सेहत की बात: साइकिलिंग से भगाई बीमारी - कोरोना भी रहा बेअसर, इंटरनेशनल कांफ्रेंस में रिसर्च पेपर पेश

साइकिलिंग से भगाई बीमारी - कोरोना भी रहा बेअसर, इंटरनेशनल कांफ्रेंस में रिसर्च पेपर पेश
  • 100 लोगों के सैम्पल लिए, 25 ने अनुभव साझा किए
  • ज्यादातर बाइकर्स में बीमारियों के प्रमाण बेहद कम
  • दूसरों की तुलना में खुद की सेहत में ज्यादा सुधार पाया
  • प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार महसूस किया

Nagpur News : नव वर्ष पर सेहत को लेकर अनेक संकल्प लिए जाते हैं। अगर संकल्प साइकिल चलाने का हो तो और बेहतर। अपने और परिवार के सदस्यों की सेहत और पर्यावरण की रक्षा से बढ़कर कोई फैसला नहीं है। संकल्प हो कि सप्ताह में कम से कम एक दिन अपने सारे काम साइकिल से किए जाएं। दफ्तर, स्कूल, कॉलेज बाजार और आसपास कहीं जाने के लिए साइकिल का उपयोग, यह न केवल सेहत को दुरुस्त रखेगा, बल्कि इससे कई बीमारियों के साइड इफेक्ट्स भी कम होंगे। साइकिल चलाने वालों पर कोरोना भी बेअसर साबित हुआ है। यह साबित किया है एक रिसर्च पेपर ने।


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श्री शिवाजी कॉलेज ऑफ एजुकेशन अमरावती की ओर से आयोजित तीसरे अंतरराष्ट्रीय परिषद में स्कॉलर तजिंदर सिंह मनकू ने रिसर्च पेपर पेश किया। पेपर में बताया गया कि साइकिल चलाने के अनेक फायदे हैं। साइकिल चलाने वालों को कोरोना तो हुआ, लेकिन उन्हें किसी तरह के खास उपचार की जरूरत नहीं पड़ी। साइकिल की मदद से लोगों ने बीमारियों से खुद को दूर रखा। खास बात है कि यह शोध नागपुर शहर में किया गया है।


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रिसर्च का विषय : कोविड के पहले और बाद में साइकलिंग कर खुद को स्वस्थ रख रहे थे। इसके लिए 3 महीने तक नागपुर में यह रिसर्च चला। इस दौरान 100 लोगों के सैम्पल लिए गए। सैम्पलिंग के अलावा 25 लोगों से बातचीत की गई, जिसमें 5 केस स्टडी रखी गई। उनके अनुभव जाने गए। साइकिल चलाने के पहले उन्हें क्या दिक्कतें थी और अब वे कैसा महसूस कर रहे हैं। इसके निष्कर्ष में पाया गया कि साइकिलिंग करने वाले महिला-पुरुष दूसरों की अपेक्षा खुद में ज्यादा अच्छे परिणाम महसूस कर रहे हैं। उन्होंने माना कि उनके इम्यून में काफी फर्क पड़ा है। साइकिल चलाने वालों में बीमारियों और उनके साइड इफेक्ट के प्रमाण बेहद कम पाए गए हैं।

सबसे फायदेमंद है साइकिलिंग डॉ. बोधनकर

यूके की अंतरराष्ट्रीय संस्था के कार्यकारी संचालक डॉ. उदय बोधनकर ने बताया कि जो महिलाएं नियमित रूप से साइकिल चलाती हैं, उनमें स्तन कैंसर का जोखिम कम होता है। बॉडी के बैलेंस और पोश्चर के लिए साइकिलिंग जरूरी है। साइकिलिंग करने वालों का कोलेस्ट्रॉल लेवल अच्छी तरह कंट्रोल हो सकता है। बढ़ा हुआ ट्राइग्लिसराइड भी आसानी से कम किया जा सकता है।


अपने अनुभव साझा करते हुए डॉ बोधनकर ने बताया कि उन्होंने नौंवी कक्षा से साइकिल चलाना शुरु किया था। इसके बाद वे अपनी बहन को पिछली सीट पर बिठाकर ले जाते थे। स्कूल और ट्यूशन हर जगह साइकिल से ही जाना। बोधनकर ने बताया की जबतक वो साइकिल चलाते रहे, कभी बीमार नहीं पड़े। डॉ बोधनकर ने 20 साल पुराना नीदरलैंड का एक किस्सा बताया, उन्होंने कहा कि वे अपने साथी डॉक्टर के साथ सड़क से गुजर रहे थे। तभी साथी डॉक्टर ने बताया था कि सामने जो साइकिल से जा रहे है, वे इस देश के प्रधानमंत्री है। बोधनकर ने बताया वहां लोग साइकिल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। राजधानी एम्सटर्डम में तो 9 साल की बच्ची लॉटा क्रॉक पहली जूनियर साइकिल मेयर बन चुकी है। वे साइकिल चलाकर लोगों को सेहत और पर्यावरण के प्रति अवेयर करती रही।

इनकी सेहत का राज


केस स्टडी 1 : इंजीनियरिंग कर चुके योगराज सिंह कलसी की उम्र 49 साल है। साल 2014 में वे हाई बीपी की 40 एमजी एएम रोजाना दवा ले रहे थे, पैरों में स्वेलिंग थी। इसके बाद जब उन्होंने साइकिलिंग शुरू की, तो दवा की पावर भी घट गई। फिर बीपी नार्मल रहने लगा। रोज सुबह और शाम 10-10 किमी साइकिल चलाते हैं। वे अपना सारा काम साइकिल से ही कर रहे हैं। आने-जाने में थोड़ा वक्त जरूर लगता है, लेकिन टाइम मैनेजमेंट का ध्यान रखें, तो साइकिल का कोई तोड़ नहीं।


केस स्टडी 2 : टाइगर सिटी साइकिलिंग एसोसिएशन से जुड़े योगेश देशमुख साल 2014 से साइकिलिंग कर रहे हैं। योगेश ने बताया कि कोविड के दौरान साइकिलिंग करने वाले ऐसे बहुत कम लोग थे, जो संक्रमित हुए, जबकि उनकी जानकारी में ऐसा कोई बाइकर नहीं है, जिसकी संक्रमण से जान चली गई हो या गंभीर हालत में अस्पताल जाने की नौबत आई हो।

केस स्टरी 3 : 53 वर्ष के कलाम खान ने बताया कि ऑफिस आना-जाना वे साइकिल से ही करते हैं। कोरोना में संक्रमण का असर नहीं हुआ। सालों से दवा नहीं खाई। जबकि उनकी उम्र के लोग थोड़ा दूर चलने पर ही थकान महसूस करने लगते हैं।

केस स्टडी 4 - जनकराम साहू 56 साल के करीब है। बीपी, शुगर, थायराइड जैसी कोई बीमारी नहीं। घर में बेटे की शादी के बाद लोग कहने लगे की साइकिल से दफ्तर मत जाओ, लेकिन वे साइकिल छोड़ने को तैयार नहीं।

साइकिलिंग ने जीवन बदला : दीपांती

नागपुर की पहली साइकिल मेयर और कभी नेशनल स्केटर रह चुकी दीपांती पाल ने बताया कि स्केटिंग और दौड़ के बाद जॉब के दिनों में उनका खानपान बिगड़ा, जिससे वजन करीब 92 किलो तक जा पहुंचा। इसी बीच साइकिलिंग प्रतियोगिता हो रही थी। इस रेस में उन्होंने दम दिखाया और स्केटर से बाइकर बन गईं। उनका वजन कम होना शुरू हो गया। साइकिलिंग की मदद से 35 किलो तक वजन घटा लिया। अनियमित पीरियड्स और उन दिनों होने वाले दर्द में साइकिलिंग से बहुत राहत मिलती है। महिलाओं के लिए साइकिलिंग कई तकलीफों का हल है।


कोविड के पहले दीपांती साइकिलिंग के कई ईवेंट कर चुकी है। पुलिस विभाग के साथ मिलकर बड़ा इवेंट किया था, जिसमें पुलिसकर्मियों सहित 1000 के करीब नागरिकों ने भाग लिया था। कोरोना के दौरान लॉकडाउन में कुछ राहत मिली, तो देशभर के कई शहरों में साइकिलिंग वालेंटियर्स ने अपनी भूमिका निभाई। एक इंस्टीट्यूट में ग्रुप डायरेक्टर की नौकरी छोड़कर साइकिलिंग की शुरुआत करने वाली दीपांती 200, 300, 400 और 600 किलोमीटर की दोहरी रेस में हिस्सा ले चुकी हैं।

कुछ जरूरी टिप्स

साइकिलिंग की शुरुआत करने से पहले ब्लड टेस्ट करवाना चाहिए और नियमित साइकिलिंग के तीन महीने बाद ब्लड टेस्ट रिपीट कराकर रिजल्ट देखें, जो काफी बेहतर हो सकता है।

जिन्हें अस्थमा है, डॉक्टर की सलाह से वे साइकिलिंग कर सकते हैं। उन्हें मल्टीगेयर साइकिल चलानी जरूरी है। वे सिंगल गेयर की साइकिल नहीं चलाएं।

आम तौर पर, एक स्वस्थ व्यक्ति दिन भर में लगभग 20-40 किलोमीटर साइकिल चला सकता है। हालांकि, यह दूरी व्यक्ति की शारीरिक फिटनेस और साइकिल चलाने की तकनीक पर निर्भर करती है। इसका ध्यान रखना जरूरी है।

साइकिल रखेगी फिट

वजन कम करने में मदद मिलती है।

• महिलाओं को अनियमित पीरियड्स और तकलीफ में आराम मिलता है।

• हार्टअटैक का खतरा कम होता है।

• डिप्रेशन और चिंता से राहत मिलती है।

• नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।

• ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है।

• इम्यून बूस्टर अच्छा होता है।

नीदरलैंड की तरह एक दिन संतरानगरी भी साइकिल कैपिटल बन सकती है, जहां से दुनियाभर के लोगों के लिए बेहतर स्वास्थ और पर्यावरण बचाने का संदेश दिया जा सकता है, बशर्ते इस कार्य को किसी मुहिम की तरह शुरु किया जाए।


यदी आपने अब तक साइकिलिंग शुरु नहीं की और शुरु करने जा रहे हैं, तो पहले 2 से 3 किलोमीटर तक साइकिल चलाने से शुरुआत कर सकते हैं। धीरे-धीरे इसे बढ़ाते जाएं, ध्यान रखें क्षमता से अधिक दूरी तय न करें। क्षमता के अनुसार साइकिलिंग की अधिकतम दूरी 10 से 12 किलोमीटर तक रखी जा सकती है।

यह एक एरोबिक एक्सरसाइज है। इसके साथ ही जरूरी काम भी किए जा सकते हैं। शरीर एक्टिव रहता है और बीमारियों से राहत मिलती है। अपनी क्षमता के अनुसार दिन में कुछ वक्त निकालकर साइकिलिंग करने से जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है, वो अंग्रेजी में कहते है न “हैल्थ इज वैल्थ”


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  • 2 Jan 2025 5:11 PM IST

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Created On :   2 Jan 2025 5:10 PM IST

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