भारी-भरकम: नूडल्स, मंचुरियन के शौकिन विशाल कछुए को गोदावरी नदी में छोड़ा

  • ब्रिटिशकाल से नाईक तालाब में था कछुआ
  • स्वच्छ जल में छोड़ने की विशेषज्ञों ने दी थी सलाह
  • कछुए के हित में लिया वन विभाग ने निर्णय

डिजिटल डेस्क, नागपुर। नाईक तालाब से कुछ वर्ष पहले एक विशाल कछुए को सेमिनरी हिल्स स्थित ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर में लाया था। जहां से उसे वापस नाईक तालाब में छोड़ा जाना था। लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार कछुए का आकार व भूख देखते हुए उसे किसी बड़े नदी में छोड़ना जरूरी था, जो कि साफ सुथरी हो। इससे उसकी आयु लंबी होगी। ऐसे में नागपुर वन विभाग ने हाल ही में इसे गड़चिरोली के गोदावरी नदी में छोड़ा है। जहां कछुआ सुरक्षित रहने की उम्मीद है। बता दें, कि नाईक तालाब के आस-पास लगनेवाली चायनीज की दुकान से निकलने वाला वेस्ट तालाब में फेंका जाता था। ऐसे में यह कछुआ नूडल्स-मंचुरियन खाने का शौकीन बन गया था।

ब्रिटिशकाल से रह रहा था : बता दें कि नाईक तालाब कभी शहर के आकर्षित तालाबों में शामिल था। ब्रिटिशकाल से बना यह तालाब बरबस ही हर किसी का ध्यान खुद की ओर खींच लेता था। लेकिन समय के साथ अगल - बगल अतिक्रमण व सफाई के अभाव में पूरा तलाब कीचड़ व गंदगी से बजबजा गया था। ऐसे में कई बार इसकी सफाई की मांग उठी कुछ समय पहले तालाब की सफाई की घोषणा की गई थी। जिसके बाद सफाई टीम यहां पहुंची थी। सफाई के दौरान ही टीम को यहां एक कछुआ देखने मिला। जो सामान्य कछुए की तुलना में बहुत बड़ा था। यानी एक आदमी की उंचाई वाला यह कछुए देख हर कोई दंग रह गया था। इसके बाद वन विभाग को इसकी जानकारी दी गई थी। वन विभाग की टीम ने भारी मशक्कत के बाद इसे निकाला था। क्योकि इसके रहते तालाब की सफाई नहीं हो सकती थी। कछुए को बाहर निकालने पर इसका वजन 60 किलो से ज्यादा पाया गया। वहीं लंबाई 4 से 5 फीट थी। यह विशालकाय कछुआ ब्रिटिशकाल से यहीं पर होने का अनुमान लगाया गया।

टीटीसी में बनानी पड़ी टंकी : नागपुर के सेमिनरी हिल्स स्थित ट्रांजिट ट्रीटमेंट सेंटर में अब तक इतना बड़ा कछुआ नहीं आया था। ऐसे में इसे रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में मनपा से समन्वय करते हुए कछुए के लिए एक नये टैंक का यहां निर्माण किया गया। जिसमें इसे रखा गया था।

नागपुर के नाईक तालाब से कछुए को निकाल टीटीसी में रखा था। लंबे समय से तालाब की स्थिति नहीं बदली है। ऐसे में इस कछुए को टीटीसी में कैद कर ज्यादा समय रखना ठीक नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार कछुए को स्वच्छ पानी में छोड़ना जरूरी हो गया था, ताकि वह सुरक्षित और आयु जी सके। ऐसे में उसे गड़चिरोली की गोदावरी नदी में छोड़ा गया। बी. हाडा, उपवनसंरक्षक, वन विभाग ( प्रादेशिक) नागपुर

Created On :   6 Aug 2024 9:31 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story