मेडिकल और मेयो अस्पताल: रेफर मरीजों के कारण मृत्यु दर अधिक, अब अस्पतालों को रखना होगा पूरा ब्योरा

रेफर मरीजों के कारण मृत्यु दर अधिक, अब अस्पतालों को रखना होगा पूरा ब्योरा
  • आर्थिक शोषण के बाद दिखाते सरकारी का रास्ता
  • पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए प्रयास शुरू किए

डिजिटल डेस्क, नागपुर. नांदेड व संभाजीनगर के सरकारी अस्पतालों में अचानक मृत्यु के आंकड़े से बवाल मचा। इसकी दखल राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने ली है। सरकारी अस्पतालों में दवाएं, इंजेक्शन, चिकित्सा सामग्री व उपकरण आदि की पर्याप्त व्यवस्था करने के लिए प्रयास शुरू किए गए हैं। इस बीच विभाग की तरफ से राज्यभर के सरकारी अस्पतालों को अलग-अलग सूचनाएं दी गई हैं। सूत्रों के अनुसार निजी अस्पतालों से मरणासन्न अवस्था में रेफर किये गए मरीजों का ब्याेरा रखने को कहा गया है। वहीं गरीब मरीजों को अधिसूचित जेनेरिक दवाएं लिखकर देने की सूचना दी गई है।

संभाजीनगर व नांदेड़ की घटना के बाद मेडिकल और मेयो अस्पताल में हुई मृत्यु के आंकड़ों को लेकर खबरें प्रकाशित हुई थीं। इसका संज्ञान जिलाधिकारी डॉ. विपिन इटनकर ने लिया था। उन्होंने तुरंत प्रकाशित आंकड़ों काे लेकर स्थिति से अवगत कराया। मेयो-मेडिकल में होनेवाली मृत्यु का औसत सामान्य होने की जानकारी दी गई। इसमें एक बात यह भी सामने आई थी कि निजी अस्पतालों से रेफर किये गए मरीजों की मृत्यु सरकारी अस्पतालों में होने से यहां संख्या बढ़ जाती है। सूत्रों ने बताया कि कुछ निजी अस्पतालों में जब मरीज जाता है, तो वहां सबसे पहला लक्ष्य मरीजों के परिजनों आर्थिक शोषण होता है। महंगी जांच, महंगी दवाएं, अन्य खर्चे आदि के नाम पर जमकर वसूली की जाती है। जब मरीज के परिजनों के पास अस्पताल का खर्च उठाने की खर्च क्षमता खत्म हो जाती है, तो ऐसे मरीजों को सरकारी में भेज दिया जाता है। ऐसे मरीज मरणासन्न अवस्था में होते हैं। यह जानकारी पहले से निजी अस्पतालों को मालुम होती है। लेकिन आर्थिक शोषण के चक्कर में बरगलाया जाता है। परिजन घबराए होते हैं, इसलिए वे निजी अस्पतालों की बात मान लेते हैं।

अस्पताल की करतूत का पता चल सके

निजी अस्पताल में मरीज के प्राण त्यागने से पहले उसे सरकारी में रेफर कर दिया जाता है। ताकि जब वह मृत हो तो मौत का ठीकरा सरकारी अस्पताल पर फूटे। ऐसा हर रोज हो रहा है। इसलिए विभाग ने ऐसे मरीजों का ब्योरा रखने को कहा है। ताकि यह पता चल सके कि जब वह मरीज सरकारी अस्पताल में लाया गया, तो किस अवस्था में था। ताकि रेफर करनेवाले अस्पताल की करतूत का पता चल सके। इस विषय को लेकर मेडिकल और मेयो अस्पताल में सभी विभाग प्रमुखाें को अपने-अपने वार्ड के मरीजों की जानकारी अपडेट रखने के लिए सूचना दी गई है।

Created On :   17 Oct 2023 5:31 PM IST

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