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मुद्दा: ‘जाति वैधता’ में संशोधन अधिकारियों की नियुक्ति विवादों में घिरी
- पांच बार अनुत्तीर्ण होने के बावजूद दोनों को पद से नहीं हटाया
- चार बार में परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक
- दोनों को पद से हटाने की मांग
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य के दो वरिष्ठ अधिकारियों के कारण ‘जाति वैधता’ समिति में अनियमितता सहित गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। चंद्रपुर समिति में कार्यरत संशोधन अधिकारी पुष्पलता आत्राम व यवतमाल समिति में संशोधन अधिकारी मारोती वाठ, पद के लिए पात्र नहीं होने के बावजूद उन्हें संशोधन अधिकारी पद पर कायम रखने का खुलासा हुआ है। विभागीय स्तर पर होने वाली परीक्षा में पांच बार अनुत्तीर्ण होने के बावजूद दोनों को पद से हटाया नहीं गया। नियमानुसार उन्हें चार बार में परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है।
सरकार के साथ धोखाधड़ी : पत्र-परिषद में सामाजिक कार्यकर्ता एड. प्रतिक पाटील ने आरोप लगाया कि परीक्षा अनुत्तीर्ण होने से उनकी नियुक्ति अवैध ठहरती है। उन्हें सेवा में नियमित रखने से सरकार को आर्थिक नुकसान हो रहा है। तुरंत दोनों को पद से हटाने की मांग की है। एड. पाटील ने कहा कि यह सरकार के साथ धोखाधड़ी है। इस प्रकरण में एसआईटी गठित कर जांच की जाए। संबंधित दोषियों पर विभागीय सहित फौजदारी कार्रवाई करने की मांग नागपुर जिलाधिकारी कार्यालय के जरिये महाराष्ट्र के राज्यपाल से निवेदन द्वारा की गई है।
अवैध नियुक्ति होने का आरोप लगाया : राज्यपाल को भेजे निवेदन में एड. पाटील ने इस अवैध नियुक्ति में राज्य के तत्कालीन समाज कल्याण आयुक्त डॉ. प्रशांत नारनवरे, बार्टी के महासंचालक सुनील वारे और बार्टी के निबंधक इंदिरा अस्वार शामिल होने का आरोप लगाया। जिस कारण इन अधिकारियों की गैरकानूनी कार्यपद्धति की जांच की मांग की गई है। एड. पाटील ने बताया कि दोनों वरिष्ठ अधिकारी गट ‘अ’ व ‘ब’ विभागीय परीक्षा नियोजन समिति में भी पदाधिकारी है। समिति में नारनवरे अध्यक्ष, वारे सदस्य, अस्वार भी सदस्य पद पर कार्यरत है। तीनों के हस्ताक्षर और कार्यकाल में यह अवैध नियुक्ति होने का आरोप लगाया। आत्राम और वाठ ने विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण करने की सभी मौके लिए। लेकिन इसमें से एक भी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की। फिर भी दोनों को पद से हटाने की बजाए उनकी अनधिकृत रूप से सेवा ली जा रही है। जिस कारण चंद्रपुर व यवतमाल जिला जाति प्रमाणपत्र पड़ताल समिति द्वारा नागरिकों को जारी किए गए ‘जाति वैधता’ प्रमाणपत्र की वैधता पर ही सवाल उपस्थित किए जा रहे हैं।
सरकारी दस्तावेजों में छेड़छाड़ : तीनों अधिकारियों ने 23 जुलाई 2023 को जो विभागीय परीक्षा का नतीजा घोषित किया, उसमें पता चला कि 2 प्रमुख परीक्षार्थी पुष्पलता आत्राम बैठक क्रमांक डीई006, परीक्षा का वर्ष मई 2023 व जुलाई 2015 और मारोती वाठ बैठक क्रमांक डीई007, परीक्षा का वर्ष मई 2023, जुलाई 2015, जुलाई 2014, जुलाई 2013 परीक्षा अनुत्तीर्ण है। उन्हें पांच मौके दिए गए। फिर भी दोनों वरिष्ठ अधिकारी व निबंधक ने तैयार किए नतीजों के कॉलम में अवसर संख्या में अनुक्रम 2 व 4 उल्लेख किया है। इसके लिए एड. पाटील ने दस्तावेज के तौर पर सरकारी कागजात पेश किए।
किस नियम के तहत पांचवां मौका : एड. पाटील ने कहा कि कोरोना काल में एमपीएससी ने उनके विभाग को परीक्षा आयोजित करने की छूट दी थी। उस समय समिति ने नियम को धत्ता बताकर श्री वाठ व श्रीमती आत्राम की सेवा समाप्त न करते हुए नियम विरुद्ध तरीके से पांच मौके दिए। फिर भी दोनों अनुत्तीर्ण हुए और पुनर्मूल्यांकन प्रक्रिया में गड़बड़ी करने का प्रयास किया।
Created On :   27 May 2024 7:47 PM IST