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बरतें सावधानी: बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बोधनकर ने प्रशासन-शैक्षणिक संस्थाओं को सुझाया उपाय, ऐसे रोकें संक्रमण
- बढ़ते हुए संक्रमण को लेकर चिन्ता
- डॉ. बोधनकर ने सुझाए संक्रमण से बचने के उपाय
- डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया के लक्षणों का फर्क समझें
- प्रशासन और शैक्षणिक संस्थाओं से संक्रमण को रोकने के लिए खास अपील
डिजिटल डेस्क, नागपुर, तजिन्दर सिंघ। जाने माने बाल रोग विशेषज्ञ और COMHAD UK के कार्यकारी निदेशक डॉ. उदय बोधनकर ने उपराजधानी में बढ़ते हुए संक्रमण को लेकर चिन्ता जताई है। उन्होंने अपनी एक अपील के माध्यम से चिकनगुनिया, डेंगू और मलेरिया जैसे रोगों से लड़ाई के लिए स्कूल- कॉलेज और कोचिंग संस्थानों को लामबंद होने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि बढ़ते हुए संक्रमण का बच्चों में प्रसार रोकने के लिए शैक्षणिक संस्थाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं। एनएमसी आयुक्त, कलेक्टर और शिक्षा विभाग से अपील करते हुए डॉ. उदय बोधनकर कहा कि बच्चे स्कूल- कॉलेज और कोचिंग संस्थानों में ज्यादा वक्त बिताते हैं। दिन का यही वक्त होता है, जब मच्छर रात की तुलना में अधिक सक्रिय होते हैं और काटते हैं। देखा जा रहा है कि बच्चे दिन में मच्छरों के काटने से संक्रमित होते हैं, फिर यह संक्रमण परिवार के अन्य सदस्यों में फैल जाता है। ऐसे में यदि कुछ बिन्दुओं पर विचार कर सख्ती बरती जाए, तो मच्छरों के डंक से काफी हद तक बच्चों को बचाया जा सकता है। खासकर विद्यालयों, महाविद्यालयों और ट्यूशन क्लासिस चलाने वालों को सख्त फैसले लेते हुए, इन उपायों को लागू करना चाहिए।
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बच्चों को संक्रमण से ऐसे बचाएं
1. स्टूडेंट्स को स्कूल यूनिफॉर्म फुल पैंट, ट्राउजर/स्लैक्स, मोजे के साथ पहनने के निर्देश अनिवार्य रूप से दिए जाने चाहिए। इससे डेस्क और बेंच के नीचे मच्छरों के डंक से बचा जा सकेगा और संक्रमण नियंत्रित करने में काफी मदद मिलेगी।
2. विद्यालय या कॉलेज जाते समय कक्षा में प्रवेश करते वक्त मच्छर भगाने वाली क्रीम लगानी चाहिए।
3. संस्थानों में कक्षा शुरू होने से एक घंटे पहले और कक्षा समाप्त होने के बाद मच्छर भगाने वाले वेपोराइजर और हर्बल स्प्रे का उपयोग किया जाए।
4. घरों के अलावा शैक्षणिक संस्थानों में पानी के कंटेनरों को नियमित साफ किया जाना चाहिए, इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि कंटेनर खुले न रहें।
5. आसपास कहीं भी पानी जमा ना होने दें, हर दिन साफ-सफाई की जानी चाहिए। यदि खुले स्थानों में गढ्ढे हैं, तो उन्हें भर देना चाहिए। जिससे पानी जमा नहीं हो सके।
6. परिसर में अतिरिक्त घांस और गैरजरूरी झाड़ियों की नियमित छंटाई करनी चाहिए।
7. पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।
माता-पता को देखना होगा कि घरों और पार्किंग एरिया, गमलों, टंकियों, फ्रिज, कूलर, खुले में पड़े कबाड़ और टायर जैसी चीजों में पानी खड़ा ना रहे। खड़े पानी में मच्छर अपना लार्वा आसानी से दे जाता है। जो मच्छर बनकर मलेरिया, डेंगू जैसी गंभीर बीमारियों का जनक बनता है। ऐसे में बरसात के मौसम में मच्छर ना पनपे इसके लिए पानी खड़ा न रहे इसका ध्यान रखना चाहिए.
डॉ. उदय बोधनकर ने बताया कि बरसात के मौसम में साफ पानी की कमी से बच्चों और बड़ों में उल्टी, दस्त व डायरिया जैसी बीमारियां हो जाती हैं। इसके लिए ORS हमेशा घर में रखें, जरूरत पड़ने पर पानी में घोलकर पीएं, जिससे शरीर में पानी की कमी ना हो सके।
इन बीमारियों के बारे में जानें
चिकनगुनिया चिकनगुनिया वायरस एडीज मच्छरों के काटने से फैलता है, यही प्रजाति डेंगू भी फैलाती है। इसके लक्षण डेंगू से मिलते-जुलते हैं। अचानक बुखार आना और जोड़ों में दर्द होना शामिल है। अन्य लक्षणों में सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, जोड़ों में सूजन या दाने आना शामिल हो सकता है। इसके कारण होने वाला जोड़ों का दर्द महीनों तक रह सकता है। |
मलेरिया मलेरिया प्लास्मोडियम परजीवी के कारण होता है, जो संक्रमित एनोफिलीज मच्छरों के काटने से फैलता है। इसके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना और उल्टी शामिल हैं, जो काटने के 10-15 दिन बाद दिखाई देते हैं। यदि सही दवा के साथ तुरंत इलाज नहीं किया जाता है, तो मलेरिया गंभीर हो सकता है। मलेरिया की उपस्थिति नमी, तापमान और वर्षा जैसी जलवायु स्थितियों पर निर्भर करती है। |
डेंगू बुखार डेंगू बुखार डेंगू वायरस के कारण होता है। जो एडीज एजिप्टी प्रजाति के मच्छरों के काटने से फैलता है। इस बीमारी की विशेषता तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द, चकत्ते और हल्का रक्तस्राव (जैसे, नाक या मसूड़ों से खून आना) है। इसके लक्षण आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने के 4-10 दिन बाद दिखाई देते हैं । |
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डॉ. उदय बोधनकर ने कहा कि चिकनगुनिया, डेंगू और मलेरिया की रोकथाम में प्रिंसिपल, शिक्षक, हेडमास्टर, हेडमिस्ट्रेस, निदेशक, प्रबंधन समिति के सदस्य, माता-पिता, डॉक्टर और जिम्मेदार नागरिक अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हमारे छोटे-छोटे प्रयास संक्रमण के फैलाव को रोकने में कारगर साबित होंगे। जरूरत है जरा सी सावधानी और जागरूकता की।
Created On :   23 Aug 2024 6:47 PM IST