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फैसला: टीआरटीआई, बार्टी, सारथी, महाज्योति में आएगी समानता
डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य की आदिवासी संशोधन एवं प्रशिक्षण संस्था (टीआरटीअाई) पुणे, डॉ. बाबासाहब आंबेडकर संशोधन एवं प्रशिक्षण संस्था (बार्टी) पुणे, छत्रपति शाहू महाराज संशोधन एवं प्रशिक्षण संस्था (सारथी) पुणे, महात्मा ज्योतिबा फुले संशोधन एवं प्रशिक्षण संस्था (महाज्योति) नागपुर और महाराष्ट्र संशोधन एवं प्रशिक्षण प्रबोधिनी (अमृत) मुंबई आदि स्वायत्त संस्थाओं में अब समानता लाने के लिए राज्य सरकार ने महत्त्वपूर्ण फैसला लिया है। हाल ही में सामाजिक न्याय एवं विशेष सहाय्य विभाग ने इन स्वायत्त संस्थाओं द्वारा कार्यान्वित की जाने वाली अधिछात्रवृत्ति, प्रशिक्षण, कौशल विकास और अन्य योजनाओं को लेकर सर्वसमावेशक नीति बनाने को लेकर शासन निर्णय जारी किया है।
इस कारण लिया यह निर्णय : अनुसूचित जनजाति के आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक विकास को लेकर टीआरटीआई, अनुसूचित जाति के लिए बार्टी, मराठा, कुनबी के लिए सारथी, अन्य मागास प्रवर्ग, विमुक्त जाति जनजाति, विशेष मागास प्रवर्ग के लिए महाज्योति और खुले प्रवर्ग के आर्थिक दुर्बल घटकों के लिए अमृत आदि स्वायत्त संस्थाओं की सरकार ने स्थापना की है। इन संस्थाओं द्वारा अधिछात्रवृत्ति के साथ ही छात्रों के लिए यूपीएससी, एमपीएससी, आईबीपीएस, पुलिस भर्ती, सैन्य भर्ती का प्रशिक्षण दिया जाता है। यह योजनाओं को लेकर हर स्वायत्व संस्था अपने हिसाब से फैसला लेती है। इन योजनाओं में किसी भी तरह की समानता नहीं है। इसलिए एक समाज की योजनाओं को लेकर दूसरे समाज के छात्र वैसे ही योजनाओं का अमल करने की मांग करते है। छात्रों द्वारा बार बार किए जाने वाले मांगों को ध्यान में लेते हुए सभी स्वायत्त संस्थाओं की योजनाओं की सर्वसमावेशक नीति बनाने के लिए राज्य सरकार ने यह फैसला लिया है।
अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति का गठन : टीआरटीआई, बार्टी, सारथी, महाज्योति, अमृत आदि स्वायत्त संस्थाओं के अधिछात्रवृत्ति, प्रशिक्षण, कौशल विकास, छात्रावास, छात्रावास में प्रवेश न मिलने वाले छात्रों को दिये जाने वाला निर्वाह भत्ता, स्वाधार, स्वयंम ऐसे योजनाओं में समानता लाने और सर्वसमावेशक नीति बनाने के लिए वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सात सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
फेलोशिप, विदेशी छात्रवृत्ति के लिए हुआ आंदोलन : फेलोशिप, विदेशी छात्रवृत्ति, स्वयंम, स्वाधार योजनाओं के तहत विभिन्न मांगों को लेकर छात्रों ने आंदोलन, भूख हड़ताल का मार्ग अपनाया था। इससे कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न हो गई थी और इस प्रकार के आंदोलनों एवं भूख हड़तालों से िनपटने में पुलिस एवं प्रशासनिक व्यवस्था का काफी समय बर्बाद हो रहा था। यह सारी बातों को ध्यान में लेते हुए आखिरकार छात्रों की मांगों पर सरकार को निर्णय लेना ही पड़ा।
Created On :   16 Nov 2023 5:36 AM GMT