Nagpur News: अब गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र में बनेंगे 40 नए पिंजरे, सुरक्षित रहेंगे वन्यजीव

अब गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र में बनेंगे 40 नए पिंजरे, सुरक्षित रहेंगे वन्यजीव
  • 20 बाघों के लिए , 20 में रहेंगे तेंदुए
  • बाघ व तेंदुओं को रखने की क्षमता दुगनी हो जाएगी

Nagpur News नागपुर के गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र की जल्द ही क्षमता बढ़ने वाली है। यहां नये 40 केज (पिंजड़े) तैयार किये जाएंगे, जिसमें 20 बाघों के लिए और 20 तेंदुएं के लिए होंगे। इसका काम आगामी 15 दिनों में शुरू होने वाला है। इसके बाद यहां बाघ व तेंदुओं को रखने की क्षमता दुगनी हो जाएगी।

इस क्षमता के बाद जहां एक ओर यह राज्य का बड़ा बचाव केन्द्र बन जाएगा, वहीं दूसरी ओर वर्तमान में हाउसफुल जैसी परिस्थिति से जूझना नहीं पड़ेगा। वर्तमान में बाघों के लिए यहां 10 केज रिजर्व हैं, लेकिन यहां अभी 16 बाघ हैं। ऐसे में बाघों को तेंदुओं के पिंजरे में शिफ्ट किया गया है। हालांकि सुविधा व सुरक्षा के मामले में कोई परेशानी नहीं होती है।

बाघों को जू में शिफ्ट करने का प्रस्ताव भेजा : यहां विभिन्न कारणों से यहां लाये गये बाघों में 15 बाघों को अगले 3 महीने में विभिन्न जगहों पर भेजा जाएगा। जैसे नगालैंड, इंदौर जैसी जगहों पर भेजकर यहां से दूसरे वन्यजीव जू में रखने के लिए मांगे जाने वाले हैं। कई बाघ विपरीत परिस्थिति के कारण इंसानों को मारने का कारण बने हैं। ऐसे में यह इन बाघों को विभिन्न जू में रखा जाने वाला है।

हर महीने आ रहा एक बाघ : महाराष्ट्र में बाघों की संख्या 4 सौ पार हो गई है। जिसमें केवल विदर्भ में ही 3 सौ पार बाघ मौजूद हैं। जंगल कम पड़ने से कहीं बाघ बाहर निकल रहे है, तो कहीं पर इंसान जंगली क्षेत्र में हस्तक्षेप कर रहा है। परिणामस्वरुप मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति पैदा हो रही है। ऐसे में इंसानों के लिए घातक बनने वाले बाघों को पकड़ नागपुर के गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र में लाया जाता है। जहां उसे लंबे समय तक रखना पड़ता है, लेकिन इन दिनों बाघों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई है, कि इनके लिए स्वतंत्र पिंजरा नहीं रहे।

अभी ऐसी स्थिति : गोरेवाड़ा बचाव केन्द्र वन्यजीवों के लिए महत्वपूर्ण है। यहां पूरे विदर्भ से घायल वन्यजीवों को लाकर उपचार किया जाता है। यही नहीं, इंसानों के लिए घातक बने बाघ, तेंदुए, भालू आदि को भी यहीं लाकर रखा जाता है। सभी के लिए 10 से 11 स्वतंत्र पिंजरे बनाये गये हैं। इन पिंजरों में वन्यजीवों के हैबिट को देखते हुए संरचना की गई है। लेकिन इन दिनों यहां बाघों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गई है, जिससे पिंजरों से ज्यादा बाघ हो गए हैं। ऐसे में इन्हें तेंदुओं के पिंजरे में एडजस्ट किया है।

सुरक्षा में फर्क नहीं : वर्तमान स्थिति में यहां पर 16 बाघ हैं, तेंदुए के पिंजरे में व बाघों के पिंजरे में केवल नाम का फर्क है, सुरक्षा सुविधा का कोई फर्क नहीं है। सभी बाघ सही तरह से हैं। साथ ही जल्दी नए 40 केज यहां बनाये जाने वाले हैं। -एस. भागवत, व्यवस्थापक, गोरेवाड़ा प्रकल्प नागपुर


Created On :   6 March 2025 11:56 AM IST

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