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Nagpur News: टैटू उम्मीदवार की अयोग्यता का कारण नहीं, पंजाब हाईकोर्ट के फैसले का लिया आधार
- सीआरपीएफ का आदेश रद्द
- मद्रास, पंजाब हाई कोर्ट के फैसले का लिया आधार
Nagpur News. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सीआरपीएफ में कांस्टेबल ड्राइवर पद भर्ती के मामले एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि, किसी उम्मीदवार को टैटू के निशान के कारण नियुक्ति के लिए अयोग्य ठहराना नियमबाह्य है। कोर्ट ने इसके लिए मद्रास, पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसलों का आधार लिया। साथ ही कोर्ट ने सीआरपीएफ का आदेश रद्द करते हुए उम्मीदवार को बड़ी राहत दी। न्या. नितीन सांबरे और न्या. वृषाली जोशी ने यह फैसला दिया।
‘एन' का निशान था
सीआरपीएफ द्वारा कांस्टेबल ड्राइवर पद की नियुक्ति के लिए अयोग्य ठहराने के फैसले को उम्मीदवार निखिल गरडे ने नागपुर खंडपीठ में चुनौती दी थी। याचिका के अनुसार, निखिल गरडे ने सीआरपीएफ कांस्टेबल ड्राइवर पद की परीक्षा पास की, लेकिन मेडिकल टेस्ट के दौरान उनके दाहिने हाथ पर अंग्रेजी शब्द ‘एन' का टैटू निशान था। इसलिए निखिल को अयोग्य ठहराया गया। इसके बाद निखिल ने रिव्यू मेडिकल टेस्ट दिया, लेकिन दोबारा टैटू के निशान के कारण रिव्यू मेडिकल पैनल ने निखिल को अयोग्य घोषित कर दिया। इसलिए निखिल गरडे ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
अपने-अपने दावे
इस मामले पर हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, निखिल ने मेडिकल जांच से पहले, उक्त टैटू को लेजर उपचार द्वारा हटा दिया था और वास्तव में केवल एक निशान दिखाई दे रहा है। 20 मई 2015 के एस. एस.बी. भर्ती दिशा-निर्देशों के अनुसार टैटू स्वीकार्य है यदि यह धार्मिक भावना दर्शाता है, लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के विपरीत है। इसी प्रकार याचिकाकर्ता को किसी अन्य परीक्षा में भी अयोग्य घोषित नहीं किया गया है। इसलिए केवल टैटू गुदवाने के आधार पर अयोग्य ठहराना नियमबाह्य है।
याचिका का निपटारा
सुनवाई के दौरान विपक्षी दल द्वारा उठाई गई आपत्ति को संविधान के अनुच्छेद 21 के खिलाफ होने और लेजर उपचार के माध्यम से अपना टैटू हटा देने के बाद भी याचिकाकर्ता को अयोग्य घोषित करना असंगत होने के कारण कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अयोग्य ठहराने वाले फैसले को खारिज कर दिया। साथ ही इस याचिका का निपटारा कर दिया। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि यदि याचिकाकर्ता किसी अन्य कारण से अयोग्य नहीं है तो उसे चार सप्ताह के भीतर नियुक्त किया जाए। याचिकाकर्ता की ओर से एड. अमित बालपांडे ने पैरवी की।
Created On :   23 Dec 2024 7:55 PM IST