मांग: दीक्षाभूमि में अंरडग्राउंड पार्किंग के लिए दें स्वास्थ्य विभाग की जमीन

दीक्षाभूमि में अंरडग्राउंड पार्किंग के लिए दें स्वास्थ्य विभाग की जमीन
  • सरकार को आवश्यक आदेश देने की मांग
  • दीक्षाभूमि की अंडरग्राउंड पार्किंग को लेकर चल रहा विवाद
  • स्वास्थ्य विभाग की 16.44 एकड़ और कपास अनुसंधान संस्थान की 3.84 एकड़ जमीन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दीक्षाभूमि की अंडरग्राउंड पार्किंग को लेकर चल रहा विवाद सुलझाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की 16.44 एकड़ और कपास अनुसंधान संस्थान की 3.84 एकड़ जमीन देने का अनुरोध करते हुए एड. शैलेश नारनवरे ने बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर खंडपीठ ने जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप कर राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश देने की मांग भी की गई है। डॉ. नारनवरे ने शेगांव मंदिर की तर्ज पर दीक्षाभूमि को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की मांग याचिका में की है। इस याचिका पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री सुनवाई करेंगे।

2015 से लंबित है मांग : डॉ. बाबासाहेब अांबेडकर स्मारक समिति ने 3 नवंबर 2015 को राज्य सरकार को एक ज्ञापन सौंपकर स्वास्थ्य विभाग व कपास अनुसंधान की जमीन को दीक्षाभूमि के लिए अधिग्रहित करने की मांग की थी। इस संबंध में समय-समय पर रिमाइंडर भी भेजे गए। हालांकि, अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यदि ये जमीनें दीक्षाभूमि को दी जाती हैं, तो अंडरग्राउंड पार्किंग का विवाद भी सुलझ जाएगा और आंबेडकरी नागरिकों की भावनाएं शांत हो जाएंगी, ऐसा अनुरोध याचिका में किया गया है।

यह है जनहित याचिका : याचिका के अनुसार दीक्षाभूमि में हर साल धम्मचक्र प्रवर्तन दिन पर देश-विदेश से लाखों अनुयायी आते हैं। इस मौके पर अनुयायियों की भीड़ और उसकी तुलना में बुनियादी सुविधाओं की कमी को देखते हुए लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। विशेष यह है कि, दीक्षाभूमि को "ए' पर्यटन का दर्जा प्राप्त है, इसलिए शेगांव मंदिर की तर्ज दीक्षाभूमि का भी विकास किया जाए।

विकासकार्यों का विरोध कोर्ट की अवमानना : एड. शैलेश नारनवरे ने 11 दिसंबर 2018 को नागपुर खंडपीठ में यह जनहित याचिका दायर की। इस याचिका पर संज्ञान लेकर हाई कोर्ट ने समय-समय पर दिए आवश्यक आदेशों के कारण दीक्षाभूमि के व्यापक विकास योजना तैयार की गई है। यह योजना तीन चरणों में लागू की जाएगी। प्रथम चरण में 200 करोड़ के कार्य किए जा रहे हैं, इसलिए इन विकास कार्यों को रोकना और उनमें हस्तक्षेप करना हाई कोर्ट की अवमानना ​​है, यह मुद्दा भी एड. नारनवरे ने याचिका में उठाया है तथा इस मामले की गंभीरता को देखते हुुए प्रशासन को आवश्यक आदेश देने की मांग की गई है।

Created On :   10 July 2024 1:50 PM IST

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