मिलीभगत: डिजिटल बोर्ड इंस्टॉल किए बिना ही भुगतान

डिजिटल बोर्ड इंस्टॉल किए बिना ही भुगतान
फिर से बजट में निधि का प्रस्ताव

डिजिटल डेस्क, नागपुर। जिला परिषद स्कूलों को डिजिटल करने का सपना दिखाकर लाखों रुपए की बंदरबांट की गई। वित्तीय वर्ष 2016-2017 में जिला परिषद स्कूलों के लिए डिजिटल बोर्ड खरीदे गए। 5 साल स्कूलों में वैसे ही धूल खाते पड़े रहे। इंस्टॉल करने से पहले ही सप्लायर को भुगतान किया गया। प्रसार माध्यमों में खबरें प्रकाशित होने पर जिला परिषद प्रशासन हरकत में आया। सप्लायर से संपर्क किया गया। तब जाकर डिजिटल बोर्ड का इंस्टॉलेशन शुरू हुआ। आज भी 20 के आसपास डिजिटल बोर्ड इंस्टॉल नहीं होने की जानकारी है। उसे इंस्टॉल करने के लिए फिर से बजट में निधि का प्रस्ताव रखा जा रहा है। जिला परिषद सेस फंड से वित्तीय वर्ष 2016-2017 में 45 लाख रुपए खर्च कर 101 डिजिटल बोर्ड खरीदे गए।

निजी शैक्षणिक संस्थानों की स्पर्धा में जिला परिषद स्कूलों को टिकाए रखने के इरादे से डिजिटल बोर्ड खरीदे गए। स्कूल में बोर्ड पहुंचाना और इंस्टॉल करने की जिम्मेदारी संबंधित सप्लायर पर थी। सप्लायर को भुगतान की बारी आने पर बोर्ड का इंस्टॉलेशन नहीं किए जाने की जिला परिषद को शिकायतें प्राप्त हुई। इसकी पुष्टि करने के लिए गटशिक्षणाधिकारियों से रिपोर्ट मंगवाई गई। सभी पंचायत समितियों के गटशिक्षणाधिकारियों ने बोर्ड का इंस्टॉलेशन कर शिक्षकों को प्रशिक्षण दिए जाने की रिपोर्ट दी। सकारात्मक रिपोर्ट मिलने पर सप्लायर को भुगतान किया गया। सप्लायर को भुगतान करने के बाद फिर स्कूलों में डिजिटल बोर्ड धूल खाते पड़े रहने की शिकायत मिली। इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई। सीईओ को कमेटी ने पेश की रिपोर्ट में डिजिटल बोर्ड विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए उपयोग में नहीं लाए जाने व कुछ स्कूलों में पैक बंद स्थिति में पाए जाने का खुलासा हुआ।

इंस्टालेशन के लिए निधि का प्रस्ताव : सप्लायर को भुगतान होने जाने के बाद शेष रहे बोर्ड का इंस्टॉलेशन करने से हाथ खड़े कर दिए। आधा-अधूरा काम छोड़ चला जाने से सप्लायर की 2.5 लाख रुपए सिक्योरिटी डिपॉजिट रोक दी गई है। वह रकम शेष रहे बोर्ड का इंस्टॉलेशन के लिए कम पड़ रही है। इसलिए आगामी िवत्तीय बजट में निधि के लिए प्रस्ताव रखने की तैयारी किए जाने की अधिकृत सूत्रों ने जानकारी दी।

झूठी रिपोर्ट देनेवालों पर कार्रवाई प्रस्तावित : डिजिटल बोर्ड का इंस्टॉलेशन कर शिक्षकों को प्रशिक्षण दिए जाने की रिपोर्ट देने पर सप्लायर को भुगतान किया गया। उसके बाद भी आपत्ति दर्ज होने पर की गई जांच में झूठी रिपोर्ट देने का खुलासा होने पर संबंधित गटशिक्षणाधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई प्रस्तावित की गई है। - रोहिणी कुंभार, शिक्षणाधिकारी (प्राथमिक)

Created On :   29 Dec 2023 1:17 PM IST

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