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नशे का कारोबार: संतरानगरी में पहाड़ी और कलीवाला गांजे की सर्वाधिक मांग
- दिन हो या रात, नशे का सामान आसानी से मिल
- नागपुर में हर रोज करीब 100 किलो गांजे की खपत
- खुलेआम बिक्री लेकिन पुलिस को नजर नहीं आ रहे आरोपी
डिजिटल डेस्क, नागपुर । संतरानगरी को नशा मुक्त करन का सपना गृहमंत्री व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस लंबे समय से देख रहे हैं। उनके इस सपने को साकार करने के लिए तत्कालीन पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने काफी प्रयास किया, लेकिन वे असफल रहे। सूत्रों के अनुसार नागपुर में हर रोज करीब 100 किलो गांजे की खपत हो रही है। युवा गांजा, एमडी, चरस और अफीम के अधीन होते जा रहे हैं। बेचने वाले नशे की सामग्री बेखौफ होकर बेच रहे हैं। ताजुब की बात यह है कि, इस कारोबार में लिप्त तस्कर, पैडलर और विक्रेताओं के चेहरे नागरिकों को नजर आते हैं लेकिन क्राइम ब्रांच के एनडीपीएस दस्ते, क्राइम यूनिट और पुलिस के अन्य कई दस्तों को ये चेहरे नजर नहीं आते हैं। नशा बेचने का गढ़ बन चुके नागपुर में दिन हो या रात, नशे का सामान आसानी से मिल जाता है।
जानकारों का मानना है कि, जब आला पुलिस अफसरों की नशे के अवैध कारोबार को लेकर बैठक होती है, तब संबंधित विभाग को अलर्ट किया जाता है। इसके बाद भी कामठी रोड पर चुंगी नाका-2, महल, कामठी, हिंगना, पारडी, कोतवाली, गिट्टीखदान, मानकापुर, हसनबाग, कपिल नगर, मोमिनपुरा से गांजा, एमडी, चरस और अफीम आसानी से मिल जाती है। सबकुछ सेट होता है। भुरु, सोहेल, कबाड़ी, रोहन, पंकज, चाटे, टीपू, भूरया, मोनू, लटारया, मकसूद, नाना, अंडा, तौसिब, बाल्या, सलमान, इम्तियाज, दामू, अन्ना, चांद, बानो, भूरीबाई सहित ऐसे कई अनगिनत नाम हैं, जो नशे के कारोबार में अक्सर चर्चा में बने रहते हैं। इनके पास कई लड़के, लड़कियां हैं, जो माल पहुंचाने का काम कर रहे हैं।
कहीं खुलेआम, कहीं छिपकर धंधा : सूत्रों के अनुसार नशे की सामग्री तस्करी के जरिए लायी जाती है और फिर अलग-अलग ठिकानों पर बेची जाती है। कुछ खुलेआम, तो कुछ छिपकर गांजा बेचते हैं और पैसा लेते हैं। दो माह पहले की एकाध दो कार्रवार्ई को छोड़ दें, तो तस्कर व सौदागरों के खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई शहर में नहीं हुई है।
जिनके पास पैसा कम, वे चूरा गांजा पीते हैं : नागपुर में पहाडी और कलीवाला गांजा बडे प्रमाण में बिकता है। पहले गांजे की एक पुडिया 100 रुपए में बिकती थी, अब उसकी कीमत 200 रुपए हो गई है। चूरा गांजा 100 रुपए में मिलता है। इसके शौकीन बताते हैं कि जो पैसे का इंतजाम नहीं कर पाते हैं, वही चूरा गांजा पीने का काम करते हैं।
रेल की पटरी और तंग गलियां सबसे सुरक्षित : सूत्रों के अनुसार रेल की पटरी किनारे और बस्तियों की तंग गलियां नशे के धंधे के लिए सबसे सुरक्षित मानी जाती हैं। पुलिस पहुंचते ही यह लोग आसानी से भागने में सफल हो जाते हैं।
ऐसे पहुंचती है खेप : शहर के भीतर और सीमा पर पुलिस, एसटीएफ, एएनटीएफ, एनसीबी और डीआरआई की निगरानी के बावजूद हर महीने गांजा, एमडी व अन्य मादक पदार्थों की बड़ी खेप नागपुर में पहुंच रही है। यह माल ओडिशा, आंध्र प्रदेश से नागपुर पहुंचता हैं। इसके लिए ज्यादातर कार या सवारी वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है।
Created On :   6 Aug 2024 1:13 PM IST