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आरक्षण का बवाल: उर्दू एवं पारसी भाषा में मिले अभिलेख, विभाग की समझ से परे
विनोद झाड़े , नागपुर। शासकीय दस्तावेजों में मराठा कुनबी व कुनबी मराठा के अभिलेख की खोजबीन के दौरान राजस्व विभाग को उर्दू व पारसी भाषा में कुछ अभिलेख प्राप्त हुए हैं। उर्दू व पारसी में क्या लिखा है, इसका अर्थ निकालने के लिए जिला प्रशासन भाषा विशेषज्ञों की मदद ले सकता है। फिलहाल इन अभिलेखों को अलग रखा गया है। माना जा रहा है कि ये दस्तावेज 1860 के अासपास के हो सकते हैं।
विभाग ने खंगाले दस्तावेज
राजस्व विभाग के रिकॉर्ड सेक्शन में जो दस्तावेज खंगाले गए, उसमें उर्दू व पारसी भाषा के अभिलेख मिले हैं। ये अभिलेख किसके आैर किस संबंध में हैं, यह अधिकारियों को समझ नहीं आ रहा। अभिलेख भले ही 160 साल पुराने हो सकते हैं, लेकिन इसकी लिखावट इतनी अच्छी है कि आज भी इसे आसानी से पढ़ा जा सकता है। वर्ष 1860 में नागपुर में जो इंडस्ट्रियल प्रदर्शनी लगी थी, उसका आयोजन पारसी समाज के व्यक्ति ने कस्तूरचंद पार्क में की थी। एम्प्रेस मिल तो टाटा की थी, जो खुद पारसी समाज से थे।
पारसी समाज का प्रभुत्व
आजादी के पहले जो स्टेट ऑफ काउंसिल थी, उसके उपाध्यक्ष माणिकजी दादाभाई नागपुर से पारसी समाज के थे। कस्तूरचंद डागा को उद्योग क्षेत्र में लाने वालों में माणिकजी दादाभाई प्रमुख थे। नागपुर के गांधी उपनाम के व्यक्ति जो पारसी समाज से थे आैर वे हिमाचल के राज्यपाल भी बने थे। पारसी समाज का एक तरह से इस शहर पर काफी प्रभुत्व रहा है। इसी तरह मुस्लिम समाज का भी यहां प्रभाव रहा है। बहरहाल मराठा कुनबी व कुनबी मराठा के अभिलेख अगर मिले, तो प्रशासन उसे अपनी रिपोर्ट में दर्ज करेगा।
Created On :   11 Nov 2023 6:44 PM IST
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