नागपुर: मेयो में हाइपरबैरिक ऑक्सीजन यूनिट जल्द स्थापित होगी, सरकार को भेजा प्रस्ताव

मेयो में हाइपरबैरिक ऑक्सीजन यूनिट जल्द स्थापित होगी, सरकार को भेजा प्रस्ताव
  • मंजूरी मिलते ही शुरू होगी तैयारी
  • कंपनी का असहयोग मरीजों पर पड़ रहा भारी

डिजिटल डेस्क, नागपुर. इंदिरा गांधी शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेयो) में हाइपरबैरिक ऑक्सीजन थेरेपी यूनिट स्थापित किया जाएगा। मेयो प्रशासन ने इस दिशा में प्रयास शुरू कर दिया है। इस यूनिट के लिए जरूरी मशीन की मांग का प्रस्ताव भेजा गया है। सर्जिकल कॉम्प्लेक्स या मेडिसिन विभाग दोनों में से एक में यूनिट स्थापित करने की योजना है। मेयो सूत्रों के अनुसार सर्जरी विभाग के अंतर्गत यह यूनिट कार्यरत होगा। इसके लिए 5 करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे। फिलहाल प्रस्ताव को मंजूरी के लिए भेजा गया है। इस यूनिट में आगजनी में घायल, पुराने जख्मों के कारण परेशान मरीज, गैंगरीन आदि बीमारियों के मरीजों को हाइपरबैरिक ऑक्सीजन मशीन से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है।

मेडिकल की मशीन हुई कालबाह्य

2012 में चिकित्सा संचालनालय ने मेडिकल को 1.20 करोड़ रुपए की हाइपरबैरिक ऑक्सीजन मशीन दी थी। सर्जरी ऑपरेशन थिएटर में इसका कुछ समय तक उपयोग किया गया। यह मशीन अब कालबाह्य को चुकी है। जले हुए मरीज, गैंगरीन के मरीज, न्यूरोसर्जरी के मरीजों को हाइपरबैरिक ऑक्सीजन युक्त बेरिमीटर में रखा जाता है। यह चौकोर कांच का एक यंत्र होता है। इसमें बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक को रखा जाता है। इस यंत्र के लिए एकसाथ देा जम्बो सिलेंडर एक ही समय में लगते हैं। दिल्ली की एक कंपनी ने यह मशीन भेजी गई थी। मेडिकल के तत्कालीन अधिष्ठाता डॉ. अभिमन्यू निसवाडे ने ने कंपनी के इंजीनियर से मशीन की जांच करवाई थी। उस समय मशीन चलाने के लिए विशेषज्ञ नहीं थे। कुछ समय बाद मशीन चलाने विशेषज्ञ मिला। इस मशीन का उपयोग होने लगा। अब यह मशीन बंद पड़ी है।

कंपनी का असहयोग मरीजों पर पड़ रहा भारी

उधर किडनी खराब होने से मरीजों को डायलिसिस की आवश्यकता होती है। सरकारी अस्पतालों में कम शुरू में डायलिसिस सुविधा दी जाती है। इसके लिए मेयो को 7 डायलिसिस मशीन उपलब्ध कराई गई हैं। राज्य के उपमुख्यमंत्री दवेंद्र फडणवीस जब मुख्यमंत्री थे, उस समय यह विभाग शुरू किया गया था। इसके संचालन की जिम्मेदारी पुणे की एक कंपनी को सौंपी गई। लेकिन बताया जा रहा है कि यह कंपनी सहयोग नहीं कर रही है। इस कारण मशीनें उपलब्ध होने के बावजूद इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा। यहां नियमित रुप से डायलिसिस नहीं हो रहा है। कभी-कभार आपातकाल में नाममात्र मरीजों का डायलिसिस होता है।

करार खत्म करने का निर्णय लिया गया : सूत्रों ने बताया कि मेयो प्रशासन की तरफ कंपनी का बकाया है। इसलिए कंपनी ने डायलिसिस बंद करने की सूचना दी थी। इसके बाद मेयो प्रशासन ने संबंधित कंपनी को 5-5 लाख रुपए का भुगतान किया। अन्य बकाया राशि के लिए दो महीने में देने का आश्वासन दिया गया था। बावजूद कंपनी ने नियमित डायलिसिस सेवा शुरू नहीं की। अब कंपनी के साथ किया गया करार खत्म करने का निर्णय लिया गया है। मेयो प्रशासन खुद डायलिसिस सेवा देनेवाला है। इसके लिए 3 विशेषज्ञों की नियुक्तियां की जानेवाली हैं। मरीजों के हित को देखते हुए कंपनी के साथ करार का नवीनीकरण न करने के लिए मंत्रालय को पत्र दिया जानेवाला है।

Created On :   17 Jun 2024 1:21 PM GMT

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