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Nagpur News: नागपुर हिंसा . डीबी स्क्वॉड व खुफिया विभाग फेलियर साबित

- तीनों थानों की सरहद डेढ़ किलाेमीटर के दायरे में होने के बाद भी नहीं पता चल पाया प्लान
- जांच के दायरे में वह अधिकारी भी आएंगे, जो पहले गांधीगेट पर पहुंचे थे और वहां से कुछ लोगों को थाने लेकर गए थे
Nagpur News शहर के महल क्षेत्र में जनजीवन अस्त-व्यस्त है। हिंसा की घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं। दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की जा रही है, तो गणेशपेठ, कोतवाली और तहसील थाने के डीबी स्क्वॉड और खुफिया विभाग की भूमिका भी जांच के दायरे में आ गई है। इन तीनों थानों की सरहद डेढ़ किलोमीटर के दायरे में हैं। तीनों थानों में डीबी स्क्वॉड और खुफिया विभाग में तकरीबन 150 पुलिस अधिकारी-कर्मचारी तैनात हैं। राज्य का खुफिया तंत्र भी इस मामले में बुरी तरह विफल रहा है।
3 अहम बातें : अगर इन तीनों थानों की पुलिस को घटना के बारे में पता चल चुका था, तो एक्शन क्यों नहीं लिया।
जिन परिवारों के सदस्य को पुलिस पकड़ रही है, उनकी ओर से संबंधित पुलिस वालों भूमिका की जांच की मांग उठ रही है।
इसलिए विफल रहा खुफिया तंत्र : किसी भी थाने के खुफिया और डीबी स्क्वॉड को संबंधित क्षेत्र की अमूमन हर अंदरुनी गतिविधियों की जानकारी पता होती है, लेकिन हिंसा की इस घटना में गणेशपेठ, तहसील और कोतवाली थाने में कार्यरत खुफिया और डीबी स्क्वॉड की टीमें फेलियर साबित हुई हैं।
इन 3 सवालों पर पुलिस की चुप्पी : गांधीगेट पर क्या औरंगजेब की कब्र के प्रतीकात्मक पुतला जलाने वाले आंदोलन के लिए पुलिस की ओर से कोई अनुमति ली गई थी, पुलिस ने इसके लिए कोई अनुमति दी थी या नहीं, इस पर पुलिस कुछ बोलने को तैयार नहीं है।
गांधीगेट पर कौन कार्यकर्ता थे जो चादर जलाए, अगर वह विहिंप या बजरंग दल के थे तो पुलिस ने कोई एक्शन क्यों नहीं लिया, क्यों जलाने के दौरान सब कुछ जब्त किया। जो पुलिस वाले बंदोबस्त में थे, उन्होंने क्या एक्शन लिया। इसके बारे में गणेशपेठ के थानेदार मच्छिंद्र पंडित कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी।
जब प्रतीकात्मक पुतला जलाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो पुलिस उसी समय क्यों एक्शन मोड में नहीं आई। यह कृत्य करने वालों की तत्काल धर-पकड़ क्यों नहीं की गई।
Created On :   21 March 2025 11:41 AM IST