्व का विकास विदर्भव्यापी रहा। इस अपात्रता के कारण उनका विस्तार रुक गया। केदार की विधायिकी रद्द होने का सबसे ज्यादा फायदा भाजपा को होगा, क्योंकि केदार का नेतृत्व सीधे जनता और कार्यकर्ताओं से कनेक्ट बताया जाता है। इसका असर मोदी लहर में भी नागपुर में दिखा। फिलहाल विधायिकी जाने से भाजपा एक्टिव मोड में आ गई है। आशीष देशमुख, राजीव पोतदार जैसे अनेक नेता भविष्य के दावेदार बताए जा रहे हैं। कुछ नये नामों की भी चर्चा है। कांग्रेस के सामने चुनौती खड़ी है। ऐन लोकसभा चुनाव के पहले विधायिकी रद्द होने से उनकी कमी को भर पाना मुश्किल है। सावनेर में उनका विकल्प भी नहीं है। ऐसे में केदार परिवार से ही किसी चेहरे के सामने आने की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा रहा है।
Created On :   25 Dec 2023 7:07 PM IST