Nagpur News: सारस पक्षियों के संवर्धन को लेकर कोर्ट का सवाल, कीटनाशक दवाइयों की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए?

सारस पक्षियों के संवर्धन को लेकर कोर्ट का सवाल, कीटनाशक दवाइयों की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए?
  • हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब
  • सारस पक्षियों की संख्या तेजी से कम हो रही
  • कंप्रेसिव योजना तैयार कर जिला समिति को भेजा

Nagpur News. बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सारस पक्षियों के संवर्धन को लेकर सू-मोटो जनहित याचिका लंबित है। इस मामले में बुधवार को हुई सुनवाई में मध्यस्थी अर्जदार सेवा फाउंडेशन ने कोर्ट को बताया कि, किसान अच्छी फसल के लिए कीटनाशक दवाइयां और रासायनिक खाद का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल कर रहा है। बाजार में इन प्रतिबंधित कीटनाशक दवाइयाें की खुलेआम बिक्री की जा रही है। कीटनाशक दवाइयों पर राेकथाम नहीं लगाया तो सारस का संवर्धन नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने इसका गंभीरता से संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को कीटनाशक दवाइयों की रोकथाम के लिए अब तक क्या उपाय किए गए इस पर जवाब दायर करने के आदेश दिए।

हाल के वर्षों में नागपुर विभाग के गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों की संख्या तेजी से कम हो रही है। ऐसे में समाचार पत्रों में इस विषय के प्रकाशित होने के बाद हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेकर सू-मोटो जनहित याचिका दायर की है। इस मामले में विविध पहलुओं पर गौर करने के बाद कोर्ट ने गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों के संवर्धन के लिए हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वतंत्र सारस संवर्धन समितियां गठित की है। बाद में नागपुर जिलाधिकारी को इसमें जोड़ा गया। इस समिति को अपने जिले के क्षेत्र में सारस पक्षियों के संवर्धन और उनके अधिवास के लिए वेटलैंड की पहचान करना है। लेकिन राज्य वेटलैंड प्राधिकरण में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों की कमी को देखते हुए राज्य वेटलैंड प्राधिकरण ने नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मॅनेजमेंट (एनसीएससीएम) इस शोध संस्था के साथ समझौता करार किया गया है। यह शोध संस्था गोंदिया, भंडारा, चंद्रपुर और नागपुर के जिलाधिकारी को वेटलैंड संबंधी दस्तावेज तैयार करने में सहायता कर रहा है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने गोंदिया जिले में सारस संवर्धन को प्राथमिकता देने के आदेश दिए थे। साथ ही कोर्ट ने भंडारा जिलाधिकारी द्वारा वेटलैंड का पुनर्स्थापन करने के लिए उठाए गए कदमों को मॉडल चंद्रपुर और गोंदिया के जिलाधिकारी को अपनाने का आदेश दिया था।

मामले में बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। इस दौरान मध्यस्थी अर्जदार सेवा फाउंडेशन ने उठाए गए सवालों पर कोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब दायर करने के आदेश दिए। कोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई 8 अक्टूबर को रखी है। मामले में न्यायालय मित्र के रूप में एड. राधिका बजाज, राज्य वेटलैंड प्राधिकरण की ओर से वरिष्ठ विधिज्ञ एस. के. मिश्रा, राज्य सरकार की ओर से एड. दीपक ठाकरे और सेवा फाउंडेशन की ओर से एड. हिमांशु खेडीकर ने पैरवी की।

कंप्रेसिव योजना जिला समिति के पास लंबित : सुनवाई के दौरान मध्यस्थी अर्जदार सेवा फाउंडेशन ने कोर्ट को यह भी बताया कि, सारस के लिए वेटलैंड और तालाब एरिया अधिक अनुकूल होता हैं, इसलिए वे इन स्थानों पर सारस अधिक पाए जाते हैं। हमारे फाउंडेशन ने तालाब क्षेत्र में सारस के संवर्धन के लिए एक कंप्रेसिव योजना तैयार की है और उसका प्रस्ताव भी जिला स्तरीय सारस संवर्धन समिति को भेजा है। लेकिन फाउंडेशन का यह प्रस्ताव जिला समिति के पास अभी भी लंबित है।

Created On :   18 Sept 2024 1:10 PM GMT

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