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फादर्स डे स्पेशल!: बच्चों के रियल हीरो होते हैं पिता, कभी रुकती नहीं संघर्ष की कहानी
- बेसहारा और भीख मांगने वाले बच्चों को जोड़ा मुख्य प्रवाह से
- एक बीमार बेटे को कभी मां की कमी महसूस नहीं होने दी
डिजिटल डेस्क, नागपुर, दीपिका धनेश्वर/रीता हाडके. पिता के संघर्ष की कहानी कभी रुकती नहीं है। बच्चों के लिए उनके पिता किसी भगवान से कम नहीं होते। उनकी तुलना हम किसी से नहीं कर सकते। एक पिता ही बच्चों के लिए रियल हीरो होते हैं। घर-परिवार के कर्ताधर्ता और जिम्मेदारी अपने कंधों पर लादकर बिना कोई शिकायत किए हर जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं। बच्चा जब मां की कोख में होता है, तबसे बच्चे के लिए सपने बुनने का काम एक पिता करने लगता है। वह चाहता है कि उसका बच्चा पढ़-लिखकर एक कामयाब व्यक्ति बने। कुछ बच्चे बेसहारा भी होते हैं, जिनके जीवन में रौशनी लाने का काम समाजसेवा के माध्यम से कुछ समाजसेवी आगे आकर करते हैं। कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, जो ऐसी बीमारी से ग्रस्त होते हैं कि उनके पिता अपना सबकुछ उनका जीवन संवारने में लगा देते हैं। उनकी हर जरूरतों का ध्यान रखते हैं। ऐसे ही पिता इन बच्चों के लिए रियल हीरो होते हैं। आज फादर्स-डे हैं, तो आइए जानते हैं कौन हैं इस रियल हीरो।
मुझे पिताजी कहकर पुकारते हैं
खुशाल ढाक के मुताबिक पिता का बच्चों के जीवन में नहीं होना कितना कष्टदायी होता है, यह अच्छी तरह से मैं जानता हूं। इस संवेदना के साथ पिछले कई वर्षों से गरीब, निराधार, रास्ते पर भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया हूं। ऐसे में यह बच्चे मुझे पिताजी कहकर पुकारते हैं। मुझे इस प्रकार के सामाजिक कार्यों में बहुत आनंद मिलता है। जब तक सांस है, समाज सेवा करता रहूंगा।
समर्पित किया जीवन : उपराजधानी में बेसहारा, गरीब और भटकते बच्चों के लिए निःस्वार्थ भाव से पिता की भूमिका निभाने वाले 43 वर्ष के खुशाल ढाक हैं। पिछले 19 वर्ष से उन्होंने अपना जीवन समाजसेवा में समर्पित किया है। खासकर उन बच्चों के उद्धार के लिए वे हर समय तैयार रहते है। "मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। "यह पंक्तियां खुशाल के निःस्वार्थ सामाजिक कार्य के लिए सटीक बैठती हैं।
बच्चों को शिक्षित करते हैं
पिता के बिना खुशाल को विभिन्न समस्याओं से गुजरना पड़ा। आज खुशाल सक्षम हैं। अपने परिवार की जिम्मेदारी बखूबी निभाते हुए गरीब और बेसहारा बच्चों के लिए भी एक पिता की भूमिका निभाने में पीछे नहीं रहते हैं। सेवा सर्वदा बहुद्देशीय संस्था के अध्यक्ष खुशाल ढाक ने रामटेके नगर, जयताला में मार्ग पर भीख मांगने वाले बच्चों को शिक्षा से अवगत कराने के लिए निःशुल्क कान्वेंट खोले हैं, साथ ही जयताला में रात्रि शाला चला रहे हैं। इसमें दानदाता आशुतोष गावंडे आर्थिक रूप से योगदान देते हैं। इन गरीब बच्चों के माता-पिता का भीख मांगना पुश्तैनी व्यवसाय स्वरूप है, जबकि यह बच्चे भीख मांगें यह खुशाल नहीं चाहते। उन्होंने इन बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा उठाया है। उनकी हर तकलीफ एक पिता के जैसा महसूस करते हैं और इच्छाएं पूरी करते हैं।
डेढ़ साल बाद घर लौटा
अर्णब चैटर्जी दस साल की उम्र से ही मांसपेशियों से संबंधित बीमारी (मस्कुलर डिस्ट्रॉफी) से पीड़ित है। उसका ख्याल रखने के लिए उसके पिता पल्लब चैटर्जी ने उसे डे-केयर सेंटर में भर्ती किया। आज उनके लिए बहुत खास दिन है, क्योंकि डेढ़ साल बाद अर्णब घर लौटा है और आज फादर्स-डे पर यह खुशी दुगुनी हो गई है।
डे-केयर में था : अर्णब के पिता पल्लब चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के व्यवसाय में हैं। जब बेटा अर्णब दस साल का था, तो वह मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीड़ित हो गया। इससे उसके दोनों हाथ ने काम करना बंद कर दिया। कोरोना लहर में पत्नी की मौत हो गई। पल्लब ने करीब डेढ़ महीने तक अपने बेटे को अपनी मां के निधन की खबर नहीं दी। जिस दिन अर्नब को खबर दी गई, उस दिन घर के बाहर उसे ले जाने के लिए एक एम्बुलेंस तैयार थी। अर्णब की देखभाल करने वाला कोई नहीं है, इसलिए वह पिछले डेढ़ साल से डे-केयर में था और फादर्स-डे के दो दिन पहले उसकी घर वापसी हुई है। डे-केयर का हर महीने का खर्च 30 हजार रुपए था, जो पल्लब ने बड़ी मुश्किल से पूरा किय। अब उन्होंने अर्णब की देखभाल के लिए घर में एक अटेंडेंट रखा है। 86 वर्ष के पिता की जिम्मेदारी भी पल्लब पर है। पल्लब ने हिम्मत नहीं हारी है।
आईएएस अधिकारी बनने का सपना : अर्नब बचपन से ही प्रतिभाशाली था। गंभीर बीमारी की हालत में भी उसने बड़ी दृढ़ता से 10वीं की परीक्षा दी और उसे 88 प्रतिशत अंक हासिल हुए। स्कूल ने सहयोग किया और उसे ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा उपलब्ध कराई। परीक्षा के दौरान उसे एक एंबुलेंस से परीक्षा केंद्र तक ले जाया जाता था। वहां राइटर की मदद से उसने परीक्षा में सफलता हासिल की। इस साल वह 12वीं कक्षा की परीक्षा देने वाला है। उसका सपना है कि वो भविष्य में आईएएस अधिकारी बने।
Created On :   16 Jun 2024 6:31 PM IST