सुविधा: आरटीई सुनवाई के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं, ऑनलाइन भी विकल्प

आरटीई सुनवाई के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं, ऑनलाइन भी विकल्प
  • सुनवाई के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं
  • जानकारी न होने के चलते सीमित संख्या में लोग ही कर रहे इस्तेमाल
  • औद्योगिक सुरक्षा निदेशालय में 39 पद भरे गए

डिजिटल डेस्क, मुंबई. सूचना के अधिकार के कानून के तहत अब महाराष्ट्र में भी मामलों की ऑनलाइन सुनवाई का विकल्प मौजूद है हालांकि अभी यह विकल्प सभी कार्यालयों में उपलब्ध नहीं हैं लेकिन आरटीआई कार्यकर्ता इस बात के खुश है कि कम से कम सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद शुरुआत कर दी गई है। वकील और आरटीआई कार्यकर्ता सतीश शेरखाने ने कहा कि किशनचंद जैन की याचिका पर सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने 31 दिसंबर 2023 तक ऑनलाइन सुनवाई का विकल्प उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। याचिका में खासतौर पर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों की परेशानी का हवाला दिया गया था और सुनवाई के दौरान अदालत ने न्याय में तकनीक को बढ़ावा देने के लिए प्रत्यक्ष सुनवाई के साथ ऑनलाइन सुनवाई और ईफाइलिंग का विकल्प देने के निर्देश दिए थे। शेरखाने ने कहा कि अब राज्य में मुख्य सूचना अधिकारी के वेबसाइट पर कॉज लिस्ट के साथ ऑनलाइन शिकायत और सुनवाई की सुविधा उपलब्ध करा दी गई है। सेकेंड अपील भी ऑनलाइन फाइल की जा सकती है। शेरखाने ने कहा कि अब भी बड़ी संख्या में लोगों को ऑनलाइन सुनवाई के विकल्प की जानकारी नहीं है इसलिए उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ती है। केंद्र सरकार ने तो 2008 से ही ऑनलाइन सुनवाई का विकल्प दे दिया था। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि अब भी सभी कार्यालयों में ऑनलाइन सुनवाई का विकल्प उपलब्ध नहीं है। जहां विकल्प है वहां पहले से इसकी जानकारी देनी पड़ती है जिसके बाद कलेक्टर ऑफिस में सुनवाई की व्यवस्था की जाती है। उन्होंने कहा कि डिजिटल इंडिया के जमाने में सूचना आयोग काफी पीछे हैं। मांग पर तत्काल ऑनलाइन सुनवाई का विकल्प होना चाहिए। आरटीआई कार्यकर्ता जितेंद्र घाटगे ने कहा कि लॉकडाउन में कमीशन ने ऑनलाइन सुनवाई की शुरूआत की थी जो फिर बंद हो गई। अब जिन लोगों को जानकारी है और वे मांग करते हैं उन्हें ही यह मौका मिलता है। कई बार अधिकारियों को आदेश की प्रति दिखानी पड़ती है तब वे मानते हैं। आरटीआई के तहत लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। हाल ही में मैं डी वार्ड के कार्यालय में प्रथम सुनवाई के लिए गया था तो वहां करीब 20 मामले एक साथ थे ऐसा मैंने पहली बार देखा। अब अधिकारी आरटीआई को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। जरूरी है कि सभी कार्यालयों में ऑलाइन सुनवाई की विकल्प दिया जाए।

औद्योगिक सुरक्षा निदेशालय में 39 पद भरे गए

प्रदेश के औद्योगिक सुरक्षा व स्वास्थ्य निदेशालय में 39 पदों पर नियुक्ति की गई है। औद्योगिक सुरक्षा निदेशालय में सहायक निदेशक के पद पर 34 लोगों और उपनिदेशक पद पर 5 लोगों की भर्ती की गई है। इससे रासायनिक समेत दूसरे कारखानों में औद्योगिक सुरक्षा पर निगरानी रखना सुलभ हो सकेगा। यह निदेशालय प्रदेश सरकार के श्रम विभाग के तहत काम करता है। राज्य के श्रम विभाग के एक अधिकारी ने ‘दैनिक भास्कर' से बातचीत में बताया कि महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग (एमपीएससी) के जरिए औद्योगिक सुरक्षा निदेशालय के 40 पदों पर नियुक्ति कर दी गई है। इन अभ्यर्थियों को अगले एक महीने में सेवा शुरू करना है। अधिकारी ने कहा कि औद्योगिक सुरक्षा निदेशालय के 40 से अधिक पद काफी सालों से रिक्त था। दूसरी ओर राज्य में रासायनिक, बॉयलर और समेत अन्य कारखानों में आग की घटनाएं लगातार होती हैं। इसके मद्देनजर रिक्त पदों को भरने का फैसला लिया गया है। अधिकारी ने बताया कि औद्योगिक सुरक्षा निदेशालय में 38 हजार 614 कारखाना पंजीकृत है। महाराष्ट्र औद्योगिक विकास महामंडल (एमआईडीसी) कारखानों को शुरू करने के लिए जगह उपलब्ध कराता है। जबकि औद्योगिक सुरक्षा का पालन करने की जिम्मेदारी निदेशालय पर होती है।

Created On :   10 March 2024 4:14 PM IST

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