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Nagpur News: समृद्धि के पेट्रोल पंपों पर न पीने के लिए पानी, न शौचालय की सुविधा
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- हाई कोर्ट ने जमकर फटकारा, दी चेतावनी
- संबंधित अधिकारियों पर लगेगा 10 लाख रुपए का जुर्माना
Nagpur News समृद्धि महामार्ग पर जानलेवा दुर्घटना और अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के मुद्दे पर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने सरकारी ऑयल कंपनियों के अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने उनसे यह भी सवाल किया है कि क्या लोगों की जान लोगे? साथ ही सरकारी ऑयल कंपनियों के मुख्य अधिकारियों को इस पर स्पष्टीकरण दाखिल करने का भी आदेश दिया है। कोर्ट ने चेतावनी दी है कि यदि वे संतोषजनक जवाब दाखिल करने में विफल रहे तो संबंधित जिम्मेदार अधिकारियों के वेतन से 10 लाख रुपये का जुर्माना वसूल किया जाएगा।
जनहित याचिका दायर
दरअसल, नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग पर जानलेवा दुर्घटना और अपर्याप्त सुरक्षा उपायों के मुद्दे पर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में एक जनहित याचिका प्रलंबित है। अनिल वडपल्लीवार ने यह जनहित याचिका दायर की है। सरकारी ऑयल कंपनियों ने दावा किया है कि, समृद्धि हाई-वे के पेट्रोल पंपों पर यात्रियों के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेकिन, खुद न्यायमूर्ति ने हाई-वे पर होने वाली असुविधाओं का अनुभव किया। उन्होंने पाया कि, समृद्धि के पेट्रोल पंपों पर यात्रियों के लिए न तो पीने का पानी है, न अच्छे शौचालय और न ही अग्निशमन की कोई सुविधा है।
असुविधाओं की पोल खोली
कोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ता ने व्यक्तिगत रूप से समृद्धि महामार्ग का दौरा करते हुए अपनी निरीक्षण रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की थी। इसमें समृद्धि महामार्ग के गंभीर विफलता को उजागर किया गया था। वाहनों की अनुपालन, टायर सुरक्षा या गति नियम की जांच के लिए 6 टोल प्लाजा पर कोई आरटीओ अधिकारी या कर्मचारी मौजूद नहीं था। इसके अलावा, महामार्ग पर अपर्याप्त यात्री सुविधाओं पर भी प्रकाश डाला गया। यह भी दावा किया गया है कि यात्रियों को शौचालयों की खराब स्थिति, विकलांगों के लिए पहुंच की कमी और गंदे होटलों के कारण परेशानी हो रही है। वहां एम्बुलेंस, प्राथमिक चिकित्सा किट और डिस्पेंसरी जैसी सुविधाएं भी नहीं थीं।
अधिकारियों को आड़े हाथ लिया
खुद न्यायमूर्ति नितीन सांबरे ने समृद्धि हाईवे की असुविधाओं का अनुभव किया। इसलिए यात्रियों को हो रही असुविधा को गंभीरता से लेते हुए न्यायमूर्ति नितीन सांबरे और न्यायमूर्ति वृषाली जोशी की बेंच ने मंगलवार को मामले पर सुबह के सत्र में सुनवाई की। साथ ही इंडियन ऑयल कंपनी लिमिटेड, हिंदुस्तान पेट्रोलियम और भारत पेट्रोलियम के अधिकारियों को दोपहर के सत्र में प्रत्यक्ष हाजिर रहने के आदेश दिए। कोर्ट के आदेश के अनुसार दोपहर सत्र की सुनवाई में सरकारी ऑयल कंपनियों के अधिकारी उपस्थित थे। तब कोर्ट ने सवाल किया उन जिम्मेदार अधिकारियों के नाम बताइए,जो पेट्रोल पंपों को मंजूरी देते हैं, भले ही उनमें यात्रियों के लिए सुविधाएं न हों। क्या वे अधिकारी अशिक्षित हैं? क्या इन अधिकारियों को यह समझ नहीं आता कि ऐसी जगहों पर यात्रियों को सुविधाएं उपलब्ध कराना कितना महत्वपूर्ण है? अदालत ने ऐसे कई सवाल उठाए। साथ ही उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की ओर से एड. श्रीरंग भांडारकर ने पैरवी की। इस मामले में कोर्ट ने अगली सुनवाई 3 मार्च को रखी है।
महिलाओं के लिए शौचालय क्यों नहीं
कोर्ट ने अधिकारियों को फटकारते हुए सवाल किया कि, एक पेट्रोल पंप बनाया जाता है, उसके नीचे बड़ी फ्यूल टैंक बनाई जाती है। लेकिन इस पेट्रोल पंप पर आने वाले यात्रियों और महिलाओं के लिए शौचालय नहीं बनाया जा सकता? ऑयल कंपनियां केवल अपने लाभ का व्यवसाय कर रही हैं। इन्हे प्रवासियों के सुविधाओं से कोई लेना-देना नहीं। अदालत ने यह भी कहा कि यह सब पेट्रोल पंपों पर सुविधाओं के नियमित निरीक्षण की कमी के कारण हो रहा है।
निजी पेट्रोल पंपों जैसी सुविधा क्यों नहीं?
कोर्ट ने कहा कि, सरकारी ऑयल कंपनियों के पेट्रोल पंपों पर असुविधाओं के साथ ही हर जगह प्लॉस्टिक ही प्लॉस्टिक पड़ा दिखाई देता है। इसलिए कोर्ट ने यह सवाल किया कि, निजी पेट्रोल पंपों पर यात्रियों के लिए जो सुविधा होती है वह सुविधा सरकारी ऑयल कंपनी के पेट्रोल पंपों पर क्यों नहीं है?
पौधारोपण पर भी मांगा स्पष्टीकरण
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि, समृद्धि हाईवे पर पौधारोपण न होने की वजह से चारों ओर हरियाली का अभाव है। इस पर संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने हाई-वे पर किए जा रहे पौधारोपण के बारे में महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम (एमएसआरडीसी) को सविस्तार स्पष्टीकरण दायर करने के भी आदेश दिए हैं।
Created On :   19 Feb 2025 4:08 PM IST