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Nagpur News: सिमटा जंगल, होने लगा अमंगल, हमला- आक्रोश- तनाव - ऐसे गुजरे दिन
- होते रहे बाघ के हमले, जाती रही जान
- सिमटा जंगल, होने लगा अमंगल, हमला- आक्रोश- तनाव
Nagpur News. वर्ष 2024 में एनटीसीए के आंकड़े जारी होने के बाद बाघों की संख्या महाराष्ट्र में 444 होने की बात सामने आई। केवल विदर्भ में ही 3 सौ के करीब बाघ हैं। संख्या बढ़ने व जंगल का दायरा सीमित रहने से वन्यजीव इंसानों के संपर्क में आने लगे। सालभर इनके हमले के मामले सामने आते रहे हैं। पहला मामला अगस्त महीने सामने आया, जब एक तेंदुए ने दक्षिण उमरेड क्षेत्र में तेंदुपत्ता संकलन करने आई एक महिला मजदूर की जान ली थी। मई महीने में भिमढेला नामक गांव में एक बाघ ने 3 लोगों पर हमला कर उन्हें बूरी तरह से घायल किया था। अगस्त महीने में परसोडी में एक व्यक्ति पर बाघ ने हमला किया था। वह बुरी तरह से घायल हुआ था। 16 अक्टूबर में साल की सबसे बड़ी घटना हुई, जिसमें रामटेक के जामुनिया गांव में एक किसान को बाघ ने मारकर खाया था। इसके कुछ ही दिन बाद एक महिला को बाघ ने खेत में मारा था। इन घटनाओं से लोग आक्रोशित थे। वन विभाग व गांव वालों में तनाव की स्थिति बन गई थी। ग्रामीण पुलिस को बीच में आना पड़ा था।
बड़ा काम, जो पूरा किया गया
महाराष्ट्र के पेंच की जंगल में गिद्धों की संख्या तेजी से कम होने के कारण एक संस्था के साथ मिलकर वन विभाग ने इन जंगलों में गिद्धों की संख्या बढ़ाने का निर्णय लिया था। हरियाणा से लंबी चोंच वाले 10 गिद्धों को लाकर एविएरी में रखा गया। यहां उन्हें जंगल के माहौल में कैसे रहा जाता है, यह प्रशिक्षण दिया। इसके बाद जुलाई में इन्हें जंगल में छोड़ा गया। वर्तमान स्थिति में यह गिद्धों जंगल में घुल मिल गये हैं।
बड़ी योजना
पेंच के जंगल में अब तक पर्यटकों को जिप्सियों पर ही सफारी का आनंद मिलता रहा है। वर्ष 2024 में एक बडी योजना बनाई गई, जिसमें पेंच के नदी में बोट सफारी शुरू करने का निर्णय लिया है। इस सफारी में एक बारी में 40 पर्यटकों को बोट में सफारी कराई जानी है। फिलहाल इसकी बोट आने की बात है, लेकिन वर्ष 2025 में पर्यटकों को यह बोट सफारी का आनंद लेने मिल सकता है।
बड़ी उपलब्धि
विदर्भ में कई जंगल सफारी हैं, लेकिन नागपुर जिले में केवल पेंच व उमरेड करांडला दो जंगल सफारी तक ही पर्यटकों को सीमित रहना पड़ रहा था। लेकिन वर्ष 2024 में एक बड़ी उपलब्धि वन विभाग को मिली है, पवनी रोड पर एक नई जंगल सफारी मोगरकसा के नाम से शुरू किया गया है। ऐसे में नागपुर वासियों के लिए यह सफारी आकर्षण का केन्द्र बनी है।
अधूरा काम
पेंच के जंगल में ई जिप्सी चलाने को लेकर कई बार घोषणा की गई, लेकिन राशि के अभाव में साल खत्म होने तक ई-जिप्सी को चलाया नहीं जा सका। इसके पीछे का बड़ा कारण राशि का अभाव है।
किसान को बाघ ने मार डाला
अक्टूबर महीने में रामटेक तहसील के खानोरा नामक गांव में एक चरवाहे को बाघ ने मारकर आधा खा लिया था। इसके बाद गांववालों का गुस्सा वन विभाग पर फूटा था। गांव में आने वाली वन विभाग की टीम व उनके वाहनों पर ग्राम निवासियों ने हमला किया था, जिसमें वन विभाग की गाड़ियां क्षतिग्रस्त हो गई थी।
2024 की ध्यानाकर्षित करने वाली घटनाएं
22 जनवरी को पेंच में हरियाणा से लॉग बिल्ड वल्चर लाकर उन्हें एवीएरी में छोड़ा गया, ताकि पेंच के जंगल में इन्हें छोड़ा जा सके। पेंच की जंगल में गिद्धों की संख्या बढ़ाने का यह प्रयास रहा।
28 जनवरी को पहली बार नागपुर जिले के करांडला जंगल में एक ऐसी घटना हुई, जो पहले कभी नहीं हुई थी। एक बाघिन के सामने आते वक्त चालक ने जिप्सी को रीवर्स लिया था, लेकिन संतुलन बिगड़ने के कारण जिप्सी खाई में पर्यटकों के साथ गिर गई थी। खाई छोटी होने से पर्यटकों को ज्यादा चोट नहीं आई थी।
15 फरवरी को गोरेवाड़ा जू में 50 हेक्टेयर जंगल परिसर में आग लगी थी, जिसमें परिसर जलकर खाक हो गया था।
20 मार्च को जामठा क्षेत्र में रूई नामक गांव के पास एक बाघ का शव सड़ी-गली अवस्था में मिला। रिहायशी इलाके में शव मिलने से बाघ की मौत पर कई सवाल उठे थे।
1 अप्रैल को फिर एक बार पेंच के कुतुंबा परिसर में एक बाघ की मौत दर्ज की गई।
2 अप्रैल को कलमेश्वर में तेंदुए की मौत हुई।
30 अप्रैल को पारडी में एक खुले प्लाट पर लाखों रुपये की सागौन तस्करी पकड़ी थी।
6 मई को नागपुर के पिपला फाटा के पास दुर्लभ प्रजाती की गीरी गेकोयला नामक चिपकली मिली।
9 मई को पेंच को प्लास्टिक मुक्त किया गया। कांच की बोतलें पर्यटकों को दी गई।
12 मई को पेंच के नरहर नामक गांव में तेंदुए जैसी दिखनेवाली दुर्लभ प्रजाति की बिल्ली देखने मिली।
12 मई को 35 मवेशियों को मारने वाले बाघ को पारशिवनी से पकड़ा गया। कुछ दिन बाद गोरेवाड़ा में उसकी मौत हो गई।
18 मई को 3 लोगों को मारने वाले बाघ का भिमढेला में रेस्क्यू किया गया।
9 मई को छिंदवाड़ा-खापा-नागपुर मार्ग पर अवैध सागौन तस्करी पकड़ी गई।
31 मई को पेंच में एआई टेक्नोलॉजी बेस कैमरा लगाया गया।
1 जून को सावनेर में तेदुए की मौत हुई।
1 जून को नागपुर के मोतीबाग में 43 तोते को छापामार कार्रवाई के दौरान रिहा किया गया।
8 जून को पेंच के बचाव दल में बेला नामक श्वान जुड़ा।
9 जुलाई को काटोल में चिंकारा के शिकार में आरोपियों को पकड़ा गया।
11 अक्टूबर को कन्हान के पास बाघ को कैमरा ट्रैप में कैद किया गया।
15 अक्टूबर कन्हान के पास वाघधरेवाडी में बाघ की मौत, शव खेत में मिला था।
15 अक्टूबर को कन्हान के खेडाला परिसर में बाघ की मौत।
28 अक्टूबर को नागपुर-वर्धा मार्ग पर दुर्घटना से एक बाघ की मौत
15 नवंबर डोंगरी रेलवे फाटक के पास ट्रेन की चपेट में आने से बाघिन की पूंछ कटी। इस बाघिन की तीसरे दिन मौत हुई।
15 दिसंबर को राजभवन में शपथ विधि के बाद टीटीसी ने एक मोर का रेस्क्यू किया।
Created On :   28 Dec 2024 7:53 PM IST