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क्राइम: अवैध साहूकार सागर दोशी सेंट्रल जेल से गिरफ्तार, 14 तक रिमांड पर भेजा
- इसके बाद हुड़केश्वर पुलिस हिरासत में लेगी
- अजनी पुलिस ने एमपीआईडी के तहत लिया कस्टडी में
- इस धारा में सौ फीसदी रकम वसूली का प्रावधान है
डिजिटल डेस्क, नागपुर. मुसीबत में फंसे लाचार लोगों को 10 प्रतिशत ब्याज पर रकम देकर उनसे चक्रवृद्धि ब्याज वसूलने वाले अवैध साहूकार सागर दोशी को अब अजनी पुलिस ने सेंट्रल जेल से प्रॉडक्शन वारंट पर गिरफ्तार करने के बाद न्यायालय में पेश किया। न्यायालय ने उसे 14 अगस्त तक पुलिस रिमांड पर भेज दिया है। आरोपी के खिलाफ बेलतरोड़ी, अंबाझरी और हुड़केश्वर में भी मामला दर्ज है। हुडकेश्वर पुलिस ने भी कस्टडी में देने के लिए न्यायालय में अर्जी दी है। अजनी पुलिस ने आरोपी सागर दोशी के खिलाफ एमपीआईडी के तहत मामला दर्ज किया है। इस धारा के अंतर्गत आरोपी से सौ फीसदी रकम वसूल करने का प्रावधान है। गौरतलब है कि, बेसा निवासी कौस्तुभ आष्टीकर की शिकायत पर पहला मामला सागर दोशी के खिलाफ बेलतरोड़ी थाने में दर्ज किया गया था। आरोपी ने कौस्तुभ को डर दिखाकर उसका प्लॉट और उनके भाई की दुकान अपने नाम करा ली और उन पर करीब 35 लाख रुपए का बकाया निकाला था, जबकि कौस्तुभ ने कर्ज वापस दे दिया था।
जिलाधिकारी कार्यालय में प्रस्ताव भेजा जाएगा
प्रॉपर्टी डीलर संजय खांडेकर ने भी कौस्तुभ की धोखाधड़ी करने पर हुड़केश्वर पुलिस में शिकायत की है। इसी तरह पीड़ित मनोज नायडू की शिकायत पर अंबाझरी पुलिस और श्यामला मस्के की शिकायत पर अजनी पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपी के खिलाफ अजनी थाने में एमपीआईडी की धारा लगाए जाने पर सागर दोशी की संपति के दस्तावेज दुय्यम निबंधक कार्यालय से प्राप्त करने के बाद जिलाधिकारी कार्यालय में प्रस्ताव भेजा जाएगा।
सागर ने सीए की पढ़ाई की, एचआर से विवाह किया
मूलत: गुजरात का सागर दोशी कुछ वर्ष पहले वर्धा आया। वर्धा में उसने सीए की पढ़ाई की। बाद मेे नागपुर में स्थायी रूप से रहने लगा। उसने आईटी कंपनी की एचआर के साथ विवाह किया। उसे 7 वर्ष का बेटा और दो साल की बेटी है। कुछ वर्ष से उसने सीए की प्रैक्टिस की। इसके बाद साहूकारी के लिए उसने दिमाग का उपयोग कर लोगों से चक्रवृद्धि ब्याज वसूलने लगा। जरूरतमंदों को 10 प्रतिशत की दर से ब्याज देकर उसकी लैपटॉप में इंट्री करता था। जरूरतमंद को ऑनलाइन रकम देता था। उनसे रकम वापस लेते समय नकदी लेता था, इसकी इंट्री नहीं करता था। ब्याज पर ब्याज यानी चक्रवृद्धि ब्याज लगाकर ब्याज की रकम वसूलने के बाद भी उसका समाधान नहीं हो रहा था। उसकी नजर चल-अचल संपत्ति पर रहती थी
Created On :   11 Aug 2024 7:20 PM IST