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Nagpur News: अहम फैसला - अवैध निर्माण पर जारी नोटिस को चुनौती नहीं दे सकता किराएदार

- अनधिकृत निर्माण को हटाने के लिए मनपा द्वारा जारी नोटिस
- नोटिस को चुनौती देने का किराएदार को अधिकार नहीं है
Nagpur News. एमआरटीपी अधिनियम की धारा 53 (1) के तहत, अनधिकृत निर्माण को हटाने के लिए मनपा द्वारा जारी नोटिस को चुनौती देने का किराएदार को अधिकार नहीं है, यह महत्वपूर्ण निरीक्षण बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ दिया। साथ ही इस संदर्भ में दायर याचिका का निपटारा कर दिया। बॉम्बे हाई के मुख्य न्यायमूर्ति आलोक आराधे और न्या. अविनाश घरोटे की पीठ ने यह फैसला दिया।
किराएदार का अधिकार केवल मकान मालिक के विरुद्ध
कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि, ऐसे मामले में किराएदार का अधिकार केवल उसके मकान मालिक के विरुद्ध होता है, न कि स्थानीय निकाय महानगरपालिका के विरुद्ध। इसलिए किसी संरचना में रहने वाले किराएदार को एमआरटीपी अधिनियम की धारा 53 के तहत जारी नोटिस को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है।
इस संदर्भ में नोटिस
नागपुर खंडपीठ में शिवशंकर जोशी ने यह रिट याचिका दायर की थी। याचिका के अनुसार, हरवे सभापति ले-आउट, घाट रोड स्थित भवन की पहली और दूसरी मंजिल के याचिकाकर्ता किराएदार हैं। नागपुर महानगरपालिका ने 22 जनवरी 2025 को एमआरटीपी अधिनियम की धारा 53(1) के तहत, इस अनधिकृत निर्माण को हटाने के लिए मकान मालिक को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता किराएदार ने मनपा द्वारा भेजे गए इस नोटिस की वैधता को रिट याचिका के माध्यम से चुनौती दी थी।
नोटिस रद्द करने की मांग
याचिकाकर्ता का कहना था कि मनपा की ओर से विवादित नोटिस अधिकार क्षेत्र के बाहर जाकर जारी किया गया और याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का कोई अवसर प्रदान किए बिना पारित किया गया। इसलिए मनपा द्वारा पारित किया गया यह मनमाना नोटिस रद्द किया जाए।
याचिका खारिज करने की गुहार
वहीं, दूसरी ओर मनपा ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, याचिकाकर्ता जिस भवन के किराएदार हैं, वह बिना किसी भवन निर्माण अनुमति के बनाई गई हैं और वे एमआरटीपी अधिनियम की धारा 52 और 53 के तहत जारी नोटिस को चुनौती नहीं दे सकते हैं। केवल भवन का मालिक ही इस प्रकार के नोटिस को चुनौती दे सकता है। इसलिए यह याचिका खारिज करने की मांग मनपा ने की।
अदालत ने यह व्यवस्था दी : कोर्ट ने दोनों का पक्ष सुनने के बाद उक्त आदेश जारी किया। साथ ही कोर्ट ने इस याचिका का निपटारा करते हुए याचिकाकर्ता को कानून में उपलब्ध अन्य उपायों का सहारा लेने की स्वतंत्रता दी। मनपा की ओर से एड. जेमिनी कासट ने पैरवी की।
मकान मालिक ही नहीं आया सामने
कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि, याचिकाकर्ता निर्विवाद रूप से भवन के किराएदार हैं, लेकिन भवन का मालिक यह प्रमाणित करने के लिए सामने नहीं आया कि उसने निर्माण कार्य प्राधिकरण की स्वीकृति प्राप्त करके किया था। एमआरटीपी अधिनियम की धारा 53, किराएदारों को ऐसे भवन में रहने की अनुमति नहीं देती, जो अवैध रूप से निर्मित हो।
Created On :   3 March 2025 6:25 PM IST