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Nagpur News: बेरंग बर्फ पर शक - 5 लाइसेंसी फैक्ट्रियां, बना सकती हैं 800 सिल्लियां
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- नहीं बदला रंग... खाने का व इंडस्ट्रियल एक जैसा
- अन्न व औषधि विभाग की कार्रवाई नहीं
- मंत्री जी बेखबर
Nagpur News. वर्ष 2018 में बर्फ को लेकर राज्य सरकार ने दिशा-निर्देश जारी किये थे। मिलावटी बर्फ को रोकने के लिए इंडस्ट्रियल बर्फ का रंग नीला व खाने के बर्फ का रंग सफेद रखने के लिए कहा था, ताकि किसी भी विक्रेता द्वारा खाने की चीजों में इस्तेमाल किये जाने वाले बर्फ का फर्क लोग समझ सकें, लेकिन अभी तक इंडस्ट्रियल बर्फ का रंग नीला नहीं हुआ है। इस कारण खाने की चीजों में भी इंडस्ट्रियल बर्फ के इस्तेमाल से इनकार नहीं किया जा सकता है। हैरानी की बात तो यह है, कि हाल ही में नागपुर आए संबंधित विभाग के मंत्री जी को इस घोषणा को लेकर कोई जानकारी ही नहीं थी।
5 कारखानों के पास ही लाइसेंस
नागपुर शहर की बात करें तो यहां खाने का बर्फ बनाने वाली कुल 5 फैक्टरी है, जिनके पास अन्न व औषधि विभाग का लाइसेंस भी है। इनके द्वारा बनाया जाने वाला बर्फ खाने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित है, लेकिन इसके अलावा अनगिनत ऐसी कंपनियां भी हैं, जिनके पास लाइसेंस नहीं है। ऐसी कंपनियां इंडस्ट्रियल बर्फ बनाती हैं, जिसे बड़ी-बड़ी कंपनियां प्रोडक्ट को ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल करती हैं। यह बर्फ खाने के बर्फ से सस्ता मिलता है, लेकिन इन दोनों बर्फ की कोई स्वतंत्र पहचान नहीं है। दोनों का रंग सफेद ही है।
निर्देश के बाद भी लापरवाही
गर्मियों के दिन में छोटे-छोटे व्यवसायी इन बर्फ का इस्तेमाल खाने-पीने की चीजों में करते हैं। परिणामस्वरूप लोगों की सेहत खतरे में पड़ती है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में दिशा-निर्देश जारी किये थे, जिसमें इंडस्ट्रियल बर्फ को हल्का नीले रंग का करने के लिए कहा गया था। अन्न व औषधि विभाग ने दिशा-निर्देश के बाद शहर की बर्फ बनाने वाली कंपनियों के साथ बैठक लेकर इन सारी बातों को बताया भी था। अपेक्षित था, इस वर्ष बर्फ का रंग बदलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
अधिकारियों का रवैया भी उदासीन
इस लापरवाही का फायदा उठाकर रसवंती से लेकर लस्सीवाले दूषित बर्फ के माध्यम से व्यवसाय कर रहे हैं, जबकि अन्न औषधि विभाग ने भी इसको लेकर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। वर्तमान में आए अधिकारियों का रवैया भी उदासीन नजर आ रहा है।
जानकारी लेने के बाद बोलना उचित
नरहरी झिरवाल, अन्न व औषधि मंत्री के मुताबिक इस बारे में फिलहाल मुझे कोई जानकारी नहीं है। पहले जानकारी निकाली जाएगी, इसके बाद ही कुछ बोलना उचित रहेगा।
शहर की हकीकत जिसे जानना आपके लिए जरूरी है
शहर में बर्फ बनाने की 5 लाइसेंसी फैक्ट्रियां हैं, जिनकी अधिकतम उत्पादन क्षमता प्रति फैक्ट्री 600-800 सिल्ली है।
बर्फ की 1 सिल्ली को पकने में 72 घंटे लगते हैं। 24 घंटे में 1 फैक्ट्री से 150 से 200 सिल्लियां निकाली जाती हैं।
इस हिसाब से शहर में प्रतिदिन 750 से 800 सिल्लियों का उत्पादन होता है और सिर्फ शहर में गर्मियों में बर्फ की मांग बढ़कर 1500 से 2000 सिल्लियों तक पहुंच जाती है।
गर्मियों में खपत बढ़ने के कारण 24 से 30 घंटे में ही सिल्लियां निकाल ली जाती है।
निर्धारित समय से पहले सिल्लियां बाहर निकालने के कारण यह पूरी तरह नहीं पकती है। इनका वजन भी कम होता है।
Created On :   2 March 2025 7:25 PM IST