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बड़ी खेल: टुकड़े-टुकड़े में बिक रहीं आरक्षित जमीनें , बगीचों की जमीनों पर खड़ी फ़्लैट
- दक्षिण-पश्चिम नागपुर में सफेदपोशों, भू-माफियाओं ने कर रखा है अवैध कब्जा
- एसटी बस स्टैंड, सब्जी बाजार शॉपिंग मॉल के लिए आरक्षित जगह को बेचने का षड्यंत्र
- अतिक्रमण कर सीधी सड़क को भी मोड़ दिया
डिजिटल डेस्क, नागपुर। हावरापेठ इलाका चर्चा में है। अमोल मेहर हत्याकांड के बाद यहां जमीनों के कई विवादित मामले सामने आने लगे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो विवादित जमीनें इस इलाके में लोगों की जान की दुश्मन बन रही हैं। पर अहम सवाल, आखिर बिल्ली के गले में घंटी बांधे कौन? लोगों के बस की बात तो नहीं। नगर प्रशासन असली रूप में आकर आरक्षित जगह की छानबीन करे, तो पूरा सच सामने आ सकता है। वह, सच जिसे दहशत और लालच तले ढंक दिया गया है। बगीचों की जमीनों पर खड़ी फ़्लैट स्कीमों में बड़ा घालमेल है। बस्ती के लोग जानते हैं, लेकिन खामोश हैं, क्योंकि पुलिस भी उनकी ही सुनती है, जिनसे उनका फायदा है। इसलिए अब कोई भी आवाज नहीं उठाता है। स्थिति यही रही, तो सरकारी जमीन टुकड़े-टुकड़े में यहां बिकता रहेगा और खुद प्रशासन को पैर रखने की जमीन नहीं मिलेगी।
सरकारी कब्जे को उखाड़ फेंका : सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दक्षिण-पश्चिम नागपुर अंतर्गत हावरापेठ के बगल में काशीनगर सहित अन्य कई इलाके में विवादित जमीनों के ढेर सारे मामले हैं। आरक्षित जमीनों का तो कोई भी ‘वाली’ नहीं। बताया जाता है कि काशीनगर इलाके में एसटी बस स्टैंड, सब्जी बाजार और शॉपिंग माल के लिए जगह आरक्षित थी। नगर प्रशासन ने कब्जा स्वरूप सीमेंट की दीवारें बनाई थी। अब उन दीवारों का अता-पता नहीं। उल्टे कुछ लोगों ने क्लब और वाहनों के शेड तक बना डाले हैं। हिम्मत इतनी कि अवैध अतिक्रमण कर सीधी सड़क को भी मोड़ दिया है। चर्चा है कि सफेदपोश भू-माफिया छुटभैये लोगों की मिलीभगत से काशीनगर के नगर प्रशासन की आरक्षित जगह को टुकड़े-टुकड़े में बेच रहे हैं।
खुद धंधे में उतर गए ‘विवादित’ चेहरे : काशीनगर में टुकड़े-टुकड़े में बिकने वाली जमीनों के मामले में गोल्या के नाम की चर्चा होती रही है। गोल्या को जानने थोड़ा फ्लैशबैक में जाना होगा। गोल्या और अमोल मेहर के बीच कुछ समय पहले विवाद हुआ था। इसी दौरान सट्टा-पट्टी अड्डे पर पुलिस की दो-तीन बार कार्रवाई होने पर गोल्या ने इस धंधे को बंद कर दिया था। इसके बाद गोल्या सहित कई लोग विवादित जमीनों के मामले में हाथ अजमाने लगे। डी दस्तावेज बनाने वाले कुछ लोग भी इनके साथ शामिल हो गए। कुछ सफेदपोशों, राजनीतिक चेहरों के साथ मिलकर विवादित जमीनों पर कब्जा जमाने का काम करते-करते खुद ही धंधे में उतरे गए।
ऐसे शुरू हुआ एग्रीमेंट का खेल : दरअसल, शहर के हर कोने में आरक्षित जमीनें विकास के उद्देश्य से रखी जाती थी। एेसी ही एक जमीन के बारे में पता चलने पर गोल्या ने उस जमीन के वारिसदारों का पता लगाया। उसके साथ हाथ मिलाने के बाद खाली जगह पर प्लाट के नंबर डालकर एग्रीमेंट का खेल इसके बाद शुरू हो गया। फिर सेटिंग के तहत टुकड़े-टुकड़े में आरक्षित जगह बिकने लगी।
छानबीन हुई, तो कई आएंगे लपेटे में : काशीनगर में एक महिला का नाम भी चर्चा में अाता रहा है, जिसने एक वकील की मदद से ले-आउट डाला था। उस जमीन के कुछ हिस्से को बिल्डर को बेचा था। नगर प्रशासन ने कब्जा छोड़ने के बदले में बिल्डर को टीडीआर दिया था। खुली जगह पर सीमेंट की दीवार को खड़ी कर जगह को कब्जे में िलया गया था। अब उस आरक्षित जगह पर सीमेंट की दीवारों को तोड़कर उसे समतल कर दिया गया। इसकी छानबीन की गई तो दक्षिण-पश्चिम नागपुर की आरक्षित जमीन के चक्कर में दूसरे लोगों पर शिकंजा कसा जा सकेगा।
अमोल मेहर की हत्या का मास्टरमाइंड कौन : अमोल मेहर की हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। चर्चा है कि उसकी हत्या के पीछे मास्टरमाइंड कोई और है। काशीनगर इलाके में विवादित जमीनों को लेकर इसके पहले भी मामले चर्चा में आए, लेकिन नगर प्रशासन के कुछ धुरंधर अधिकारियों के चलते दबकर रह गए। इसकी गहन जांच पड़ताल की गई तो पता चल जाएगा कि नगर प्रशासन की आरक्षित जगह को कैसे कुछ सफेदपोशों ने स्थानीय छुटभैये लोगों की मदद से टुकड़े- टुकड़े में बेचने का काम किया है।
Created On :   3 May 2024 12:52 PM IST