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मांग :: धर्मांतरित आदिवासियों की आरक्षण सहित सुविधाएं बंद करें
डिजिटल डेस्क, नागपुर। आदिवासी में अनेक समूह और जाति अन्य धर्मों में धर्मांतरित हुए हैं। उन्हें उनकी मूल जाति अनुसार अनुसूचित जनजाति की सुविधा मिल रही है। यह बंद करें। यह मांग जनजाति सुरक्षा मंच द्वारा आयोजित डी-लिस्टिंग महासम्मेलन में की गई है।
विदर्भ के कोने-कोने से आए : ईश्वर देशमुख शारीरिक शिक्षण महाविद्यालय के मैदान पर सुबह 10 से दोपहर 4 बजे तक यह महासम्मेलन चला। सम्मेलन में संपूर्ण विदर्भ से चालीस हजार से अधिक आदिवासी बंधुओं के उपस्थित होने का दावा किया गया है। प्रमुखता से गोंड, माडिया, कोलाम, भिल, भिलाला, कवर, आंध, नाईकडा, कोरकू, पारधी, निहाल, पारवा, गोवारी, परधान जनजाति समाज की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। सुबह 10 बजे सीपी एंड बेरार मैदान से रैली की शुरूआत हुई। गोंड राजे बख्त बुलंद शहा की समाधि के दर्शन करने के बाद सभी आदिवासी ईश्वर देशमुख क्रीडा महाविद्यालय में बनाए गए भव्य पंडाल में जमा हुए। वहां एकसाथ सभी ने धर्मांतरित आदिवासियों को डी-लिस्टिंग करने की मांग की। सभा में पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष पद्मभूषण करिया मुंडा और तिरखेडी आश्रम के ज्ञानिदास महाराज की प्रमुख उपस्थिति थी। इस दौरान गोधाडी स्थित यसेश्वरा नंद सरस्वती महाराज, दाभाडी के आयुर्वेदाचार्य देवानंद पेंदोर महाराज, गोंदिया के सेवकराम टेकाम महाराज, गडचिरोली के शंकर नैताम महाराज, वरखेड के माधवदास महाराज आदि ने मार्गदर्शन किया। जनजाति सुरक्षा मंच के संयोजक संदीप कौरेती, सहसंयोजक रमेश मावसकर ने इसके लिए परिश्रम किया।
ये हैं प्रमुख मांगें : आदिवासी की विशेषता, उज्जवल, संस्कृति, रूढ़ि, प्रथा, परंपरा का पालन नहीं करने वाले और आदिवासी देव पूजा पद्धति, देवकार्य, त्योहार, उत्सव का त्याग कर अन्य धर्मों में गए आदिवासी व्यक्ति व समूह को अनुसूचित जनजाति की सूची से बाहर करने, मूल आदिवासियों के लिए आरक्षित सुख, सुविधा व आरक्षण का दोहरी लाभ धर्मांतरित आदिवासियों को न मिले और इसके लिए अनुसूचित जनजाति संशोधन अधिनियम 1950 में सुधार किया जाए।
Created On :   22 Nov 2023 12:43 PM IST