Nagpur News: 2 खादी भंडार : 90 साल पहले बापू ने किया उद्घाटन, 25 साल से एक बंद

2 खादी भंडार : 90 साल पहले बापू ने किया उद्घाटन, 25 साल से एक बंद
  • तीन वर्ष पहले सीताबर्डी केंद्र ने ध्वज निर्माण काम को दिया नया जीवन
  • रंग प्रक्रिया से लेकर सिलाई तक के मानकों को पूरा करने के लिए यहां विशेषज्ञ नहीं

Nagpur News चंद्रकांत चावरे . आजादी से पहले खादी को बढ़ावा देने के लिए देशभर में खादी भंडारों की शुुरुआत की गई थी। उपराजधानी में दो खादी भंडारों का शुभारंभ महात्मा गांधी के हाथों हुआ था। यहां खादी से वस्त्र निर्माण और बिक्री हुआ करती थी। आजादी के बाद यहीं पर तिरंगा ध्वज निर्माण की शुरुआत भी की गई थी। 15 साल पहले महात्मा गांधी द्वारा उद्घाटित खादी भंडारों मंे ध्वज निर्माण बंद हो चुका है। दरअसल ध्वज तैयार करने के लिए तय मानकों का पालन करना पड़ता है। ध्वज बनाने वाले विशेषज्ञ होते हैं। रंग प्रक्रिया से लेकर सिलाई तक के मानकों को पूरा करने के लिए यहां विशेषज्ञ नहीं हैं। अब खादी भंडारों में बाहर से आयात कर ध्वजों की आपूर्ति की जाती है।

25 साल पहले इतवारी की दुकान बंद : करीब 90 साल पहले महात्मा गांधी ने 23 फरवरी 1935 को सुबह 9.30 बजे इतवारी में और शाम 5.30 बजे सीताबर्डी में खादी भंडार (वर्तमान नाम खादी ग्रामोद्योग भवन) का उद्घाटन किया था। इसके अलावा दो अन्य खादी भंडार गांधीसागर के पास और गोकुलपेठ स्थित लक्ष्मी भवन में शुरू किये गए थे। कुछ समय बाद महल और सुभाष रोड पर भी खादी भंडार नामक दुकानें शुरू हुईं। इनमें से दो दुकाने बंद हो चुकी हैं। 35 साल पहले गोकुलपेठ की दुकान बंद हो गई। वहीं इतवारी की जिस दुकान का उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था, वह 25 साल पहले बंद हो चुकी है। सीताबर्डी खादी ग्रामोद्योग के व्यवस्थापक नंदकिशोर करसडिये ने बताया कि इतवारी की दुकान गोकुलपेठ में स्थानांतरित की गई है।

बाहर से करते हैं आयात : नागपुर में मुंबई, गोरखपुर व नांदेड से ध्वज आयात किए जाते हैं। यह आईएसआई मार्क के होते हैं। ध्वज निर्माण के लिए तय मानकों के अनुरूप इन ध्वजों का शुद्ध खादी से निर्माण होता है। अब कर्नाटक के हुबली में आईएसआई से अधिक गुणवत्ता वाले आईएसओआई ध्वजों का निर्माण हो रहा है। लेकिन यह महंगे होने से यहां से आयात नहीं किए जाते।

ध्वज निर्माण की गति होने लगी धीमी : यहां के दो खादी भंडार सिताबर्डी और महल में ध्वज निर्माण का काम हुआ करता था। यहां तैयार होनेवाले ध्वजों की खरीदारी के लिए नागपुर व आसपास के ग्राहक आया करते थे। खादी की शुद्धता की गारंटी होने से यहां के ध्वजों का विशेष आकर्षण था। इन दोनों केंद्रों पर ध्वज निर्माण होने से स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के मौके पर ध्वज के लिए काफी भीड़ हुआ करती थी। महल केंद्र के व्यवस्थापक ने बताया कि 15 साल पहले ध्वज निर्माण का काम बंद हाे चुका है। पहले ध्वज निर्माण के लिए मानकों के अनुसार रंग प्रक्रिया, अशोक चक्र, सिलाई आदि तैयार करने के लिए विशेषज्ञों की टीम हुआ करती थी। समय से साथ इस काम के विशेषज्ञ कम होते चले गए। एक समय ऐसा आया कि ध्वजों का निर्माण बंद करना पड़ा। बावजूद ध्वजों की मांग बरकरार रही। इसके चलते जहां निर्माण होता है, उन शहरों से ध्वज मंगाने पड़ रहे हैं।

1000 चरखे लगे हैं : सीताबर्डी खादी ग्रामोद्योग भवन के व्यवस्थापक नंदकिशोर करसडिये ने बताया कि बाहर से ध्वजों के आयात करने में काफी समस्याएं आती हैं। इसलिए तीन साल पहले नागपुर में ही इस काम को नवजीवन दिया गया है। चंद्रपुर जिले के सावली में खादी ग्रामोद्योग के 1000 चरखे लगे हैं। यहां शुद्ध खादी का धागा तैयार होता है। यह धागा नागपुर आने पर कामठी के बुनकरों को बुनाई के लिए दिया जाता है। कपड़ा तैयार होने के बाद कपड़े के बंडल धुलाई, रंगाई व प्राेसेसिंग की जाती है। इसके बाद बरसों से ध्वजों का काम करने वाले एकमात्र विशेषज्ञ अशफाक को ध्वज पर अशोक चक्र छपाई का काम दिया जाता है। तीन साल से ध्वज निर्माण के सारे काम नागपुर में किये जा रहे हैं। यह ध्वज भी आईएसआई जैसे ही होते है। इनके दाम भी कम होते है। सालाना 5000 ध्वज तैयार होते हैं। जो नागपुर समेत आसपास के ग्राहक आकर ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि नागपुर में खादी भंडार की शुरुआत 1927 में मध्यप्रांत के मेयर गणपतराव टिकेकर ने विदेशी कपड़ों की होली जलाकर की थी।


Created On :   24 Jan 2025 3:24 PM IST

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