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Nagpur News: संदेह - जादू-टोना के लिए बाघ बना शिकार, मध्य प्रदेश से पकड़े गए आरोपी

- आरोपियों की तलाश में मध्य प्रदेश के गांवों में चला खोज अभियान
- जादू-टोना के लिए बाघ बना शिकार
- मध्य प्रदेश से पकड़े गए आरोपी
Nagpur News. हाल ही में एक बाघ का शिकार करने का मामला सामने आया था। शिकारियों ने बाघ के पंजे काटने के साथ मूंछे व दांत निकालो थे। नागपुर विभाग की यह बड़ी घटना थी, जिसके बाद वन विभाग में हडकंप मच गया था। आरोपियों की तलाश में वन विभाग की टीम मध्यप्रदेश गई थी। सूत्रों की माने तो इस मामले में वन विभाग ने चार से ज्यादा आरोपियों को पकड़ा है। हालांकि वन विभाग इसकी पुष्टी करने से बच रहे है।
अंधश्रद्धा से जुड़ा मामला!
वर्ष 2019 में एक बाघ का शिकार रामटेक परिसर से किया गया था। जिसके बाद इसके शव को दफनाया था। वन विभाग को इसकी भनक लगने के बाद मध्य प्रदेश के छिंदवाडा जिले अंतर्गत हलाल गांव से दफनाए शव को निकाल आरोपियों को पकड़ा था, तब आरोपियों ने अंधविश्वास के लिए बाघ का शिकार करने की बात स्वीकारी थी। ऐसे में उपरोक्त बाघ की भेट भी अंधश्रद्धा के चलते चढ़ी होने की बात से इंकार नहीं किया जा सकता है।
खापा वनपरिक्षेत्र अंतर्गत कोरमेटा क्षेत्र में सिरोंजी की सीमा में भनगाला नाले के पास बाघ का शिकार अंधश्रद्धा में जादू-टोना के लिए किए जाने का संदेह गहरा रहा था। बाघ की मूछें, दांत और पंजे गायब होने के कारण संदेह को बल मिला। वन विभाग की टीम मध्य प्रदेश के गांवों में आरोपियों को खोजने में जुट गई थी।
आदिवासी गांवों में खोज
पुराने अनुभव से सबक लेकर वन विभाग की टीम मध्य प्रदेश के आदिवासी गांवों में खोज मुहिम चला रही है। चाकारा, सारदुनी, तोरणी, चौरेफाटा, राघादेवी गांवों में खोजी दल अभियान पर हैं।
10-15 की टोली में शिकारी
आदिवासी इलाकों में शिकारी 10-15 की टोली बनाकर जंगलों में घूमते हैं। बाघ का शिकार कर मूछें, दांत, पंजे जादू-टोना के लिए ले जाते हैं। बाघ के इन अवयवों का उपयोग शंकरपट में जीतनेवाले बैल को जादू-टोना करने, सट्टा-पट्टी के आंकड़ों का अनुमान लगाने के लिए उपयोग में लाया जाता है। इन समुदायों के पास बंदूक के छर्रे, बंदूकें आज भी मिलती है। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के सीमावर्ती क्षेत्र में महाराष्ट्र वनविकास महामंडल की ओर से काम चलते थे। दोनों राज्यों के दिहाड़ी मजदूर इनमें काम करते थे। काम बंद होने से बेरोजगार मजदूरों की मदद ली जाती है। इन्हें जंगल की पूरी जानकारी होती है।
Created On :   17 March 2025 7:35 PM IST