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Nagpur News: फैसला देने से पहले लटक रही थी तबादले की तलवार, विदर्भ लेडी लॉयर की ओर से व्याख्यान कार्यक्रम
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- मुंबई बम विस्फोट का फैसला सुनाने वाले न्या. सानप का खुलासा
- विशेष टाडा कोर्ट में थी नियुक्ति
Nagpur News. मुंबई में 1993 में हुए बम विस्फोट मामले का निर्णय सुनाने से पहले तबादले की लटकती तलवार थी, जिससे बड़ा झटका लगा था। लेकिन बाद में उनके तबादले का आदेश रोका गया, जिससे वे बम विस्फोट मामले का निर्णय सुना सकें, ऐसा खुलासा इस मामले में फैसला देने वाले तत्कालीन टाडा न्यायालय के न्यायमूर्ति गोविंद सानप ने किया।
कई पहलू किए उजागर
विदर्भ लेडी लॉयर एसोसिएशन की ओर से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ के सभागृह में न्या. गोविंद सानप के व्याख्यान का आयोजन किया गया था। इस दौरान न्या. सानप ने मुंबई बम विस्फोट और 26/11 हमले के मुकदमों से जुड़े कई पहलुओं को उजागर किया। कार्यक्रम में नागपुर खंडपीठ के प्रशासकीय न्यायमूर्ति नितिन सांबरे प्रमुख अतिथि के रूप में उपस्थित थे। मंच पर विदर्भ लेडी लॉयर एसोसिएशन की अध्यक्षा एड. उमा भट्टड और सचिव एड. नीरजा चौबे भी उपस्थित थीं।
बच्चे ने कहा-अब पीछे हटना उचित नहीं है
मुकदमे के दौरान बहुत दबाव था और कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने अपनी चिंता अपने बच्चों से साझा की। उस समय मुकदमे से पीछे हटने का विकल्प उपलब्ध था, ऐसा उन्होंने अपने बच्चों को बताया, लेकिन उनके बच्चों ने उन्हें डांटते हुए कहा कि ”जब आपके पास इतिहास रचने और बम विस्फोट पीड़ितों को न्याय देने का अवसर है, तो पीछे हटना उचित नहीं है।’ इसके बाद उन्होंने मजबूत इरादों के साथ सभी बाधाओं और चुनौतियों का सामना करते हुए आखिरकार फैसला सुनाया, ऐसी यादें न्या. सानप ने साझा कीं।
विशेष टाडा कोर्ट में थी नियुक्ति
वर्ष 2011 में न्यायमूर्ति सानप की नियुक्ति विशेष टाडा न्यायालय में हुई थी। टाडा कानून के अंतर्गत मुंबई बम विस्फोट हमले की सुनवाई उनके न्यायालय में हुई। 2017 में उन्होंने मुकदमे की सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाया। लेकिन यह निर्णय सुनाने से पहले उनके तबादले की तलवार लटक रही थी, ऐसा उन्हें पता चला, जिससे उन्हें बड़ा धक्का लगा था। इस बारे में उन्होंने तत्कालीन वरिष्ठ न्यायाधीशों को जानकारी दी। वरिष्ठ न्यायाधीशों ने इस पर संज्ञान लेते हुए उनके तबादले के आदेश को रोका, जिससे वे बम विस्फोट मामले का निर्णय सुना सकें, ऐसा न्यायमूर्ति सानप ने बताया।
आरोपी के पास 60 लाख की घड़ी
मुकदमे के आरोपीयों से जुड़े कई रोचक किस्से न्या. सानप ने सुनाए। एक दिन एक आरोपी उनके पास आया और कहा कि उसकी पत्नी ने जन्मदिन के उपहार के रूप में उसे एक घड़ी दी है, लेकिन जेल प्रशासन उसे रखने नहीं दे रहा। इसलिए, उसने न्यायालय से अनुरोध किया कि घड़ी रखने की अनुमति देने के लिए प्रशासन को आदेश दिया जाए। न्या. सानप ने सोचा कि यह कोई साधारण घड़ी होगी, इसलिए प्रशासन को आदेश देने का विचार किया। लेकिन जब घड़ी की कीमत पता चली, तो वे चौंक गए। वह घड़ी पूरे 60 लाख रुपये की थी।
Created On :   14 Feb 2025 8:31 PM IST