Nagpur News: शहरी नक्सल को रोकने नया कानून, विधानसभा में विशेष विधेयक पेश

शहरी नक्सल को रोकने नया कानून, विधानसभा में विशेष विधेयक पेश
  • नए कानून की आवश्यकता क्यों
  • नाना पटोले ने कहा कि राज्य में एंटी नक्सल कानून है
  • शहरी नक्सल को रोकने नया कानून

Nagpur News. राज्य में नक्सल प्रतिबंध व शहरी नक्सलियाें के अड्डे बंद करने के लिए नया कानून तैयार किया जाएगा। बुधवार को विधानसभा में विशेष जनसुरक्षा विधेयक पेश किया गया। कानून में रुपांतर होने के पहले विधेयक को संयुक्त चिकित्सा समिति के पास भेजा जाएगा। समिति की रिपोर्ट के बाद मानसून अधिवेशन में यह विधेयक विधानसभा में मंजूरी के लिए लाया जाएगा। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि यह विधेयक किसी को परेशान करने के लिए नहीं बल्कि नक्सलियों की जड़ों को नष्ट करने के लिए लाया गया है। नक्सलवाद का खतरा दुर्गम क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। अनेक फ्रंटल आर्गनाइजेशन तैयार हुए हैं। इनके माध्यम से एक इको सिस्टम तैयार करके देश में नागरिकों का संविधा व विविध संस्थाओं से भरोसा कम करने का प्रयास किया जाता है। कुछ आर्गनाइजेशन नक्सलवादियों को जेल से छुड़ाने का प्रयास करते रहते हैं। शहर में नक्सलियों काे सुरक्षा देने के अड्डे तैयार किए जाते हैं। छत्तीसगढ, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश व उडीसा में इस तरह का कानून है। महाराष्ट्र में एंटी नक्सल स्क्वाड इस तरह के कानून की मांग करता रहा है।

नए कानून की आवश्यकता क्यों

नाना पटोले ने कहा कि राज्य में एंटी नक्सल कानून है। उसमें भरपूर प्रावधान है। जो नक्सली शहर में रहते हैं उनपर कार्रवाई का कानून में प्रावधान है। फिर अलग से कानून बनाने की क्यों आवश्यकता है। नक्सल विरोध में कहां कमी हो रही है। जवाब में मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा- महाराष्ट्र में नक्सल मामले में अलग से कानून नहीं है। अन्य नक्सल प्रभावित राज्यों में एंटी नेशनल सेपरेट कानून है। हमारे से भादंवि के तहत कार्रवाई की जाती है। इसके अलावा यूएपीए लगाया जाता है। यूएपीए आतंकवाद प्रतिबंधक कानून है। कानूनी तौर पर आतंकवाद और नक्सलवाद में अंतर है। न्यायालय में नक्सलवाद के आरोपियों पर यूएपीए लागू नहीं हो पाता है। इसलिए नए कानून की आवश्यकता है।

Created On :   18 Dec 2024 9:40 PM IST

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