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हेल्थ: सेहत का सवाल, कोरोना के बाद पुलिस कर्मियों में बीमारियां बढ़ने का प्रमाण बढ़ा
- 6830 को मिलेगी डिजिटल फाइल
- अनियंत्रित जीवन शैली बीमारी का घर
- जांच में सामने आ रही स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आम जनों की सुरक्षा में तैनात रहनेवाले पुलिस विभाग के जवान शारीरिक व मानसिक रूप से कितने फिट रहते हैं, पहली बार इसका ब्योरा तैयार किया गया है। प्राकृतिक नियमों के परे रहकर उन्हें अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ती है। न खाने का समय न सोने का समय होता है। ऐसे में उन्हें विविध बीमारियां होना आम समस्या हो चुकी है।
कोरोनाकाल के बाद उनमें बीमारियों का प्रमाण अधिक पाया गया था। इसकी जानकारी पुलिस अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप शिंदे ने तत्कालीन पुलिस आयुक्त को दी। इसे गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने पुलिसकर्मियाें की स्वास्थ्य जांच करने का निर्णय लिया। गृह मंत्रालय ने स्वास्थ्य जांच के लिए 2 करोड़ रुपए की मंंजूरी दी। राज्य में ऐसा पहली बार हुआ, जब पुलिसकर्मियों की जांच कर उनकी डिजिटल हेल्थ फाइल तैयार की जा रही है। पिछले छह महीने में 6830 पुलिसकर्मियों की स्वास्थ्य जांच हो चुकी है। इस माह के अंत तक सभी पुलिसकर्मियों को फाइल दी जानेवाली है। एक निजी अस्पताल में सभी की जांच करवाई गई।
जांच के बाद बीमारियांे का पता चला : जांच के बाद 1600 पुलिसकर्मियों को ब्लड प्रेशर होने का पता चला है। ब्लड प्रेशर पीड़ितों को नियमित व्यायाम, जांच व दवाओं का नियमित सेवन करने के लिए कहा गया है। असामान्य जीवनशैली के चलते पुलिसकर्मियों में बीमारियां होने का पता चला है। इसके अलावा हाई ब्लडप्रेशर यानी उच्च रक्तचाप को ही हाइपरटेंशन और 'साइलेंट किलर' कहा जाता है। इस बीमारी के कारण हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा भी होता है। मोटापा, तनाव, नींद की कमी, अधिक गुस्सा करना, तैलीय पदार्थों का अधिक सेवन, अनियंत्रित जीवनशैली आदि कारणों से पुलिसकर्मियों में बीमारी बढ़ रही है।
उपचार कराने की सलाह : इसके अलावा सामान्य लक्षणों में सिर दर्द, सिर चकराना, थकान और सुस्ती लगना, नींद न आना, दिल की धड़कन बढ़ जाना, सीने में दर्द, सांसें तेज चलना या सांस लेने में तकलीफ होना, आंखों से धुंधला दिखाई देना आदि लक्षण पाए गए हैं। जांच के दौरान 980 पुलिसकर्मियों को डायबिटीज होने की पुष्टि की गई। डायबिटीज पीड़ितों में अधिक प्यास लगना, बार-बार मूत्र विसर्जन के लिए जाना, अधिक भूख लगना, शरीर का वजन कम ज्यादा होना, थकान, चिड़चिड़ापन, आंखों में धुंधलापन, घाव भरने में समय लगना, त्वचा संक्रमण आदि लक्षण हैं। उनकी डिजिटल हेल्थ फाइल को देखते हुए उपचार करने की सलाह दी गई है। साथ ही समय-समय पर जांच भी जरूरी बताई गई है।
Created On :   26 March 2024 1:45 PM IST