शांति का संदेश: संघ मुख्यालय में स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण, बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा का किया आवाहन

  • सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा स्थिरता को हो प्रयास
  • देश में भी स्थिरता और शांति का आवाहन -
  • एक देश के नाते हम पर भी जिम्मेदारी

डिजिटल डेस्क , नागपुर। स्थिरता और शांति का आवाहन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने किया है। संघ के सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत ने कहा है कि बांग्लादेश में हिंदुओं की रक्षा के लिए भारत सरकार को भी पहल करना चाहिए।बांगलादेश में अस्थिरता का वातावरण है और उसमें हिंदू बंधुओं को अकारण ही उसके परिणाम सहने पड़ रहे है। ऐसी स्थिति में हमारे देश में स्थिरता रहे और अन्य देशों में स्थिरता, शांतता प्रस्थापित करने में हम मदद करें। उन देशों में जो अस्थिरता और अराजकता है, उसके कारण वहां के लोगों पर कोई अन्याय या अत्याचार न हो, उनके कष्ट कैसे दूर किए जा सकते है इसकी भी जिम्मेदारी एक देश के नाते हम पर है। नागपुर में महल क्षेत्र के संघ मुख्यालय में आयोजित 78 वे स्वतंत्रता दिवस समारोह में सरसंघचालक संबोधित कर रहे थे । इस दौरान मंच पर महानगर संघचालक राजेश लोया उपस्थित थे ।

सरसंघचालकजी ने आगे कहा, भारत ऐसा देश है जो अपनी स्वतंत्रता की रक्षा के साथ दुनिया के सभी देशों में रहने वाले मानव के कल्याण के लिए प्रयत्नरत रहता है। इस लिए भारत ने कभी किसी पर आक्रमण नही किया। जब जब जो कोई भी संकट में था तब उसने हमसे कैसा व्यवहार किया इसका विचार न करते हुए उसकी मदद की। दुःख पीड़ित मानव समाज को राहत देने के लिए भारत सदैव प्रयत्नशील रहता है। कुछ मामले हमारे देश की सरकार को अपने स्तर पर करने पड़ते हैं। लेकिन, सरकार को भी यह करने की शक्ति तब मिलती है जब देश का सामान्य समाज देशप्रेम की मनोवृत्ति से, सजगता से, देश के लिए सर्वस्व समर्पण की भावना मन में रखकर अपना व्यवहार करता है।

अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए आंदोलन करने वाले सत्याग्रही और बलिदान देने वाले क्रांतिकारी के साथ जब सामान्य जनशक्ति दृढ़ता से खड़ी हुई तो इन सब के सामूहिक प्रयास से हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई। स्वतंत्रता को स्व के रंग में पूर्णतः रंगना और उसकी रक्षा करना इसका दायित्व हमारे और आगे आने वाले पीढ़ियों पर है । विश्व में वर्चस्व निर्माण करने के अभिलाषी शक्तियों से हमें हमारे देश की रक्षा करनी है। उसके लिए सतत सजग रहना है। हमारे देश के लिए हमने तय किए हुए लोकतंत्र के मार्ग पर चलकर उसके अनुशासन का पालन करना है।

अनेक बलिदानों से दीर्घकाल के संघर्ष के बाद हमने यह स्वतंत्रता पाई है। उसे संभालना, हमारे आचरण से उसे कोई क्षति न हो इसका ध्यान रखना, यह देश के नागरिक और समाज के घटक के नाते हमारा कर्तव्य है। इस कर्तव्यपथ पर अग्रेसर होने के लिए हमारे जीवन में अपने आचरण में छोटी से छोटी बातों में इसका सभी देशवासी ध्यान रखे।


Created On :   16 Aug 2024 9:08 AM GMT

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